कश्मीर के मास्टर वॉचमेकर डिजिटल हमले से लड़ने को कर रहे हैं संघर्ष
मुस्लिम नाउ ब्यूरो,श्रीनगर
जब भी किसी राजनेता या व्यवसायी को अपनी एनालॉग घड़ी के साथ कोई समस्या होती, तो वह फतेह कदल में मुहम्मद शफी के पास पहुंच जाते हैं.अपने सुनहरे दिनों में, शफी के ग्राहक घड़ी बनाने में उनकी विशेषज्ञता और ज्ञान के स्तर को देखते हुए बड़ी संख्या में आते थे. वॉच डॉक्टर के नाम से मशहूर 52 साल के इस शख्स के ग्राहकों की सूची में कश्मीर के कौन-कौन लोग शामिल हैं, सुनकर आप भी हैरान रह जाएंगे. मगर अब स्मार्टवॉच युग में ग्रहकों की न के बराबर संख्या ने उनकी प्रसिद्धि और प्रासंगिकता गुमनामी में खोने लगी है. उनकी कमाई भी अब न के बराबर है.
वह बताते हैं,“लगभग 10 साल पहले, मैं पूरे शहर में प्रसिद्ध था. मैं पिछले 40 साल से इस धंधे में हूं. अब मुझे शायद ही कभी काम मिलता है. ”उन्होंने श्रीनगर के अपने एक पुराने ग्राहक द्वारा दी गई घड़ी की मरम्मत करते हुए कहा,अपने पिता से विरासत में मिली हुनर में पिछले 10 वर्षों में उनकी कमाई में 70 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई है.अब मैं यह काम इसलिए कर रहा हूं क्योंकि मेरे पास और कोई हुनर नहीं है. मैंने इसे अपने पूर्ण समर्पण के साथ सीखा और इसमें अपनी आत्मा लगा दी. अब, हमारे पास स्मार्ट और इलेक्ट्रॉनिक घड़ियां हैं, जिनमें अलग-अलग मशीनरी है. जिनकी मरम्मत की आवश्यकता नहीं है. इन घड़ियों के अपने सर्विस सेंटर हैं, जहां खराब होने पर इनके पुर्जे बदल दिए जाते हैं.
शफी बताते हैं,सबसे महंगे सिको से लेकर रीको, सिटीजन, एचएमटी, टाइटन और कई विदेशी ब्रांडों, हाई-एंड ब्रांडों सहित अंतहीन घड़ियों की मरम्मत की है.
एक समय था जब एनालॉग घड़ी पहनना गर्व की बात थी. पहले, चाबी वाली घड़ियां होती थीं, जिन्हें ठीक करने में समय और मेहनत लगती थी. आज लोगों के पास न तो समय है और न ही धैर्य. वे खराब या पुरानी घड़ियां बदलने के लिए नई घड़ियां खरीदते हैं.
शफी के विपरीत, उनके परिवार में से कोई भी घड़ी बनाने की कला से नहीं जुड़ा है. उनकी अन्य व्यवसायों में रुचि है. यह कला अब लुप्त होती जा रही है. वह कहते हैं, लगता है कि आने वाले वर्षों में हमें शहर में घड़ियों का कोई चौकीदार नहीं दिखेगा.