इमारत ए शरिया से झारखंड अलग हो गया ? Jharkhand separated from Imarat e Sharia
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मुस्लिम नाउ ब्यूरो, पटना
बिहारी की राजधानी पटना और झारखंड के कुछ मीडिया कर्मियों द्वारा यह जानकारी तेजी से फैलाई जा रही है कि देश के बड़े मुस्लिम अदारों में से एक इमारत ए शरिया दो फाड़ हो गई है. इमारत ए शरिया बिहार झारखंड और उडिसा से झारखंड अलग हो गया. 100 साल के इतिहास में यह पहली बार हुआ कि मुफ्ती नजर तौहिद को झारखंड इमारत ए शरिया का पहला अमीर बनाया गया है.
ऐसे ही एक मीडिया घराने ने अपने व्हट्सअप चैनल से जानकारी दी, ‘‘मुफ्ती नजर तौहिद साहब बने झारखंड इमारत ए शरिया के पहले अमीर ए शरीयत.मुफ्ती साहब को बहुत-बहुत बधाई. आशा है कि आप इतिहास बनाएंगे ताकि आने वाली पीढ़ियां झारखंड इमारत ए शरिया के पहले अमीर ए शरीयत की उपलब्धियों को याद रखें. झारखंड के नए अमीर ए शरीयत का बयान भी आ गया है.’’
इसने आगे लिखा, ‘‘मुफ्ती नजर तौहिद ने झारखंड इमारत ए शरिया के अमीर ए शरीयत चुने जाने की तस्दीक की है. झारखंड के पहले अमीर ए शरीयत मुफ्ती नजर तौहिद ने कहा है कि तीन दशक से मैं इमारत ए शरिया से जुड़ा हूं.इसके शूरा,आमला का सदस्य रहा हूं.इधर,झारखंड पर इमारत ए शरिया की तवज्जो नहीं रही.झारखंड की तरफ से हमेशा हमने बात उठाने की कोशिश की, मगर हर बार बात को अनसुनी कर दी गई.आज उलेमा ने एक बैठक कर मुझे झारखंड का अमीर ए शरीयत चुन लिया.’’
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कौन हैं मुफ्ती नजर तौहिद?
अब बताते हैं कि मुफ्ती नजर तौहिद कौन हैं ? दरअसल वह मजाहिरी जामिया रशिदूल उलूम चतरा, झारखंड के मोहतमिम और शैख उल हदीस हैं.ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य भी हैं.इमारत ए शरिया के कार्यकारिणी सदस्य और शूरा के मेंबर भी रहे हैं.इमारत ए शरिया ट्रस्ट के सदस्य भी हैं.
क्या इमारत ए शरिया में दरार आ गई ?
जब से देश के इस बड़े मुस्लिम अदारे से जुड़ी यह खबर फैलाई गई है, तब यह सवाल पूछा जा रहा है कि क्या वास्तव में इमारत ए शरिया दो फाड़ हो गई है ? ऐसे ही सवालांे से परेशान होकर इमारत ए शरिया के सचिव की ओर से मुस्लिम अवाम को मुखातिब करते हुए एक पत्र जारी करना पड़ा. इसमें सफाई दी गई कि दरअसल हुआ क्या ? और ऐसी अफवाह लोग क्यों फैला रहे हैं ?
पहले इमारत ए शरिया के बयान के बारे में जानन लें. इस अदारे ने इस बात को पूरी तरह खारिज कर दिया है कि इमारत ए शरिया बिहार, झारखंड और ओडिशा में किसी तरह की कोई फूट पड़ी है. इस बयान में बताया गया कि अदारा किस तरह झारखंड मंे काम कर रहा है और कितने उल्लेखनीय कार्य किए गए हैं. इस बयान में झारखंड के लिए काम करने वाले शख्स की तारीफ भी की गई है. यानी झारखंड इमारत शरिया से अलग नहीं हुआ है.
क्या हुई साजिश ?
दरअसल, उलेमा और मुस्लिम बुद्धिजीवियों का एक तबका हमेशा इस फिराक में रहता है कि कैसे इमारत ए शरिया पर काबिज हुआ जाए. इसके लिए इसके पदाधिकारों एवं काम काज पर सवाल उठाए जाते रहते हैं. यह पहली बार नहीं हुआ कि किसी शख्स ने किसी प्रदेश की अनदेखी का इमारत पर आरोप लगाया है.
ताजा साजिश का खुलासा करते हुए पटना फुलवारीशरीफ स्थित इमारत ए शरिया के कार्यकारी सचिव मौलाना शिब्ली अल कासमी ने अपने बयान में कहा, ‘‘झारखंड में एक बैठक उलेमा की जरूर बुलाई गई थी,लेकिन इस मकसद से नहीं बुलाई गई थी.कुछ लोगों ने धोखा में रख कर एलान जरूर कर दिया. मगर बाकी लोगों ने वहीं पर उठ कर इसको खारिज कर दिया.इमारत से झारखंड के अलग होने की कोई बात नहीं है.इमारत ए शरिया के 100 के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है. उधर सोशल मीडिया पर मुफ्ती नजर तौहिद को झारखंड के पहले अमीर ए शरीयत बनने पर बधाई की खबर वायरल हो रही है, जो इस साजिश का हिस्सा है.