Culture

Jashn-e-Rekhta 2023  : साहित्य उत्सव या उर्दू के नाम पर कारोबार

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली

उर्दू अदब की जानकारी आम लोगों तक पहुंचाने के लिए शुरू की गई रेख़्ता वेबसाइट और जश्न-ए-रेख्ता, अब कारोबार का माया जाल बन गए हैं. उर्दू की सेवा के नाम पर लोगों को इस भाषा साहित्य और इसे गढ़ने वालों से परिचय कराने की बजाए इसके संस्थापकों की ओर से कोशिश की जा रही है कि कैसे उर्दू के नाम पर भीड़ इकट्ठी कर लोगों की जब से रकम निकाली जाए. जश्न-ए-रेख्ता 2023 इसका बेहतर उदाहरण बन गया है.

पहली बार टिकट के नाम पर वसूली

दिल्ली में आयोजित जश्न-रेख़्ता का यह संस्करण आठवां है. यानी अब से पहले ऐसे सात आयोजन हो चुके हैं. मगर इस साल से पहले तक आयोजन स्थल पर पहुंचने के लिए कोई पैसे नहीं लगते थे. इस बार एक दिन के प्रवेश का टिकट कम से कम 300 रुपये का है. शुक्रवार से शुरू आयोजन रविवार तक चलेगा. यानी जश्न-ए-रेख्ता के तीनों दिन के कार्यक्रम में शामिल होना है तो आपको कम से कम 900 से 1000 हजार रुपये खर्च करने होंगे. इसके अलावा यदि इसके मुख्य पंडाल में किसी बड़े शायर को सुनने के लिए आगे की दो-तीन पंक्तियांे में बैठने हैं तो गोल्ड-पलाटीनम टाइप टिकट खरीदने के बदले हजारों में कीमत अदा करनी होगी.

चाय की कीमत 80 रुपये

सुनकर आप जरूर चौंक जाएंगे कि चाय की कीमत 80 रुपये. जश्न-ए-रेख्ता में तंदूरी चाय के नाम पर 80 रुपये तक वसूले जा रहे हैं. तंदूरी चाय दरअसल मिट्टी के बर्तन को चूल्हे में गर्म कर उसपर बनी-बनाई चार गिराई जाती है, वही चाय तंदूरी चाय के नाम पर 80 रुपये प्रति कप पिलाई जा रही है. जश्न-ए-रेख्ता मंे खाने पीने के सामान इतने महंगे हैं कि कीमत सुनकर ही आपके होश उड़ जाएंगे. जाहिर है फूड कोर्ट में स्टाॅल लेने वालों को मोटी रकम चुकानी पड़ी होगी, इसलिए बदले मंे स्टाॅल वाले ग्राहकों से मोटा वसूल रहे हैं.

जश्न-ए-रेख्ता के नाम पर बिक रहा तकिया और कुशन

अब तक के जश्न-ए-रेख्ता में बुक स्टॉल पर उर्दू साहित्य और इससे संबंधित पुस्तक या अन्य चीजों ही बिका करती थीं. अब इस कारोबारी जश्न में तकिया और कुशन तक बेचा जा रहा है. किताबों की दुकानों पर भी साहित्य से कहीं अधिक कुछ दूसरे विषयों की किताबें बेची जा रही हैं. यहां तक कि रोजमर्रा की छोटी-छोटी चीजें भी जश्न-ए-रेख्ता से खरीदी जा रही हैं. यानी उर्दू अदब के इस मेले को धीरे-धीरे सरस मेला और सूरजकुंड मेला का शक्ल दिया जा रहा है.

जश्न-ए-रेख्ता के माहौल में फीकापन

जश्न-ए-रेख्ता के समारोह में जहां पहली बार प्रवेश के टिकट के पैसे वसूले जा रहे हैं, वहीं कई तरह की सुविधाएं भी कम कर दी हैं. मेन गेट और सेल्फी प्वाइंट के करीब के मंच को पहले की तुलना में छोटा कर दिया गया है. पिछले साल भी मेन गेट की बाईं ओर और गालिब सेल्फी प्वाइंट के पीछे मंच बनाए गए थे. मगर इस बार कुर्सियां भी यहां कम लगाई गई हैं.

जश्न-ए-रेख्ता की रंगत में भी कटौती

जश्न-ए-रेख्ता उर्दू अदब के साथ अपनी खुशनुमा रंगत, जोरदार ठहाका लगाते लोगों के लिए भी जाना जाता है. आयोजकों ने इसमें भी कटौती कर. फ्री एंट्री की जगह पर पैसे पर टिक लगाकर एक तो उर्दू के चाहने वाले आम लोगों को गेट के बाहर ही रोक दिया,दूसरे बजट में कटौती करने के लिए झंडे, पताका एवं रंगों में भी कटौती कर दी है. इससे पहले जश्न-ए-रेख्ता के आयोजन स्थल को चंपई,लाल, गुलाबी, पीला, हरा, ब्लू रंग के झंडा, पताका, लरियों एवं झालरों से सजाया जाता था. इस दफा सारे खुशनुमा रंग काट कर महफिल में नीला और सुरमई रंग भर दिया गया है.

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रेख़्ता लर्निंग कोर्स

वेबसाइट के माध्यम से उर्दू की छोटी-बड़ी जानकारी उपलब्धि कराने का शुरू हुआ सिलसिला अब करोड़ों रूपये के कारोबार में बदल चुका है. अब इसके योजन न केवल लंदन में हो रहे हैं, एमेजोन जैसे कारोबारी वेबसाइट पर भी इसकी सामग्री बेची जा रही है. रेख्ता फाउंडेशन अब पूरी तरह करोड़ा रूपये के कारोबार में बदल चुका है. इस कड़ी में जश्न-ए-रेख्ता 2023 से उर्दू में शायरी सिखाने के लिए ‘रेख्ता लर्निंग कोर्स’ शुरू किया गया है. इस कोर्स का उदघाटन जश्न-ए-रेख्ता के उद्घाटन कार्यक्रम के मुख्य अतिथि लेखक एवं शायर जावेद अख्तर ने किया.

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