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पत्रकार राणा अय्यूब बनीं ग्लोबल मुस्लिम मीडिया पर्सन ऑफ द ईयर 2021

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली

बेजुबान और उत्पीडन का शिकार मुसलमानों की आवाज माने जाने वाली पत्रकार एवं लेखिका राणा अय्यूब ग्लोबल मुस्लिम मीडिया पर्सन ऑफ द ईयर 2021 चुनी गई हैं. वह भारत से अमेरिकी दैनिक, द वाशिंगटन पोस्ट की पत्रकार हैं. इसके अलावा वह विदेशी अखबारों के लिए कॉलम भी लिखती हैं. गुजरात दंगों पर आधारित उनकी पुस्तक काफी चर्चित रही है.

राणा अय्यूब की उपलब्धियों एवं सक्रियता को देखते हुए नाइजीरिया के आधिकारिक इस्लामिक समाचार पत्र मुस्लिम न्यूज द्वारा ग्लोबल मुस्लिम मीडिया पर्सन ऑफ द ईयर 2021 नामित किया गया है. उन्हें इस सम्मान के लिए नामित करने से पहले काफी विचार मंथन किया गया.

इस श्रेणी के 2020 संस्करण का सम्मान मुख्य कार्यकारी अधिकारी और इस्लाम चौनल के संस्थापक मोहम्मद अली हरथ ने मिला है.शनिवार, 22 अक्टूबर को लागोस, दक्षिण-पश्चिम, नाइजीरिया में जारी एक प्रेस बयान में, मुस्लिम समाचार प्रकाशक, अल्हाजी रशीद अबुबकर ने राणा अय्यूब को आवाजहीन और उत्पीड़ित मुसलमानों की आवाज के रूप में वर्णित किया. इस दौरान बताया गया कि भारत में वह मुस्लिम अधिकारों को लेकर लड़ रही हैं.

अबुबकर के अनुसार, राणा अय्यूब एक निडर, हठी और प्रतिबद्ध पत्रकार हैं. वह मुसलमानों, विशेष रूप से लड़कियों के अधिकारों की वकालत करने में सबसे आगे हैं. आरोप लगाया गया कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश भारत के कई हिस्सों में हिजाब को लेकर मुस्लिम लड़कियों को शिक्षा से वंचित किया जा रहा है.

सम्मान के लिए राणा का नाम घोषित करने के दौरान यह भी आरोप लगाया गया कि भारत में 200 मिलियन से अधिक मुस्लिम अल्पसंख्यकों के उत्पीड़कों को बेनकाब करने पर उन्हें सोशल मीडिया सहित विभिन्न प्लेटफार्मों से परेशान और बदनाम किया गया. इस मामले में अंतरराष्ट्रीय समुदाय हस्ताक्षेप कर चुका है.

हालांकि अय्यूब हिजाब नहीं पहनतीं. पुरस्कार के आयोजकों ने पत्रकार की इस दृढ़ विश्वास के लिए प्रशंसा की कि भारत में हर मुस्लिम लड़की को हिजाब पहनने का मौलिक अधिकार है, और इस अधिकार की रक्षा की जानी चाहिए.कहा गया कि राणा भारतीय मुसलमानों के उत्पीड़न के खिलाफ बोलती हैं. इस उत्पीड़न में मुस्लिम संपत्ति और उनके धर्मस्थलों में तोड़फोड़ सहित कई अन्य मामले भी शामिल हैं.

मुस्लिम न्यूज का मानना है कि राणा अय्यू प्यार या इनाम पाने के लिए यह सब नहीं करतीं. बावजूद इसके मुस्लिम न्यूज नाइजीरिया के मुस्लिमों को लेकर अपनाए गए मंत्र के अनुरूप इस्लाम, मुसलमानों और मानवता के लिए काम करने पर उनकी सराहना और प्रोत्साहित करने को ऐसा कर रहा है.

अल्हाजी अबुबकर ने कहा,वह हिजाब का उपयोग नहीं करतीं. इसका मतलब यह नहीं है कि वह एक दिन इसका इस्तेमाल नहीं करंेगी. तथ्य यह है कि वह एक मुस्लिम हैं और भारत में लाखों लड़कियों के हिजाब पहनने के लिए बोलती हैं. यह एक महान बलिदान है जिसे स्वीकार किया जाना चाहिए.

हमने मुस्लिम महिलाओं को हिजाब के महत्व पर शिक्षित करने के लिए कितना प्रयास किया. खासकर उनकी कम उम्र से.ईरान में बढ़ते हिजाब विवाद की प्रतिक्रिया में अबूबकर ने कहा, यदि उन्हें शिक्षित किया गया है और कुरान और हदीस की सही अभिविन्यास और व्याख्या प्राप्त की गई है, तो वे इसके खिलाफ नहीं होंगे. न ही किसी के मरने की हद तक, राष्ट्रव्यापी विरोध करेंगे.