गाजा पर इजराइल युद्धः 11,500 बच्चों की मौत, 17,000 बच्चे लावारिस
मुस्लिम नाउ ब्यूरो, रियाद
तमाम अंतरराष्ट्रीय दबाव के बावजूद गाजा में इजरायली सेना के मौत का तांडव जारी है. युद्ध के 120 दिनों के दौरान गाजा में अब तक 11,500 बच्चों की मौत हो चुकी है, जबकि 17,000 बच्चे अभिभावकों के मारे जाने के कारण लावारिस हो गए हैं.युद्ध में अब तक 27,131 लोग मारे गए, जबकि 66,287 घायल हुए हैं.
यूनिसेफ का कहना है कि संघर्ष के दौरान गाजा में लगभग 17,000 बच्चे अकेले हैं या अपने परिवारों से अलग हो गए हैं.इजरायली रक्षा मंत्री द्वारा रफा पर हमला करने की प्रतिज्ञा के बाद दस लाख से अधिक विस्थापित फिलिस्तीनियों को नए इजरायली सैन्य हमले का डर है. यह क्षेत्र कभी सुरक्षित क्षेत्र के रूप में वर्णित था.
गाजा के स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि पिछले 24 घंटों में 112 फिलिस्तीनी मारे गए हैं और 148 घायल हुए हैं.इजरायली अधिकारियों ने शांति, सुरक्षा और स्थिरता को कमजोर करने में उनकी भूमिका के लिए चार इजरायली निवासियों पर प्रतिबंध लगाने के बाद कब्जे वाले वेस्ट बैंक में फिलिस्तीनियों के खिलाफ बसने वालों की हिंसा पर चिंताओं को खारिज कर दिया.
7 अक्टूबर से गाजा पर इजरायली हमलों में कम से कम 27,131 लोग मारे गए हैं और 66,287 घायल हुए हैं. 7 अक्टूबर के हमास हमलों में इजरायल में मरने वालों की संशोधित संख्या 1,139 है.इधर गाजा से खबर है, दक्षिणी गाजा शहर राफा में हजारों लोग एक सड़क पर जमा हो गए, जहां बड़ी संख्या में लोग आगे बढ़ रहे इजरायली जमीनी सैनिकों से शरण मांगते दिखे.
नोहा अल-मधुन ने कहा,“ये हमारे जीवन के सबसे बुरे महीने हैं.” वो उत्तरी गाजा के बेत लाहिया क्षेत्र से किसी तरह बच निकली थी.उन्होंने कहा, “मेरे पति और बड़े बेटे एक तंबू में सोते हैं. हर किसी के लिए कोई जगह नहीं है. उन्होंने कहा, हम फर्श पर सोते हैं और हमें ठंड लगती है. पर्याप्त कंबल भी नहीं है.
118 days of war in #Gaza.
— WHO in occupied Palestinian territory (@WHOoPt) February 2, 2024
People are enduring unimaginable circumstances; they are exhausted, hungry, and traumatized.
Families have lost everything and faced displacement repeatedly.
Thousands lack adequate shelters against the cold and rain, while diseases tighten their… pic.twitter.com/xn19mfYytv
मधुन ने कहा, वहां पर्याप्त अपार्टमेंट या अतिरिक्त टेंट लगाने के लिए जगह भी नहीं हैं.संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, गाजा की 24 लाख की आधी से अधिक आबादी मिस्र की सीमा पर राफा में रहती है.इनके पास मेजबानी के लिए रिश्तेदार नहीं हैं या अपार्टमेंट किराए पर लेने का साधन नहीं है. उन्होंने खुद को जहां भी जगह है तंबू में पाया है. सड़कों के किनारे, सार्वजनिक चैराहों, खेल स्टेडियमों या पार्कों में तंबू लगाए हैं.
32 वर्षीय अब्दुलकरीम मिस्बाह ने कहा, वह उत्तरी जबालिया शरणार्थी शिविर में अपना घर छोड़कर खान यूनिस पहुंचे, लेकिन एक बार फिर वहां से उजड़ गए.हम पिछले हफ्ते खान यूनिस में मौत से बच गए. अपने साथ कुछ भी नहीं लाए. हमें रहने के लिए जगह नहीं मिली. हम पहली दो रातें सड़कों पर सोए. महिलाएं और बच्चे एक मस्जिद में सोए थे. ”
तब उन्हें दान में मिला एक तम्बू प्राप्त हुआ. इसे मिस्र की सीमा के ठीक बगल में स्थापित किया गया.उन्हांेने बताया, “मेरे चार बच्चे ठंड से कांप रहे हैं. वे हर समय बीमार और अस्वस्थ महसूस करते हैं. ”अधिकांश लोग शहर के केंद्र या पश्चिम में केंद्रित हैं. वे पूर्वी किनारों से इजरायली सीमा या उत्तर की ओर जाने से बचने की कोशिश कर रहे हैं, जो खतरनाक रूप से पास के खान यूनिस में लड़ाई के करीब है.
गाजा सिटी निवासी अमजद अब्देल आल, जो राफा में एक स्कूल आश्रय से भाग गए थे, ने कहा कि उन्हें इतनी दूरी तय करने में दो घंटे लगे, जबकि युद्ध से पहले केवल 15 मिनट लगते थे.कंबल और गद्दों के दान के लिए लंबी लाइन में व्हीलचेयर पर बैठकर इंतजार करते हुए उन्हांेने कहा, भीड़ भयानक है.
ईंधन की कमी के कारण बहुत सारी कारें नहीं हैं. हर कोई पैदल चलता है. ट्रक या गधा गाड़ी की सवारी करता है.संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि 7 अक्टूबर से युद्ध के कारण 1.7 मिलियन लोग अपने घरों से मजबूर हो गए हैं.हमास द्वारा संचालित क्षेत्र में स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, इजरायल के आक्रामक हमले में गाजा में कम से कम 27,131 लोग मारे गए हैं, जिनमें ज्यादातर महिलाएं और बच्चे हैं.
खान यूनिस के 41 वर्षीय टैक्सी ड्राइवर मेहरान दब्बाबिश ने कहा कि स्थिति दिन ब दिन खराब होती जा रही है.खान यूनिस और राफा के बीच की सड़क में सबसे ज्यादा 20 से 30 मिनट लगते थे. आज, रफा के भीतर सबसे छोटी यात्रा में डेढ़ से दो घंटे लगते हैं.
भीड़भाड़ हर किसी पर भारी दबाव डाल रही है. इसका मतलब है कि कहीं भी, किसी भी तरह से आना-जाना अविश्वसनीय रूप से कठिन है.एक अन्य गजानिवासी नईमा अल-बयूमी ने अफसोस जताया कि अस्पताल में अपने रिश्तेदार से मिलने के लिए पैदल चार घंटे की यात्रा के आधे रास्ते में ही वह कितनी थक गई थी.
उन्होंने बताया, मैं कई बार गधा गाड़ी पर सवार हुई और तीव्र हाथापाई के कारण गिर गई.बायुमी उस बमबारी के बारे में बताते हुए रोने लगी जो उसके घर पर हुई थी.इसमें उसके जुड़वां बच्चे मारे गए.अपने पति के साथ तंबू में रहने वाली 38 वर्षीय महिला ने कहा, मैंने शादी के 13 साल बाद युद्ध के पहले सप्ताह में उन्हें जन्म दिया.