Politics

Jammu Kashmir ‘जन्नत’ में सेब एवं जाफरान के बाग लगाने वाले मायूस, नए कानून में बाहरी को कृषि भूमि खरीदने की इजाज़त नहीं

धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले कश्मीर में  सेब और जाफरान की बागवानी के लिए जमीन खरीदने का सपना देखने वालों को केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने मायूस किया. जम्मू कश्मीर को अनुच्छेद 370 के तहम मिले विशेषाधिकार के एक साल बाद केंद्र ने भूमि के मालिकाना कानून में बदलाव कर यहां जमीन खरीदने की इजाज़त तो दी. मगर जमीन के खरीदारों को बाग़वानी एवं  खेती के लिए भू खंड खरीदने की इजाज़त नहीं होगी.

इसका गजट नोटिफीकेशन जारी किया गया. हालांकि केंद्र के  इस फैसले पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए ‘इंडिया टुडे’ चैनल से बातचीत में जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने विरोध दर्ज कराया है. साथ ही मोदी सरकार पर तंज किया कि-‘कश्मीर अब बिकने को तैयार.’ बावजूद इसके हकीक़त है कि यदि वहां किसी को खेती के लिए जमीन खरीदने की इजाज़त नहीं है तो फिर वहां बसने का कोई अर्थ नहीं रह जाता. इसके कई कारण हैं. एक तो यही कि यह प्रदेश बेहद संवेदनशील है. तमाम प्रयासों के बावजूद आतंकवादी गतिविधियाँ यहां थमने का नाम नहीं ले रहीं. आए दिन सेना और आतंकवादियों के बीच मुठभेड़ होती रहती है. इसके अलावा इसके अधिकांश हिस्से में बड़े उद्योग लगाना नामुमकिन है. ऐसे में कोई डिस्टर्ब एरिया में ऐशगाह के निर्माण के लिए जमीन खरीदेगा, यह समझ से परे है.
          केंद्र के इस फैसले की आलोचना हो रही है. एक तरफ लद्दाख वासियों के दबाव में आकर केंद्र वहां गैरलद्दाखियों को जमीन खरीदने एवं नागरिकता देने की इजाज़त नहीं देने पर राजी हो गई है. दूसरी तरफ उसी पुराने प्रदेश में विरोध के बावजूद यह दोनों कार्य किए जा रहे हैं . कश्मीरी पंडित पर प्रदेश की नागरिकता कानून में बदलाव का विरोध कर रहे हैं. इसके अलावा एक और बात काबिल-ए-गौर है. देश के कई प्रांतों में आज भी बाहरी लोग कृषि भूमि नहीं खरीद सकते. अनुच्छेद 371 के  विशेष अधिकार के तहत आजादी के बाद देश के कई हिस्सों को संघ में शामिल करने और उनकी विशेषता बचाए रखने के लिए कुछ विशेषाधिकार दिए गए हैं.
           इसके तहत पूर्वोत्तर के कई राज्यों और हिमालयन राज्यों को यह अधिकार मिला है. ऐसे राज्यों में हिमाचल प्रदेश,नगालैंड, असम,मणिपुर, सिक्किम, मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश, कर्नाटक, उत्तराखंड, तमिलनाडु शामिल हैं. इनमें से कुछ प्रदेशांें में सीमित एरिया में ही जमीन खरीदना संभव है.

pic social media

नोटः वेबसाइट आपकी आवाज है। विकसित व विस्तार देने तथा आवाज की बुलंदी के लिए आर्थिक सहयोग दें। इससे संबंधित विवरण उपर में ‘मेन्यू’ के ’डोनेशन’ बटन पर क्लिक करते ही दिखने लगेगा।
संपादक