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कंचनजंगा एक्सप्रेस हादसा: जमाअत-ए-इस्लामी हिंद की उच्च स्तरीय जांच की मांग,बकरीद के दिन ट्रेन हादसे में मुस्लिम समुदाय की मानवता की मिसाल

मुस्लिम नाउ ब्यूरो,नई दिल्ली

हमेशा मुसलमानों को बात-बेबात घेरने वाले ‘नफरती गैंग’ के लोग कंचनजंगा एक्सप्रेस ट्रेन दुर्घटना के मामले में मुस्लिमों की भूमिका पर खामोश हैं. दरअसल, इस मामले में उन्होंने मुसलमानों की तारीफ में मुंह खोला तो उनकी सियासत नंगी हो जाएगी. हद तो तब हो गई, जब मुस्लिम युवकों के बकरीद का जश्न छोड़कर कंचनजंगा एक्सप्रेस ट्रेन दुर्घटना के शिकार लोगों की मदद पर सरकरी स्तर पर भी उनकी तारीफ में कुछ नहीं कहा गया.

इस बीच जमाअत-ए-इस्लामी हिंद ने कंचनजंगा एक्सप्रेस रेल दुर्घटना की उच्च स्तरीय जांच की मांग करते हुए शोक संतप्त परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की है.एक बयान में जमाअत के उपाध्यक्ष प्रो. सलीम इंजीनियर ने कहा, “पश्चिम बंगाल के न्यू जलपाईगुड़ी रेलवे स्टेशन के पास हुए दुखद रेल हादसे के बारे में सुनकर गहरा दुख हुआ. हम अपनी हार्दिक संवेदना व्यक्त करते हैं. पीड़ित परिवारों के लिए प्रार्थना करते हैं तथा घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करते हैं.

बयान में प्रत्यक्षदर्शियों के हवाले से कहा गया है कि पुलिस, एनडीआरएफ और आपदा प्रबंधन टीमें एक घंटे से अधिक समय के बाद दुर्घटना स्थल पर पहुंचीं. यह गंभीर चिंता का विषय है. इसकी जांच होनी चाहिए. हम स्थानीय ग्रामीणों की सराहना करते हैं जिन्होंने यात्रियों को बचाने और घायलों की देखभाल करने में सहायता की.

ध्यान देने योग्य है कि निर्मल जोत गांव में मुख्यतः मुस्लिम आबादी है जो ईद मना रही थी. इसके बावजूद, उन्होंने त्वरित कार्रवाई की और समय पर सहायता प्रदान की. एंबुलेंस उपलब्ध न होने के कारण, कई ग्रामीणों ने अपने वाहनों से यात्रियों को नजदीकी अस्पतालों तक पहुंचाया. कुछ यात्रियों ने स्वास्थ्य लाभ के लिए निर्मल जोत निवासियों के घरों में शरण भी ली.

प्रोफेसर सलीम इंजीनियर ने कहा, ऐसी रेल दुर्घटना बालासोर (ओडिशा) रेल दुर्घटना के ठीक एक वर्ष बाद हुई, जिसमें 260 से अधिक लोगों की जान चली गई थी और 900 से अधिक गंभीर रूप से घायल हुए थे. यह बेहद परेशान करने वाली है.

कंचनजंगा एक्सप्रेस रेल दुर्घटना में 15 लोगों की मौत हो गई और 60 से अधिक घायल हो गए. जाहिर है, हमने अपनी गलतियों से न तो सीखा है और न ही सुधार के लिए कोई कदम उठाए हैं. जमाअत-ए-इस्लामी हिंद दुर्घटना की उच्च स्तरीय जांच की मांग करती है और इसके निष्कर्षों को सार्वजनिक किया जाना चाहिए. दोषी पाए जाने वालों को सजा मिलनी चाहिए. हम मांग करते हैं कि सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए कि ऐसी दुर्घटनाएँ दोबारा न हों. हम प्रभावित परिवारों के लिए उचित मुआवजे की भी मांग करते है.

बता दें कि सोमवार, 17 जून, 2024 को रंगापानी रेलवे स्टेशन के पास कंचनजंघा एक्सप्रेस और एक मालगाड़ी के बीच टक्कर हो गई थी. अधिकारियों के अनुसार, कम से कम 15 लोग मारे गए और 60 अन्य घायल हुए.उस समय स्थानीय मुसलमान ईद-उल-अजहा मना रहे थे. यात्रियों को बचाने वालों में से एक 28 वर्षीय फजलुर रहमान और उनके दोस्तों ने कहा कि यह दिन उनके लिए सही कुर्बानी वाला दिन साबित हुआ.

उन्हांेने बताया, दार्जिलिंग जिले के छोटो निर्मलजोत गांव के स्थानीय मस्जिद में ईद की नमाज अदा करने के बाद वह अपने दोस्तों और परिवार के साथ दावत और जश्न की तैयारी कर रहे थे, तभी एक जोरदार धमाके ने सभी को हिलाकर रख दिया.उन्हांेने बताया,हमने सुबह 8 बजे से नमाज अदा करना शुरू कर दिया था. नमाज खत्म ही की थी कि हमने जोरदार धमाके की आवाज सुनी.

शुरुआती झटके के बाद, सभी को एहसास हुआ कि यह आवाज लगभग आधा किलोमीटर दूर रेलवे ट्रैक पर दुर्घटना का संकेत हो सकती है और वे घटनास्थल की ओर भागे.सुबह करीब 8.55 बजे थे. फजलुर ने कहा, थोड़ी दूर चलने के बाद, हमने देखा कि कई रेलवे कोच पटरी से उतर गए थे.

अगरतला से सियालदह जा रही कंचनजंगा एक्सप्रेस को एक मालगाड़ी ने पीछे से टक्कर मार दी थी.कई ग्रामीण धान के खेतों से होते हुए दुर्घटना स्थल की ओर भागने लगे. फजलुर घटनास्थल पर सबसे पहले पहुंचने वालों में से थे.

बंगाल में साल की सबसे भयानक रेल दुर्घटना के दिन, सिलीगुड़ी शहर से 25 किलोमीटर दूर, इस अल्पसंख्यक बहुल गांव के कई युवाओं ने संकट में फंसे अजनबियों को बचाने और उनकी मदद करने के लिए मानवता की पुकार के रूप में प्रतिक्रिया दी.मानवीय त्रासदी के सामने एक बार भी दावत और जश्न की बात उनके दिमाग में नहीं आई.

कई ग्रामीणों ने द टेलीग्राफ को बताया कि दृश्य दिल दहला देने वाले थे.दुर्घटना स्थल पर दृश्य डरावना था…. कोच पटरी से उतर गए थे. कुछ लोग बेहोश पड़े थे. कुछ का खून बह रहा था. महिलाएं और बच्चे रो रहे थे. मैं पहले कभी ऐसी स्थिति में नहीं था.फजलुर ने कहा कि घायलों की मदद के लिए अपने दोस्तों को बुला लिया.

उन्होंने आगे कहा, हमारे गांव के कई लोग घटनास्थल पर थे. हमने समूहों में विभाजित होकर बचाव कार्य शुरू करने का फैसला किया.जहां कुछ समूहों ने घायलों की मदद की और शवों को बाहर निकाला, वहीं अन्य ने सामान एकत्र किया और उन्हें एक स्थान पर इकट्ठा किया.

एक अन्य युवक मोहम्मद हकीम ने कहा, हम यह सुनिश्चित करना चाहते थे कि किसी का भी सामान इस स्थिति में खो न जाए.युवकों ने सामान की रखवाली तब तक की जब तक कि फासीदेवा पुलिस स्टेशन और रेलवे अधिकारियों की पुलिस लगभग आधे घंटे बाद नहीं आ गई. कई ग्रामीण देर दोपहर तक वहीं रुके रहे.

हकीम ने कहा, बकरीद मुस्लिम समुदाय के लिए एक विशेष दिन है, लेकिन यह विचार गौण हो गया. उपस्थित सभी ग्रामीणों का पूरा ध्यान यात्रियों की मदद करना था.हमें मानवता की पुकार पर प्रतिक्रिया देनी थी.

कुछ ग्रामीण पानी लेकर आए जबकि अन्य ने किसी भी तरह से प्राथमिक उपचार प्रदान करके मदद करने की कोशिश की.20 के दशक के अंत में एक प्रवासी मजदूर मोहम्मद अजीबुल, जो अपने परिवार के साथ ईद मनाने के लिए घर लौटा थे, ने कहा कि ग्रामीणों ने रेलवे और जिला अधिकारियों के पहुंचने से पहले बोगियों से आधा दर्जन शव निकाले थे.

दुर्घटना का समय और स्थान:

17 जून, 2024 को रंगापानी रेलवे स्टेशन के पास कंचनजंगा एक्सप्रेस और मालगाड़ी के बीच टक्कर.
कम से कम 15 लोगों की मौत और 60 से अधिक घायल.

मुस्लिम युवाओं की भूमिका:

बकरीद की नमाज के बाद मुस्लिम युवकों ने दुर्घटना स्थल पर त्वरित पहुंचकर यात्रियों को बचाया.
स्थानीय मस्जिद से नमाज पढ़ने के बाद युवाओं ने अपने वाहनों से घायलों को अस्पताल पहुंचाया.

जमाअत-ए-इस्लामी हिंद की प्रतिक्रिया:

  • उच्च स्तरीय जांच की मांग.
  • पीड़ित परिवारों के प्रति संवेदना और उचित मुआवजे की मांग.
  • दुर्घटना की जांच के निष्कर्षों को सार्वजनिक करने की मांग.

घटनास्थल पर स्थिति:

पुलिस और एनडीआरएफ की टीम एक घंटे से अधिक समय बाद पहुंची.
ग्रामीणों ने त्वरित कार्रवाई करते हुए घायलों की मदद की और शवों को निकाला.

स्थानीय समुदाय की प्रतिक्रिया:

ईद-उल-अजहा मनाने के दौरान मुस्लिम समुदाय ने मानवता की मिसाल पेश की.
ग्रामीणों ने अपने वाहनों से यात्रियों को अस्पताल पहुंचाया और घायलों को प्राथमिक उपचार प्रदान किया.

प्रत्यक्षदर्शियों के बयान:

दृश्य दिल दहला देने वाले थे, कई लोग बेहोश थे और कुछ का खून बह रहा था.
ग्रामीणों ने समूहों में विभाजित होकर बचाव कार्य किया और यात्रियों के सामान की रखवाली की.

सरकारी और मीडिया की चुप्पी:

मुस्लिम युवाओं की सराहना पर सरकारी स्तर पर कोई बयान नहीं.
नफरती गैंग की खामोशी.