Muslim WorldReligionTOP STORIES

केरल हाई कोर्ट का फैसलाः मुस्लिम शादियां गैरकानूनी नहीं, पर नाबालिगों से विवाह किया तो लगेगा पाक्सो

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली

केरल उच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया है कि पर्सनल लॉ के तहत मुस्लिम विवाह को पाक्सो अधिनियम के दायरे से बाहर नहीं रखा गया है. न्यायमूर्ति बेचू कोरिन थॉमस ने कहा कि यदि विवाह में एक पक्ष नाबालिग है, तो पाक्सो अधिनियम के तहत अपराध विवाह की वैधता के बावजूद लागू होंगे.

न्यायमूर्ति बेचू कोरिन थॉमस की एक सदस्यीय पीठ ने आगे कहा कि पाक्सो अधिनियम विशेष रूप से बच्चों को यौन शोषण से बचाने के लिए बनाया गया एक विशेष कानून है. उन्होंने आगे कहा कि किसी बच्चे के खिलाफ किसी भी तरह का यौन उत्पीड़न अपराध माना जाता है. शादी इससे बाहर नहीं है.

बाल विवाह समाज के लिए अभिशाप

अदालत ने यह फैसला नाबालिग लड़की के अपहरण और यौन उत्पीड़न के आरोपी 31 वर्षीय मुस्लिम व्यक्ति की जमानत अर्जी खारिज करते हुए दिया. उसने तर्क दिया कि उसने मार्च 2021 में पर्सनल लॉ के तहत एक लड़की से वैध तरीके से शादी की थी. कोर्ट ने कहा कि बाल विवाह को मानवाधिकार का उल्लंघन माना गया है. बाल विवाह से बच्चे की पूरी क्षमता का विकास बाधित होता है. यह समाज के लिए एक सजा है.

शादी न होने पर भी बच्चे से यौन संबंध बनाना अपराध

पाक्सो एक्ट के तहत शादी की आड़ में बच्चे से शारीरिक संबंध बनाने पर रोक है. पर्सनल लॉ और प्रथागत कानून दोनों ही कानून हैं. पाक्सो अधिनियम के लागू होने के बाद किसी के बहकावे में या शादी के बाद भी बच्चे के साथ यौन संबंध बनाना अपराध है और इस कानून के माध्यम से हमारा उद्देश्य कमजोर