जम्मू-कश्मीर चुनाव: सियासी साजिश के बीच 415 प्रत्याशी मैदान में
मुस्लिम नाउ ब्यूरो,श्रीनगर
चुनाव के नाम पर मुसलमानों को मुसलमानों से लड़ाने का खेल चल रहा है. एक पक्ष लगातार इस कोशिश में है कि किसी तरह उन्हें सत्ता से बाहर रखा जाए, जिनके बार में चर्चा है कि यदि वे सरकार में लौटे तो उनके खेल खराब कर देंगे, जो इस कोशिश में हैं कि किसी तरह मुस्लिम बहुल आबादी में वाले प्रदेश में मुसलमान ही सत्ता से बेदखल हो जाएं.
इस कोशिश को परवान चढ़ान के लिए आंतकवादियों को फंडिंग जैसे गंभीर मामले का सामना कर रहे आरोपी को ऐन चुनाव के समय जेल से बाहर लाया गया है. इसके अलावा हर उन सीटों पर ‘डमी उम्मीदवारों’ की बाढ़ लाई गई है, जहां से पुराने लोगों की सत्ता वापसी संभव है.
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‘अब्दुल्ला परिवार‘ और ‘मुफ्ती परिवार‘ लगातार इस सियासी साजिश की ओर इशारा कर रहा है. यहां तक कि उन्हें एक सीट से छुपकर नामांकन भरना पड़ा ताकि विरोधियों को पता नहीं चले और उनके मुकाबले ‘प्लांटेड’ प्रत्याशी मैदान में न उजारे जाएं.
महबूबा मुफ्ती की बेटी तो इस कदर इस अनाम साजिश से डरी हुई हैं कि जबकि एक ‘खास न्यूज’ एजेंसी ने उनसे बातचीत करने की कोशिश की तो यह कहकर मना कर दिया कि तुम मेरे मुंह में डाल कर ऐसी बात बुलवा दोगे, जिससे बाद में विवाद पैदा हो जाएगा.’’ यही नहीं महबूबा को ‘कश्मीरी दुश्मन’ साबित करने के लिए भी हर संभव कोशिशें चल रही हैं.,उन्हें इस चुनाव में सबसे कमजोर पक्ष बताया जा रहा है.परिणामस्वरूप इस समय महबूबा और उनकी पार्टी अपने सियासी वजूद बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं.
जम्मू और कश्मीर में चुनाव के नाम पर मुसलमानों को मुसलमानों के सामने खड़ा करने का कितना गंभीर खेल चल रहा है, इसका अंदाजा इससे भी लगा सकते हैं कि मामूली विधानसभा क्षेत्र से भी सौ-सौ प्रत्याशी मैदान में हैं. मानों जीत गए तो कारून का खजाना उनके हाथ लगने वाला है. जबकि एक पक्ष इस सूबे की प्रमुख पार्टियों पर आरोप लगाता रहा है कि जम्मू-कश्मीर के प्रमुख सियासी दलांे ने यहां की संपत्तियां हड़प ली हैं.
भ्रष्टाचार चरम पर पहुंच गया था. जबकि हकीकत यह है अनुच्छेद 370 हटने के बावजूद जम्मू और कश्मीर में ऐसा कुछ नहीं बदला है जिसका प्रमुखता से उल्लेख किया जाए. सिवाए शोर-शराबा के. प्रचार और गोदी मीडिया के माध्यम से ऐसा जाहिर किया जाता है मानों पिछले पांच सालों में कश्मीर ने सोने का अंडा देना शुरू कर दिया है.
रही बात विधानसभा में उम्मीदवारों की तो एक न्यूज एजेंसी के अनुसार,जम्मू और कश्मीर के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने कहा,आगामी जम्मू और कश्मीर विधानसभा चुनाव 2024 के तीसरे और अंतिम चरण के लिए 40 विधानसभा क्षेत्रों में नामांकन पत्र वापस लेने के अंतिम दिन, 34 उम्मीदवारों ने मंगलवार को सात जिलों में संबंधित रिटर्निंग अधिकारियों के कार्यालय में अपने नामांकन वापस ले लिए. इसके बाद अंतिम दौर के चुनाव में 415 उम्मीदवार मैदान में रह गए हैं.
मुख्य निर्वाचन अधिकारी के कार्यालय ने बताया कि कुल 449 वैध नामांकनों में से 34 उम्मीदवारों ने नामांकन वापस लेने की अंतिम तिथि, मंगलवार, 17 सितंबर तक अपने नामांकन वापस ले लिए. इसके बाद, अब 40 विधानसभा क्षेत्रों के लिए 415 वैध नामांकित उम्मीदवार मैदान में रह गए हैं, जहां मतदान 1 अक्टूबर को तीसरे चरण में होगा.
कुपवाड़ा जिले में 16 उम्मीदवारों ने अपना नामांकन वापस लिया है. इसके बाद बारामुल्ला जिले में 6, जम्मू जिले और बांदीपोरा जिले में 4-4, कठुआ जिले में 3 और उधमपुर जिले में 1 उम्मीदवार ने अपना नामांकन वापस लिया है, जबकि सांबा जिले में किसी भी उम्मीदवार ने अपना नामांकन वापस नहीं लिया है.
कुल मिलाकर, जम्मू जिले में 109 उम्मीदवार अंतिम चुनावी मैदान में रह गए हैं. इसके बाद बारामुल्ला जिले में 101, कुपवाड़ा जिले में 59, बांदीपोरा जिले में 42, उधमपुर जिले में 37 और कठुआ जिले में 35 उम्मीदवार हैं. जबकि सांबा जिले में 32 उम्मीदवार अंतिम चुनावी मैदान में रह गए हैं.
उल्लेखनीय है कि 12 सितंबर को नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि तक 40 विधानसभा क्षेत्रों में 486 उम्मीदवारों ने संबंधित रिटर्निंग अधिकारियों के समक्ष अपने नामांकन पत्र दाखिल किए थे. इनमें से 13 सितंबर को हुई जांच के दौरान 449 उम्मीदवारों के नामांकन पत्र वैध पाए गए और अब 34 उम्मीदवारों के नाम वापस लेने के बाद तीसरे चरण के लिए अंतिम चुनावी मैदान में 415 उम्मीदवार रह गए हैं.
अधिकारी ने बताया कि इसके साथ ही 90 विधानसभा क्षेत्रों के लिए होने वाले विधानसभा चुनाव में कुल 873 उम्मीदवार अंतिम चुनावी मैदान में होंगे, जिसमें पहले चरण में 24 विधानसभा सीटों के लिए 219 उम्मीदवार, दूसरे चरण में 26 सीटों के लिए 239 उम्मीदवार और अंतिम चरण में 40 सीटों के लिए 415 उम्मीदवार शामिल हैं.