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कश्मीरी GPT: सकलैन यूसुफ़ का एआई इनोवेशन जो कश्मीरी भाषा और संस्कृति को करेगा संरक्षित

मुस्लिम नाउ ब्यूरो,नई दिल्ली

आधुनिक तकनीकी युग में कश्मीरी भाषा को संरक्षित और बढ़ावा देने के लिए एक ऐतिहासिक कदम उठाया गया है। 25 वर्षीय युवा तकनीकी विशेषज्ञ सकलैन यूसुफ़ ने ‘कश्मीरी GPT’ नामक एक उन्नत कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) मॉडल विकसित किया है। यह एआई टूल न केवल कश्मीरी भाषा के उपयोगकर्ताओं को संवाद करने में मदद करता है, बल्कि कश्मीर की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को भी संजोने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

कश्मीरी GPT: एक अनूठा एआई मॉडल

कश्मीरी GPT एक अत्याधुनिक एआई मॉडल है, जिसे कश्मीरी भाषा में संवाद स्थापित करने के लिए विकसित किया गया है। यह केवल एक अनुवाद उपकरण नहीं है, बल्कि यह कश्मीर की संस्कृति, इतिहास और परंपराओं से संबंधित सवालों के उत्तर कश्मीरी भाषा में प्रदान करता है। सकलैन यूसुफ़ ने इसे ओपनएआई के एप्लिकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस (API) का उपयोग करके विकसित किया है और यह www.kashmirigpt.com पर उपलब्ध है।

सकलैन यूसुफ़ ने बताया, “जब अधिकांश बड़े एआई मॉडल भारतीय भाषाओं का समर्थन करते हैं, तब कश्मीरी भाषा को नजरअंदाज कर दिया गया। यह कमी मुझे बहुत खली, और मैंने इसे भरने का संकल्प लिया।”

कश्मीरी GPT का महत्व

कश्मीरी भाषा के अस्तित्व पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। आधुनिक युग में युवा पीढ़ी इस भाषा से धीरे-धीरे दूर होती जा रही है, जिससे कश्मीरी भाषा बोलने वालों की संख्या लगातार घट रही है। इस परिदृश्य में, कश्मीरी GPT एक संजीवनी साबित हो सकता है।

यह प्लेटफ़ॉर्म न केवल कश्मीरी बोलने वालों को अपनी भाषा में संवाद करने का अवसर देता है, बल्कि भाषा के प्रसार और सांस्कृतिक संरक्षण में भी सहायक सिद्ध होता है।

युवा पीढ़ी के लिए कश्मीरी GPT

कश्मीरी GPT की एक महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि यह रोमन कश्मीरी और अंग्रेज़ी दोनों में इनपुट स्वीकार करता है। यह सुविधा इसे उन युवाओं के लिए सुलभ बनाती है जो अपनी मातृभाषा सीखने के इच्छुक हैं।

सकलैन यूसुफ़ ने कहा, “हम कश्मीरी के मूल वक्ताओं की संख्या में गिरावट देख रहे हैं। यह भाषा विलुप्त होने के कगार पर है। ऐसे में, इस तकनीक का इस्तेमाल भाषा संरक्षण के लिए किया जा सकता है।”

कश्मीरी GPT की सफलता और भविष्य

सकलैन ने इस प्रोजेक्ट को मात्र पाँच महीनों में तैयार किया। लॉन्च होते ही इसे जबरदस्त प्रतिक्रिया मिली। सिर्फ 4 घंटे के भीतर, 1000 से अधिक उपयोगकर्ता इस प्लेटफ़ॉर्म से जुड़ गए।

भले ही यह अभी बीटा संस्करण में है, लेकिन सकलैन इसे और अधिक उपयोगकर्ता-मित्रवत बनाने की योजना बना रहे हैं। वह इसमें वॉयस रिकग्निशन और विज़ुअल प्रोसेसिंग जैसी अत्याधुनिक तकनीकों को जोड़ना चाहते हैं ताकि उपयोगकर्ता कश्मीरी में सहजता से बातचीत कर सकें।

सकलैन ने कहा, “हम उपयोगकर्ताओं की प्रतिक्रिया के आधार पर इस प्लेटफ़ॉर्म को लगातार सुधार रहे हैं। यदि हमें सही फंडिंग और साझेदार मिलते हैं, तो इसे और अधिक प्रभावशाली बनाया जा सकता है।”

एआई और सांस्कृतिक संरक्षण का संगम

कश्मीरी GPT केवल एक तकनीकी उपकरण नहीं है, बल्कि यह कश्मीर की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने का एक महत्वपूर्ण प्रयास भी है। यह प्लेटफ़ॉर्म कश्मीरी साहित्य, इतिहास और परंपराओं पर आधारित जानकारी प्रदान करता है, जिससे उपयोगकर्ता कश्मीर की गहरी सांस्कृतिक जड़ों से जुड़ सकते हैं।

सकलैन यूसुफ़ ने कहा, “कश्मीर का इतिहास 5,000 वर्षों से अधिक पुराना है, और इसे दस्तावेज़ीकृत करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। हम इसे केवल कश्मीरी भाषा में संरक्षित नहीं कर रहे, बल्कि इसके प्रसार और प्रचार में भी योगदान दे रहे हैं।”

भविष्य की दिशा

सकलैन यूसुफ़ का मानना ​​है कि कश्मीरी GPT का विकास केवल एक शुरुआत है। उनका लक्ष्य इसे एक व्यापक सांस्कृतिक और भाषाई मंच के रूप में विकसित करना है, जहाँ न केवल कश्मीरी भाषा सिखाई जाए, बल्कि कश्मीर की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को वैश्विक मंच पर प्रस्तुत किया जाए।

इसके अलावा, वह इस प्लेटफ़ॉर्म को अधिक प्रभावशाली बनाने के लिए ऑनलाइन पाठ्यक्रम, शब्दकोश, ऑडियोबुक और इंटरैक्टिव लर्निंग टूल्स जैसी सुविधाएँ जोड़ने की योजना बना रहे हैं।

निष्कर्ष

कश्मीरी GPT एक अभिनव और साहसिक प्रयास है, जो न केवल कश्मीरी भाषा के संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह कश्मीर की सांस्कृतिक विरासत को आधुनिक तकनीक के माध्यम से सुरक्षित रखने का प्रयास भी है। सकलैन यूसुफ़ का यह कार्य इस बात का प्रमाण है कि कैसे युवा तकनीकी विशेषज्ञ अपनी मातृभाषा और संस्कृति को बचाने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) जैसे अत्याधुनिक टूल्स का उपयोग कर सकते हैं।

इस प्लेटफ़ॉर्म की सफलता न केवल कश्मीर बल्कि पूरे भारत के लिए एक मिसाल बन सकती है कि कैसे तकनीकी नवाचार के माध्यम से भाषाई और सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित किया जा सकता है। कश्मीरी GPT निश्चित रूप से भाषा संरक्षण और सांस्कृतिक विकास की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम साबित हो सकता है।

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