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जुमा-तुल-विदा पर कश्मरी की ऐतिहासिक जामिया मस्जिद बंद, दे गई ऑल इज नॉट वेल का संकेत

मुस्लिम नाउ ब्यूरो,श्रीनगर

ऐतिहासिक जामिया मस्जिद की तालाबंदी कश्मीर में ऑल इज नॉट वेल का संकेत दे रही है. यहां 14 अप्रैल को जुमा-तुल-विदा मनाया गया. इस दौरान भी मस्जिद के दरवाजे नमाजियों के लिए नहीं खोले गए.उल्लेखनीय है कि इस बार जम्मू कश्मीर सउदी अरब और पाकिस्तान के हिसाब से रमजान मना रहा है.इसलिए यहां देश के बाकी हिस्से से एक जुमा पहले ही जुमा-तुल-विवाद की नमाज अदा की गई.

द वाॅयर के लिए रिपोर्टिंग में श्रीनगर से जहांगीर अली लिखते हैं, अधिकारियों ने शुक्रवार, 14 अप्रैल को श्रीनगर की ऐतिहासिक जामिया मस्जिद में जुमा-तुल-विदा की सामूहिक नमाज की अनुमति नहीं दी. हुर्रियत ने आरोप लगाया कि मस्जिद के बंद होने से नया कश्मीर में सामान्य स्थिति के दावे झूठे साबित हुए हैं.

रिपोर्ट में प्रत्यक्षदर्शियों के हवाले से कहा गया है कि जम्मू-कश्मीर पुलिस का एक वाहन मस्जिद के मुख्य द्वार पर शुक्रवार सुबह से खड़ा था. गेट पर ताला लगा हुआ था. पुलिस कर्मियों ने उन नमाजियों को लौटा दिया, जो जुमा-तुल-विदा की नमाज अदा करने के लिए मस्जिद में प्रवेश करना चाहते थे.

जुमा-तुल-विदा रमजान के आखिरी शुक्रवार के दोपहर की सामूहिक नमाज को कहा जाता है. इस दौरान मुसलमान ईदगाह या बड़ी मस्जिदों में दोपहर की नमाज अदा करते हैं. इस्लामिक मान्यता है कि यह यह नमाज रोजेदारों के पुरस्कारों को कई गुना बढ़ा देता है.श्रीनगर के नौहट्टा इलाके में स्थित कश्मीर की सबसे बड़ी जामिया मस्जिद में हजारों लोग ऐसे मौकों पर जुटते रहे हैं. जुमा-तुल-विदा सहित अन्य मुस्लिम त्योहारों पर यहां बड़ी संख्या में नमाजी एकत्रित होते थे.

मगर धारा 370 हटाए जाने के बाद भी मस्जिद अक्सर इस्लामिक त्योहारों पर बंद रहती है. प्रशासन को डर है कि मस्जिद में सामूहिक नमाज की अनुमति दी तो कानून व्यवस्था की समस्या पैदा हो सकती है. इस मस्जिद से ही हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष मीरवाइज उमर फारूक की गतिविधियां चलती हंै.2017 में एक अंडरकवर पुलिस उपाधीक्षक को भीड़ ने मस्जिद के बाहर पीट-पीट कर मार डाला था.

हालांकि शुक्रवार को नौहट्टा में यातायात सामान्य रहा. महिलाओं और बच्चों सहित कई रोजेदार, स्थानीय लोग सामूहिक नमाज के लिए मस्जिद के बाहर सड़क पर जमा हुए, जिससे इलाके में तनाव की स्थिति बन गई.इस दौरान अर्धसैनिक सीआरपीएफ का एक वाहन मस्जिद के चारों ओर चक्कर लगाता रहा. क्षेत्र में कहीं कानून व्यवस्था की समस्या नहीं खड़ी हो जाए, इसपर प्रशासन की विशेष नजर थी.

मस्जिद के बंद दरवाजों पर तैनात पुलिस कर्मियों की मौजूदगी कश्मीर के विभिन्न कोनों से नमाज अदा करने आए नमाजियों के चेहरों पर निराशा के भाव साफ दिखे.करीब 20 किमी दूर बडगाम के एक गांव से साइकिल पर आए एक अधेड़ उम्र के व्यक्ति ने कहा कि वह सामूहिक नमाज में शामिल होने के लिए उत्सुक है, लेकिन पुलिस कर्मियों ने गेट बंद कर रखा है. उन्होंने किसी को अंदर नहीं जाने दिया. यह दुख की बात है. ऐसे शुभ दिन पर मस्जिद बंद है.

उन्होंने कहा, कश्मीर के कोने-कोने से लोग यहां नमाज अदा करने आते हैं, लेकिन देखिए कैसे उन्हें परेशान किया जा रहा है. मस्जिद के चारों गेट बंद कर दिए गए हैं. प्रशासन कह रहा है कि कश्मीर में सब ठीक है. सब ठीक है तो वे हमें यहां नमाज पढ़ने से क्यों रोक रहे हैं.

सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो में, एक अधेड़ महिला को बंद मुख्य द्वार के पास टूटे हौसले के साथ देखा जा सकता है. जब पत्रकारों ने कथित तौर पर मस्जिद के बंद होने पर उसकी प्रतिक्रिया पूछी. इसपर उसने कहा, मुझे क्या कहना चाहिए? इस बीच वह आँसुओं को नियंत्रित करने के लिए संघर्ष करती दिखी. महिला ने कहा ,“उन्होंने मस्जिद बंद कर दिया है. यह गरीब लोगों के लिए ईद (अर्थात् उत्सव) का दिन है. मैं और कुछ नहीं कहना चाहती.

स्थानीय लोगों के अनुसार, रमजान के पहले तीन शुक्रवार को मस्जिद में सामूहिक दोपहर की नमाज शांतिपूर्ण ढंग से अदा की गई. कोई नारेबाजी या विरोध प्रदर्शन नहीं हुआ. ऐसे में मस्जिद को बंद करने का यह फैसला हैरान करने वाला है.

गुरुवार, 13 अप्रैल को जामिया मस्जिद ने नई दिल्ली में ईरान कल्चरल हाउस की ओर से एक कारी एहसान बयात हमदानी की भी मेजबानी की. वह इस्लामी गणराज्य ईरान से संबद्ध हंै. हमदानी ने मस्जिद में दोपहर की नमाज के बाद आत्मा को झकझोर देने वाली कुरान की तिलावत की. तब सैकड़ों रोजेदार मौजूद थे. बाद में उन्हें औकाफ द्वारा सम्मानित किया गया.