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इजरायल-हमास युद्ध: भारत का यूएनजीए में युद्धविराम के पक्ष वोट

मुस्लिम नाउ ब्यूरो,न्यूयॉर्क

संयुक्त राष्ट्र महासभा ने गाजा में तत्काल मानवीय युद्धविराम की मांग करते हुए नागरिकों की सुरक्षा और कानूनी और मानवीय दायित्वों को कायम रखने का प्रस्ताव रखा. इसपर भारत ने यूएनजीए के आपातकालीन सत्र में युद्धविराम प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया.भारत सहित कम से कम 153 देशों ने प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया, जबकि अमेरिका, इजराइल और ऑस्ट्रिया सहित 10 ने विरोध में मतदान किया. अर्जेंटीना, यूक्रेन और जर्मनी सहित 23 देश मतदान से दूर रहे.

प्रस्ताव में तत्काल मानवीय युद्धविराम, सभी बंधकों की तत्काल और बिना शर्त रिहाई के साथ मानवीय पहुंच सुनिश्चित करने की मांग की गई. इसमें आगे मांग की गई है कि सभी पक्ष नागरिकों की सुरक्षा के संबंध में मानवीय कानून सहित अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत अपने दायित्वों का पालन करें.

संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने कहा कि 7 अक्टूबर को इजरायल में एक हमास का हमला हुआ. वहां भारी मानवीय संकट है. बड़े पैमाने पर मानव जीवन की हानि हुई है.उन्हांेने कहा,भारत ने महासभा द्वारा अभी अपनाए गए प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया है. यह अगस्त निकाय जिस स्थिति पर विचार-विमर्श कर रहा है, उसके कई आयाम हैं. 7 अक्टूबर को इजराइल में हमास का हमला और उस समय बंधक बनाए गए लोगों की चिंता है.

एक विशाल मानवीय संकट ह. बड़े पैमाने पर नागरिक जीवन की हानि हो रही है. विशेषकर महिलाओं और बच्चों की. सभी परिस्थितियों में अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून का पालन करने का मुद्दा है. उन्होंने कहा कि शांतिपूर्ण और स्थायी दो-देश खोजने का प्रयास ही लंबे समय से चले आ रहे फिलिस्तीन प्रश्न का समाधान.

उन्होंने कहा कि भारत वर्तमान समय में क्षेत्र के सामने आने वाली कई चुनौतियों से निपटने के लिए एक साझा आधार खोजने में अंतरराष्ट्रीय समुदाय की एकता का स्वागत करता है.रुचिरा कंबोज ने कहा, इस असाधारण कठिन समय में हमारी चुनौती, सही संतुलन बनाना है. अंतरराष्ट्रीय समुदाय जिन चुनौतियों का सामना कर रहा है, उसकी गंभीरता और जटिलता को महासचिव ने संयुक्त राष्ट्र के चार्टर के अनुच्छेद 99 का आह्वान करते हुए रेखांकित किया है. इसलिए हम, इस तथ्य का स्वागत करें कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय की एकता इस समय क्षेत्र के सामने मौजूद कई चुनौतियों का समाधान करने के लिए एक साझा आधार खोजने में सक्षम है.

इस बीच, संयुक्त राज्य अमेरिका के नेतृत्व वाले मसौदा प्रस्ताव में संशोधन संयुक्त राष्ट्र महासभा में पारित नहीं हुआ. कम से कम 84 देशों ने संशोधन के पक्ष में मतदान किया. 62 ने विरोध में वोट किया, जबकि 25 वोट नहीं पड़े.इसके अलावा, गाजा संकट पर मसौदा प्रस्ताव में ऑस्ट्रिया के नेतृत्व वाला संशोधन संयुक्त राष्ट्र महासभा में पारित होने में विफल रहा. 89 देशों ने संशोधन के पक्ष में मतदान किया. 61 ने संशोधन के खिलाफ मतदान किया और 20 मतदान से अनुपस्थित रहे.

इजराइल के स्थायी प्रतिनिधि, गिलाद एर्दान ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र महासभा खुद को एक और पाखंडी प्रस्ताव पर मतदान करने जा रही है.उन्होंने कहा, न केवल यह प्रस्ताव मानवता के खिलाफ अपराधों के लिए हमास की निंदा करने में विफल है, बल्कि इसमें हमास का बिल्कुल भी उल्लेख नहीं है. यह केवल क्षेत्र में मौत और विनाश को लंबा खींचेगा. यही वास्तव में युद्धविराम का मतलब है.

एर्दान ने कहा कि हमास का एकमात्र इरादा इजरायल को नष्ट करना है . हमास ने घोषणा की है कि जब तक इजरायल का अस्तित्व समाप्त नहीं हो जाता तब तक वह अपने अत्याचारों को बार-बार दोहराता रहेगा. उन्होंने हमास को जवाबदेह ठहराने की आवश्यकता बताई और कहा कि युद्धविराम का केवल एक ही मतलब है जो हमास का अस्तित्व है.

उन्होंने पूछा, तो कोई हमास को उसके आतंक के शासन को जारी रखने और उसके शैतानी एजेंडे को साकार करने में सहायता क्यों करना चाहेगा? उन्होंने आगे कहा, हम सभी जानते हैं कि इस प्रस्ताव में तथाकथित मानवीय युद्धविराम का मानवता से कोई लेना-देना नहीं है. इजराइल पहले से ही गाजा में मानवीय सहायता के प्रवेश को सुविधाजनक बनाने के लिए हर उपाय कर रहा है.

संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के स्थायी प्रतिनिधि मुनीर अकरम ने कहा कि यह गहरे अफसोस की बात है कि इजराइल के कुछ दोस्तों ने एक बार फिर केवल एक पक्ष की निंदा करने और दूसरे को दोषमुक्त करने के लिए संशोधन पेश किया है.