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‘उर्दू की ईद’ जश्न-ए-रेख्ता में जावेद अख्तर बोले, उर्दू-हिंदी जुड़वा बहनें

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली

शायर और पटकथा लेखक जावेद अख्तर के इन चुटीले शब्दों के साथ कि जब तक आपकी समझ में आए तब तक हिंदी और जब समझ में न आए तो उर्दू, नई दिल्ली के नेशनल स्टेडियम में तीन दिवसीय ‘उर्दू की ईद’ जश्न रेख््ता का आगाज हो गया.

अपने उद्घटन भाषण में जावेद अख्तर ने कहा कि हिंदुस्तानी बोली को उर्दू कहते हैं.उन्होंने कहा कि उर्दू केवल हिंदुस्तान में बोली जाती है, कहीं और नहीं. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में केवल वही लोग उर्दू बोलते हैं, जो 75 साल पहले बटवारे के समय हिंदुस्तान से पाकिस्तान चले गए थे.

जावेद अख्तर ने कहा कि हिंदुस्तानी की खड़ी बोली ही उर्दू है. उर्दू को पहले हिंदवी कहा जाता था.जावेद अख््तर ने एक फिल्म के गाने लिखने का किस्सा सुनाते हुए कहा, एक बार उन्हें धुन पर गाना लिखने को कहा गया. उन्होंने ने गाना ऐसा लिखा कि उसमंे श्री कृष्ण के नाम ही नाम थे. इसपर जब डायरेक्टर पे उनसे पूछा किया कि आपको श्री कृष्ण के इतने नाम कैसे पता हैं. इतने नाम तो मुझे भी नहीं मालूंम. इसपर जावेद ने जबवा दिया कि वह उर्दू जानते हैं, इसलिए यह संभव हो सका.

जावेद अख्तर ने कहा कि उर्दू गंगा-जमुनी तहजीब की जुबान है. हिंदी की जुड़वा बहन है. इसका फायदा उठाएं। अपने शब्दकोष बढ़ाएं. उन्होंने हिंदी गाने में उर्दू शब्दों के इस्तेमाल पर कहा कि यह आसानी से सब की समझ में आ जाता है.

उन्होंने व्यंग करते हुए कहा कि जिस भाषाविद की बात समझ में न आए वह पढ़ा लिखा जाहिल है.जावेद अख्तर ने कहा कि उर्दू ने हमेशा बगावती तेवर अपनाए हैं. मीर तकी मीर ने दो सौ साल पहले मुल्लाओं के खिलाफ शेर कहे थे. जबकि इससे पहले भी कट्टर वाद के खिलाफ शायरी की गई है. उर्दू ने अंग्रेजों के खिलाफ बगावती तेवर अपनाए. उन्होंने कहा कि उर्दू गंगा जमुनी तहजीब की भाषा है. दो सौ साल पहले बनारस के मंदिरों और घाटों की शान में उर्दू में शायरी की गई.

उन्होंने युवा वर्ग में शेर ओ शायरी की ललक को देखते हुए मशवरा दिया कि उन्हें शायरी की तरबियत देने के लिए कोई ऐसा संस्थान खोला जाए जहां वे आकर रदीफ, काफिया जैसी शायरी तकनीक सीख सकें.जावेद अख्तर ने जश्न रेख््ता के आयोजक संजीव शराफ की तरफ करते हुए कहा कि साइंस का उसूल है कि कोई जगह खानी नहीं रहती. उर्दू की खाली जगह को संजीव शराफ ने भरा है.

कोरोना महामारी के कारण दो साल के अंतराल के बाद आयोजित जश्न रेख्ता के पहले ही दिन उर्दू के चाहने वालों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी. खाने-पीने के स्टॉल के अलावा यहां करीब सौक स्टॉल किताबों, कपड़ों, इत्र, फैशन के सामानों के भी लगाए गए हैं. जश्न रेख्ता के पहले दिन युवाओं का उत्साह देखते बनता था. जावेद अख्तर के उद्घाटन भाषण के बाद कत्थक नृत्य और फिर हरिहरण के गायन का प्रोग्राम आयोजित किया गया.