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ईरान में इजराइल का हवाई हमला, सैन्य ठिकानों को बनाया निशाना

मुस्लिम नाउ ब्यूरो,रियाद

शनिवार सुबह इजराइल ने ईरान में सैन्य ठिकानों को निशाना बनाते हुए हवाई हमले शुरू किए. इजराइल रक्षा बल (आईडीएफ) ने सोशल मीडिया पर एक बयान में कहा कि ये हमले “ईरान द्वारा महीनों से किए जा रहे लगातार हमलों” के जवाब में किए गए हैं. आईडीएफ के बयान में कहा गया, “अभी इजराइल रक्षा बल ईरान में सैन्य लक्ष्यों पर सटीक हमले कर रहा है.”

इजराइल ने यह जवाब 1 अक्टूबर को ईरान द्वारा किए गए बैलिस्टिक मिसाइल हमले के लिए दिया, जो कि पिछले छह महीनों में इजराइल पर ईरान का दूसरा सीधा हमला था. बयान में आईडीएफ ने स्पष्ट किया कि “ईरान और उसके क्षेत्रीय प्रतिनिधि 7 अक्टूबर से इजराइल पर सात मोर्चों से हमला कर रहे हैं, जिसमें ईरानी धरती से सीधे हमले भी शामिल हैं.

दुनिया के हर संप्रभु राष्ट्र की तरह, इजराइल को भी अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए जवाब देने का अधिकार है/”

इस बयान को आईडीएफ के मुख्य प्रवक्ता रियर एडमिरल डैनियल हैगरी ने पढ़ा, जिसमें कहा गया, “हम इजराइल राज्य और उसके नागरिकों की सुरक्षा के लिए जो भी आवश्यक होगा, करेंगे। हमारी रक्षात्मक और आक्रामक क्षमताएँ पूरी तरह से सक्रिय हैं.”

ईरान की राजधानी तेहरान में इन हमलों के बाद विस्फोटों की आवाज़ सुनी जा रही थी. सरकारी मीडिया ने बताया कि तेहरान के आसपास कम से कम छह बड़े विस्फोट हुए हैं. हालांकि उनका दावा है कि कुछ आवाज़ें वायु रक्षा प्रणालियों से आई थीं.

एसोसिएटेड प्रेस के मुताबिक, तेहरान के एक निवासी ने सात बड़े धमाके सुने जाने की जानकारी दी, जिससे आसपास का क्षेत्र दहल गया. उस निवासी ने प्रतिशोध के डर से नाम न छापने की शर्त पर यह जानकारी दी.।

ईरान के सरकारी टीवी ने बाद में कहा कि राजधानी के इमाम खुमैनी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे और मेहराबाद हवाई अड्डे सामान्य रूप से संचालित हो रहे हैं और उनकी गतिविधियाँ तय समय पर जारी हैं. टीवी प्रस्तोता ने इन हवाई अड्डों के प्रमुखों का हवाला देते हुए कहा कि सब कुछ सामान्य रूप से चल रहा है.

अमेरिका के प्रमुख समाचार चैनल एनबीसी न्यूज और एबीसी न्यूज ने एक इजराइली अधिकारी का हवाला देते हुए बताया कि इन हमलों में इजराइल ने ईरानी परमाणु स्थलों या तेल क्षेत्रों को निशाना नहीं बनाया है, बल्कि केवल सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया है.

वाशिंगटन में, व्हाइट हाउस की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के प्रवक्ता सीन सेवेट ने इन हमलों को “आत्मरक्षा का एक कदम” बताते हुए कहा कि यह 1 अक्टूबर को ईरान द्वारा इजराइल पर किए गए मिसाइल हमले का सीधा जवाब है. एक अमेरिकी रक्षा अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर एएफपी को बताया कि अमेरिका को इन हमलों के बारे में पहले से सूचित किया गया था, लेकिन इसमें अमेरिका की कोई भूमिका नहीं थी.

सीरियाई सरकारी मीडिया ने यह भी कहा कि इजराइली हवाई हमलों ने सीरिया के मध्य और दक्षिणी क्षेत्रों में कुछ सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया है. इस घटनाक्रम ने पूरे क्षेत्र में स्थिति को और गंभीर बना दिया है.

गौरतलब है कि ईरान ने पिछले कुछ महीनों में इजराइल पर दो बैलिस्टिक मिसाइल हमले किए हैं, जो गाजा पट्टी में चल रहे इजराइल-हमास युद्ध के बीच में किए गए. यह युद्ध 7 अक्टूबर, 2023 को हमास के इजराइल पर हमले से शुरू हुआ था. इजराइल ने तब से लेबनान में भी ज़मीनी हमले किए हैं, और हिज़्बुल्लाह के साथ उसकी मुठभेड़ जारी है.

अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन के मध्य पूर्व दौरे के तुरंत बाद हुए इस हमले ने क्षेत्रीय तनाव को और बढ़ा दिया है. अमेरिकी अधिकारियों ने इजराइल को सलाह दी थी कि वह ऐसी प्रतिक्रिया देने से बचें जो संघर्ष को और बढ़ाए, विशेषकर ईरान के परमाणु स्थलों को निशाना न बनाने की चेतावनी भी दी थी.

व्हाइट हाउस के प्रवक्ता सीन सेवेट ने कहा, “हम समझते हैं कि इजराइल सैन्य ठिकानों पर लक्षित हमले कर रहा है,” और अधिक जानकारी के लिए उन्होंने पत्रकारों को इजराइल की ओर भेजा. इजराइल ने 1 अक्टूबर के ईरानी हमले के बाद जोरदार जवाब देने की कसम खाई थी, जब तेहरान ने इजराइल के खिलाफ अपने प्रॉक्सी हिजबुल्लाह के खिलाफ हमलों का जवाब दिया था.

1979 की इस्लामी क्रांति के बाद से ही इजराइल और ईरान एक-दूसरे के कट्टर दुश्मन रहे हैं. इजराइल हमेशा ईरान को अपनी सबसे बड़ी सुरक्षा चुनौती मानता आया है, उसके नेताओं द्वारा इजराइल को खत्म करने के आह्वान, इजराइल-विरोधी आतंकवादी समूहों का समर्थन और देश के परमाणु कार्यक्रम को लेकर इजराइल की चिंता बनी हुई है.

दोनों देश कई वर्षों से एक छाया युद्ध में उलझे हुए हैं, जिसमें इजराइल पर ईरानी परमाणु वैज्ञानिकों की हत्या का भी आरोप लगा है.

इन ताज़ा हमलों ने इस क्षेत्र में तनाव को और बढ़ा दिया है, और दोनों देशों के बीच किसी भी तरह की प्रत्यक्ष मुठभेड़ का खतरा साफ दिखाई दे रहा है. इस संघर्ष के आगे बढ़ने से पूरे मध्य पूर्व में अस्थिरता का खतरा मंडरा रहा है.