जेपीएसी टॉपर नुसरत नूह बोलीं-पढ़ेंगे मुसलमान , तभी बढ़ेंग मुसलमान
Table of Contents
मुस्लिम नाउ ब्यूरो, रांची
नुसरत नूर मेडिकल ऑफिसर्स 2022 की झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) की परीक्षा पास करने वाले सफल उम्मीदवारों की सूची में सर्वोच्च रैंक हासिल करने वाली पहली मुस्लिम महिला बनकर इतिहास रच दिया है.झारखंड के जमशेदपुर शहर में जन्मी और पली-बढ़ी, नूर ने पूरी लगन के साथ परीक्षा की तैयारी की और अंततः झारखंड प्रशासनिक परीक्षा में टॉप करने वाली पहली मुस्लिम महिला बनीं.
नूर शादीशुदा हैं और एक बच्चे की मां हैं. वह न्यूरोलॉजी में विशेषज्ञता के साथ एक चिकित्सक हैं. उन्होंने जमशेदपुर के सेक्रेड हार्ट कॉन्वेंट स्कूल में अपनी प्राथमिक शिक्षा पूरी की. उन्होंने राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस, रांची से चिकित्सा विज्ञान में अपनी डिग्री हासिल की.
वर्ष 2020 में एमबीबीएस की डिग्री पूरी करने के बाद, उन्हें उसी मेडिकल कॉलेज में जूनियर रेजिडेंसी के रूप में प्रैक्सि करने के लिए तैनात किया गया.उन्होंने मोहम्मद उमर से शादी की, जो एक डॉक्टर और सलाहकार सर्जन भी हैं.नूर मोहम्मद की सबसे छोटी संतान है. टाटा स्टील, जमशेदपुर में मैनेजर नूर आलम और सीरत फातिमा हाउस वाइफ हैं.
उन्हांेने माता-पिता से अपील की है कि बेटियों को उच्च शिक्षा दें. उनके जीवन को घर के कामों तक सीमित न रखें. लड़कियों की शिक्षा समय की मांग है. लड़कियां पढ़ेगी तो देश और देश आगे बढ़ेगा.एक इंटरव्यू मं नुसरत नूर ने कहा कि पढ़ाई से ही समस्या का हल है. इस बड़ी कामयाबी के बाद सोशल मीडिया पर नुसरत नूर के लिए बधाई संदेशों की बाढ़ आ गई है.
झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) की परीक्षा परिणाम दो दिन पहले घोषित किया गया है. झारखंड की इस खबर से एक बार फिर पूरे देश में खुशी की लहर दौड़ गई है. उनके बड़े भाई, मुहम्मद फैसल नूर, राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, जमशेदपुर में औद्योगिक इंजीनियरिंग में अपना शोध कर रहे हैं. उन्हांेने बहन के बारे में बताया, हम उनकी पसंद के बारे में निश्चित थे लेकिन, अव्वल रैंकिंग आएगी ऐसा सोचा नहीं था. अल्हम्दुलिल्लाह, यह एक सुखद आश्चर्य है.
परिणामों की चिंता किए बिना पहल करें
नुसरत नूर का कहना है कि मुस्लिम महिलाओं को पहल करनी चाहिए और सशक्त बनने की कोशिश करनी चाहिए. परिणाम के बारे में सोचे बिना संघर्ष करना चाहिए. सिविल सेवाओं में शामिल होने के लिए मुस्लिम महिलाओं को आगे आना चाहिए. इस तरह हम अपना प्रतिनिधित्व बढ़ा सकते हैं और बड़े पैमाने पर अपने समुदाय और राष्ट्र को लाभान्वित कर सकते हैं.
अपने स्कूल के दिनों से लेकर डॉक्टर बनने से लेकर अब जेपीएससी पास करने तक की अपनी पूरी यात्रा में एक बात वह कभी नहीं भूलतीं कि 21वीं सदी में भी लोग और समाज महिलाओं को अपना करियर बनाने की अनुमति नहीं देते हैं. समाज अभी भी मानता है कि एक महिला की भलाई एक गृहिणी के रूप में उसकी पारंपरिक भूमिका में निहित है.
बेटियों को उच्च शिक्षा दें
सिविल सेवाओं में भाग्य आजमाने की प्रेरणा के संबंध में उनका कहना है कि सरकारी स्तर पर मुस्लिम महिलाओं का प्रतिनिधित्व नगण्य है. अब समय आ गया है कि मुसलमान उच्च शिक्षित हों. विशेष रूप से हमारी महिलाओं को हर क्षेत्र से आने वाले अवसरों का लाभ उठाने में सबसे आगे होना चाहिए.
मुख्यधारा में बनने के लिए महिलाओं को अधिक से अधिक भाग लेना चाहिए. मैं परिवारों से भी अपील करता हूं कि वे अपनी बेटियों को अधिक से अधिक शिक्षा प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित करें, क्योंकि यही उन्हें आर्थिक रूप से स्वतंत्र और सामाजिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने का एकमात्र तरीका है.
पारिवारिक सहयोग
पूरे सफर में वह हमेशा उनके साथ रहे मेरे पति ने हमेशा मेरा हौसला बढ़ाया. उन्होंने भूमिकाओं को बदल दिया और घर के कामों में मेरी मदद की. उन्हांेने मेरे लक्ष्य को हासिल करने में मेरी मदद करने के लिए हर संभव कोशिश की. मेरे अध्ययन की समय सारिणी की व्यवस्था करने से लेकर हमारे दो साल के बच्चे की देखभाल करने तक.
मेरे पति और ससुराल वाले बहुत उत्साहजनक और सहायक हैं. मैं एक तरह से भाग्यशाली हूं, लेकिन हर घर ऐसा होना चाहिए. मैं कहूंगा कि मेरा परिवार हर दूसरे परिवार के लिए एक रोल मॉडल है जो अपनी बहू के साथ अनुकरणीय व्यवहार करता है.वह अपने 10 से अधिक सदस्यों के परिवार को अपनी ताकत और रीढ़ के रूप में देखती हैं.मेरा परिवार बहुत बड़ा है, लेकिन मैं जो करना चाहती थी, उसे करने में कभी कोई बाधा नहीं आई.
जमशेदपुर का नूर
झारखंड के जमशेदपुर में पली-बढ़ी नुसरत नूर, एक बच्चे की मां हैं, न्यूरोलॉजी में विशेषज्ञता वाली एक चिकित्सा विशेषज्ञ हैं. सेक्रेड हार्ट कॉन्वेंट स्कूल, जमशेदपुर में अपनी प्राथमिक शिक्षा पूरी करने के बाद, वह राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस से मेडिकल साइंस में डिग्री हासिल करने के लिए रांची चली गईं. उन्होंने वर्ष 2020 में अपनी एमबीबीएस की डिग्री पूरी की. इस दौरान उन्होंने शादी कर ली. लेकिन शादी उनकी पढ़ाई के प्रति समर्पण और अपने लक्ष्यों का पीछा करने के आड़े नहीं आई. वह एक संयुक्त परिवार में रहती हैं.कहती हैं, उनकी हर कोई मदद करता है. ससुराल वालों ने उसे अपने सपनों और लक्ष्यों का पीछा करने से कभी नहीं रोका.