Khudai Khidmatgar सदभावना बढ़ाने की नियत से मंदिर में नमाज पढ़ने वाले फैसल खान को मिली जमानत, सोशल मीडिया से रहेंगे दूर
खुदाई खिदमतगार फैसल खान को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने जमानत पर रिहा कर दिया, लेकिन सोशल मीडिया का उपयोग नहीं करने की हिदायत दी गई है. कुछ दिनों पहले उत्तर प्रदेश पुलिस ने मथुरा के एक मंदिर के अंदर नमाज पढ़ने और इसकी तस्वीर सोशल मीडिया पर पोस्ट करने के आरोप में गिरफ्तार किया था. उनका कहना है कि इससे पहले उन्होंने मंदिर के पुजारी से इजाज़त ले ली थी, पर विवाद होने पर मुकर गया.
न्यायालय ने खुदाई खिदमतगार को जमानत देने से पहले भाईचारा बढ़ाने के लिए ऐसी हरकत न करने और ऐसे काम के लिए सोशल मीडिया का उपयोग नहीं करने के सख्त निर्देश दिए.
बता दें कि खान खुदाई खिदमतगार नाम की संस्था चलाते हैं. यह तंजीम सांप्रदायिक सदभावना बढ़ाने के लिए काम करती है, पर देश में नफरत की खेती करने वाले उन्हें पसंद नहीं करते. इस लिए मथुरा के मंदिर में नमाज पढ़ने वाली तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल होते ही कुछ लोगों ने इतना बवाल मचाया कि उन्हें दो नवंबर को दिल्ली के उनके आवास से गिरफ्तार कर लिया गया.
फैसल खान का कहना है कि उनका सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने का कोई इरादा नहीं था और न है. उन्होंने मंदिर के गर्भ गृह में प्रवेश नहीं किया. मंदिर के पुजारी की अनुमति लेकर मंदिर के बाहर नमाज पढ़ी जिसकी तस्वीरें वायरल हों गईं. उनपर विदेशी फंडिंग का आरोप लगाया गया, जो निराधार है.
इस मामले में यूपी पुलिस की प्राथमिकी में आरोप लगाया गया कि खान और उनके सहयोगी चांद मोहम्मद ने दूसरे समुदाय की धार्मिक भावना का अनादर किया. इससे सांप्रदायिक सौहार्द बिगड़ सकता था. मामले की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति सिद्धार्थ की अध्यक्षता वाली एकल पीठ ने दोनों आरोपियों को व्यक्तिगत बांड पर जमानत दे दी. अदालत ने कहा कि फैसल खान के बारे में गवाहों को डराने, दबाव बनाने तथा सबूत से छेड़छाड़ करने जैसी शिकायत नहीं मिली. उन्होंने जांच और परीक्षण में साथ दिया. फैसल खान के खिलाफ 153 ए (धर्म, नस्ल, जन्म स्थान, निवास, भाषा, आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना और सद्भाव बिगाड़ने ) के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है. इसके अलावा उनपर 295, 505, 419, 420, 467, 468 और 471 जैसी धाराएं भी लगाई गई हैं.
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संपादक