इज़राइल ने गाज़ा में मोबाइल घरों और भारी उपकरणों के प्रवेश पर लगाई रोक, युद्धविराम समझौते पर संदेह
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मुस्लिम नाउ ब्यूरो, गाजा,नई दिल्ली
इज़राइली सार्वजनिक प्रसारण निगम ‘कान’ की रिपोर्ट के अनुसार, इज़राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने हमास के साथ हुए युद्धविराम समझौते के बावजूद गाजा पट्टी में मोबाइल घरों (कारवां) और भारी मिट्टी हटाने वाले उपकरणों के प्रवेश को अनुमति देने से इनकार कर दिया है.
राफा सीमा पर फंसे पुनर्निर्माण के उपकरण
सोशल मीडिया पर प्रसारित हो रहे वीडियो और तस्वीरों में मलबा हटाने और पुनर्निर्माण के लिए आवश्यक कारवां, बुलडोजर और रोड रोलर्स से लदी लॉरियां लगभग दो सप्ताह से राफा सीमा क्रॉसिंग पर फंसी हुई हैं. इन लॉरियों को इज़रायली स्वीकृति का इंतजार है.
युद्धविराम समझौते के अनुसार, इज़राइल को पहले चरण में गाज़ा में 60,000 अस्थायी घर और 200,000 टेंट लगाने की अनुमति देनी थी. यह चरण 1 मार्च को समाप्त होना था। साथ ही, इज़राइल को मलबा हटाने के लिए आवश्यक मात्रा में उपकरणों की अनुमति देने की भी शर्त रखी गई थी.
गाजा प्रशासन की कड़ी प्रतिक्रिया
गाज़ा के सरकारी मीडिया कार्यालय ने इस प्रतिबंध की कड़ी आलोचना करते हुए इसे युद्धविराम समझौते से “स्पष्ट रूप से बचने” की रणनीति करार दिया.
सरकारी कार्यालय ने टेलीग्राम पर बयान जारी कर कहा, “यह इज़राइल द्वारा समझौते को बनाए रखने में विफलता की स्पष्ट घोषणा है.” साथ ही, गारंटर मध्यस्थों (कतरी, मिस्र और अमेरिकी अधिकारियों) से हस्तक्षेप करने की अपील की गई.
फिलिस्तीनी प्रशासन ने दोहराया कि “जब तक इज़राइल समझौते का सम्मान करेगा, हम भी इसकी शर्तों का पालन करेंगे.”
युद्धविराम समझौते की शर्तें और इजराइल की मनमानी
19 जनवरी 2024 को गाज़ा पट्टी में युद्धविराम समझौते की शुरुआत हुई थी, जिसके तहत हमास और इज़राइल के बीच कैदियों की अदला-बदली हुई. यह समझौता तीन चरणों में विभाजित था, जिनमें से प्रत्येक चरण 42 दिनों तक चलना था.
युद्धविराम वार्ता के दूसरे चरण का उद्देश्य संघर्ष को स्थायी रूप से समाप्त करना और शेष बंधकों की रिहाई सुनिश्चित करना था. हालांकि, नेतन्याहू कथित तौर पर चाहते हैं कि इज़रायली वार्ताकार यह तर्क दें कि युद्धविराम का पहला चरण हमास के लिए भी फायदेमंद साबित हुआ है, जिससे इजराइल को अपने नियम थोपने का मौका मिल रहा है.
गाजा में अब तक 48,239 लोगों की मौत
फिलिस्तीनी स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, अक्टूबर 2023 से अब तक इजरायली हमलों में 48,239 लोग मारे जा चुके हैं। संयुक्त राष्ट्र में फिलिस्तीन के स्थायी पर्यवेक्षक रियाद मंसूर ने गाजा से फिलिस्तीनी आबादी को जॉर्डन और मिस्र में खदेड़ने के किसी भी प्रस्ताव को दृढ़ता से खारिज किया है.
अरब न्यूज़ के सामयिक मामलों के कार्यक्रम “फ्रैंकली स्पीकिंग” में बातचीत के दौरान मंसूर ने कहा कि फिलिस्तीनी लोगों के अपने देश में रहने और संप्रभुता स्थापित करने के अधिकार की रक्षा की जानी चाहिए. उन्होंने इजरायली प्रधानमंत्री नेतन्याहू पर युद्ध अपराधों का आरोप लगाया और गाजा के पुनर्निर्माण में फिलिस्तीनी प्राधिकरण की भूमिका को महत्वपूर्ण बताया.
अरब देशों का एकजुट समर्थन
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा गाजा पर नियंत्रण करने और फिलिस्तीनियों को जॉर्डन व मिस्र में स्थानांतरित करने के विवादास्पद प्रस्ताव को क्षेत्रीय नेताओं ने पूरी तरह से अस्वीकार कर दिया है.
जॉर्डन के राजा अब्दुल्ला द्वितीय, ट्रम्प प्रशासन के साथ पहली बैठक के दौरान ही स्पष्ट कर चुके हैं कि अम्मान फिलिस्तीनियों के किसी भी जबरन विस्थापन को स्वीकार नहीं करेगा. इसके बजाय, जॉर्डन ने चिकित्सा उपचार के लिए 2,000 गंभीर रूप से बीमार फिलिस्तीनी बच्चों को लेने पर सहमति व्यक्त की है.
सऊदी अरब और अन्य देशों का कड़ा रुख
सऊदी अरब ने भी फिलिस्तीनी संप्रभुता की पुष्टि करते हुए एक मजबूत बयान जारी किया. सऊदी विदेश मंत्रालय ने कहा, “फिलिस्तीनी लोगों को अपनी भूमि पर अधिकार है और उन्हें इजरायली कब्जे की इच्छा के अनुसार निष्कासित नहीं किया जा सकता.”
संयुक्त राष्ट्र में फिलिस्तीन के स्थायी पर्यवेक्षक रियाद मंसूर ने सऊदी अरब के त्वरित और दृढ़ रुख की सराहना की। उन्होंने कहा, “हम सऊदी अरब और अन्य अरब देशों के साथ मिलकर फिलिस्तीनी अधिकारों की रक्षा के लिए काम कर रहे हैं.”
नेतन्याहू की कानूनी समस्याएं और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आलोचना
नेतन्याहू वर्तमान में भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना कर रहे हैं और उन्हें 10 साल की जेल की सजा हो सकती है. कई आलोचकों का मानना है कि उनका राजनीतिक अस्तित्व संघर्ष को लम्बा खींचने पर टिका हुआ है.
मंसूर ने नेतन्याहू की अंतरराष्ट्रीय जवाबदेही पर जोर देते हुए कहा, “वह अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय (ICC) द्वारा वांछित अपराधी हैं. उन पर युद्ध अपराधों का मुकदमा चलना चाहिए.”
ICC ने 24 नवंबर 2024 को नेतन्याहू के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया था. उन पर युद्ध के हथियार के रूप में भुखमरी का उपयोग करने, नागरिकों पर हमले करने, हत्या और उत्पीड़न जैसे अपराधों के आरोप लगे हैं. हालांकि, नेतन्याहू ने इन आरोपों को खारिज कर दिया है.
इज़राइल के लिए बढ़ती अंतरराष्ट्रीय चुनौतियां
इज़राइल के पूर्व रक्षा मंत्री योआव गैलेंट और हमास के सैन्य कमांडर मोहम्मद डेफ के खिलाफ भी ICC ने गिरफ्तारी वारंट जारी किया है.
गाजा संघर्ष में अब तक अनुमानित 64,000 से अधिक फिलिस्तीनी मारे जा चुके हैं, जबकि 110,000 से अधिक घायल हुए हैं.
मंसूर ने जोर देकर कहा, “फिलिस्तीन के सवाल का इतिहास 7 अक्टूबर से शुरू नहीं हुआ। जो कुछ भी हुआ, उसके बावजूद इज़राइल द्वारा नागरिकों के खिलाफ किए गए नरसंहार युद्ध का कोई औचित्य नहीं है.”
काबिल ए गौर
गाज़ा में पुनर्निर्माण की प्रक्रिया को बाधित करना इज़राइल की रणनीति का हिस्सा लगता है, जिससे युद्धविराम समझौते पर गंभीर सवाल उठने लगे हैं। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को इस पर त्वरित और प्रभावी हस्तक्षेप करना चाहिए ताकि युद्ध प्रभावित नागरिकों को राहत मिल सके और फिलिस्तीनी संप्रभुता को मान्यता दी जा सके।