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इजराइल-फिलिस्तीन संघर्ष: 40,000 लोग विस्थापित,संघर्ष विराम समझौते पर नया विवाद

मुस्लिम नाउ ब्यूरो,तेल अवीव/गाजा

इजराइल और फिलिस्तीन के बीच संघर्ष थमने का नाम नहीं ले रहा है। हाल ही में इजराइल ने उत्तरी कब्जे वाले पश्चिमी तट में बड़े पैमाने पर सैन्य कार्रवाई की है, जिसके चलते 40,000 से अधिक फिलिस्तीनियों को जबरन विस्थापित कर दिया गया है। यह पहली बार है जब 2002 के बाद इजराइली टैंकों की तैनाती पश्चिमी तट पर की गई है।

इसके अलावा, हमास और इजराइल के बीच बंधकों और कैदियों की रिहाई को लेकर नया विवाद सामने आया है। इजराइल ने हमास पर संघर्ष विराम समझौते के उल्लंघन का आरोप लगाया है और फिलिस्तीनी कैदियों की रिहाई को अगली अदला-बदली तक स्थगित कर दिया है।

इजराइल ने पश्चिमी तट पर सैन्य दबाव बढ़ाया

इजराइल के रक्षा मंत्री ने कहा कि उत्तरी पश्चिमी तट में रहने वाले 40,000 लोगों को विस्थापित किया गया है और अब उन्हें वापस लौटने की अनुमति नहीं दी जाएगी। यह कदम तब उठाया गया जब इजराइल ने अपने टैंकों को पश्चिमी तट पर तैनात किया – ऐसा पहली बार हुआ जब 2002 के बाद इस इलाके में टैंकों का इस्तेमाल किया गया हो।

फिलिस्तीनी अधिकारियों और मानवाधिकार संगठनों ने इजराइल पर जबरन विस्थापन का आरोप लगाया है, जिसे अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन माना जा सकता है।

इजराइल-हमास संघर्ष विराम पर संकट: बंधकों और कैदियों की रिहाई में रुकावट

इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के कार्यालय ने एक बयान में कहा कि फिलिस्तीनी कैदियों की नियोजित रिहाई को रोक दिया गया है क्योंकि हमास अगले इजराइली बंधकों की रिहाई की गारंटी नहीं दे रहा है।

हमास ने इजराइल के इस कदम को संघर्ष विराम समझौते का उल्लंघन बताया और कहा कि, “इजराइल जानबूझकर समझौते को बाधित करने की कोशिश कर रहा है। वह अपनी शर्तों से बचने के लिए बहाने बना रहा है।”

हमास का आरोप: इजराइल कर रहा है समझौते का उल्लंघन

हमास के राजनीतिक ब्यूरो के सदस्य एज्जत एल रश्क ने बयान जारी कर कहा,

“यह निर्णय संघर्ष विराम समझौते का जानबूझकर किया गया उल्लंघन है और यह साबित करता है कि इजराइल को अपने दायित्वों को लागू करने में कोई दिलचस्पी नहीं है।”

हमास ने आगे यह भी दावा किया कि,

“इजराइल की ओर से कहा जा रहा है कि हमास ने बंधकों के हस्तांतरण समारोह में उन्हें अपमानित किया। जबकि वास्तविकता यह है कि इजराइल खुद फिलिस्तीनी कैदियों के साथ अमानवीय व्यवहार करता है।”

हमास के अनुसार, इजराइली अधिकारियों ने फिलिस्तीनी कैदियों के हाथ बांध दिए, उनकी आंखों पर पट्टी बांध दी और उनकी रिहाई के दौरान किसी भी प्रकार का समारोह आयोजित करने से रोका।

गाजा में हालात बदतर: मरने वालों की संख्या 61,709 के पार

गाजा के स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, गाजा पर इजराइली हमलों में अब तक 48,319 लोग मारे जा चुके हैं और 111,749 लोग घायल हुए हैं। वहीं, सरकारी मीडिया कार्यालय के आंकड़ों के अनुसार, मलबे में फंसे हजारों लापता फिलिस्तीनियों को जोड़कर मृतकों की संख्या कम से कम 61,709 हो सकती है।

वहीं, 7 अक्टूबर 2023 को हमास के हमले के दौरान इजराइल में कम से कम 1,139 लोग मारे गए थे और 200 से अधिक लोगों को बंदी बना लिया गया था।

बंधकों की अदला-बदली पर रुकावट क्यों?

शनिवार को हमास ने छह इजराइली बंधकों को रिहा किया था, लेकिन इसके बाद इजराइल ने आरोप लगाया कि हमास संघर्ष विराम की शर्तों का उल्लंघन कर रहा है।

नेतन्याहू के कार्यालय ने बयान में कहा,

“इजराइल फिलिस्तीनी कैदियों को तब तक रिहा नहीं करेगा जब तक कि अगले इजराइली बंधकों की रिहाई की पूरी गारंटी नहीं मिलती।”

हमास ने इजराइली कैदियों को मंच पर लाने और उन्हें बोलने की अनुमति देने का बचाव किया और कहा कि यह सम्मानजनक व्यवहार था। लेकिन इजराइल इसे “अपमानजनक समारोह” बताकर विरोध कर रहा है।

क्या संघर्ष विराम टूटने की कगार पर है?

इस पूरे घटनाक्रम के बाद गाजा संघर्ष विराम समझौते की नाजुकता और बढ़ गई है।

इजराइल और हमास के बीच पहले ही कई मुद्दों पर तनाव चरम पर था, लेकिन अब कैदियों की अदला-बदली में रुकावट के चलते संघर्ष विराम पर खतरा मंडराने लगा है।

विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यह गतिरोध बना रहा तो इजराइल फिर से गाजा में सैन्य अभियान शुरू कर सकता है, जिससे हालात और बिगड़ सकते हैं।

निष्कर्ष

  • इजराइल ने उत्तरी पश्चिमी तट में 40,000 से अधिक फिलिस्तीनियों को विस्थापित किया।
  • 2002 के बाद पहली बार इजराइली टैंक पश्चिमी तट पर तैनात।
  • हमास और इजराइल के बीच बंधकों की अदला-बदली को लेकर विवाद।
  • इजराइल ने संघर्ष विराम समझौते के तहत कैदियों की रिहाई रोकी।
  • गाजा में मरने वालों की संख्या 61,709 के पार।
  • संघर्ष विराम टूटने की आशंका बढ़ी।

क्या होगा आगे?

संयुक्त राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय समुदाय इजराइल-हमास संघर्ष विराम को बचाने के लिए दबाव बना रहे हैं, लेकिन हालिया घटनाओं से यह और कठिन होता जा रहा है। आने वाले दिनों में यह देखना अहम होगा कि क्या यह विवाद संघर्ष विराम को पूरी तरह खत्म कर देगा या फिर किसी नए समझौते की राह खुलेगी।

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