जानिए कैसे कोरोना में फरिश्ता बने हुए हैं मुसलमान
कुरान की 26 आयतों को आतंकवाद के लिए प्रेरित करने वाला बताने वाले उत्तर प्रदेश शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन वसीम रिजवी और पैगंबर इस्लाम हजरत मोहम्मद साहब के खिलाफ अनर्गल बकने वाले तथाकथित संत को यह खबर गहरा सदमा पहुंचा सकता है. हिंदुस्तान में जब कोरोनावायरस कहर बनकर टूटा है, ऐसे में देश के बड़ी संख्या में मुसलमान फरिश्ता बनकर सामने आए हैं. वह भी किसी धार्मिक भेदभाव के दिलोजान से मानव सेवा में जुटे हैं.
हद यह कि कभी सांप्रदायिक दंगे में मुसलमानों को भारी नुकसान पहुंचाने वाले गुजरात के वडोदरा शहर में मस्जिदें और मदरसे कोविड अस्पताल में तब्दील कर दिए गए हैं. कोरोना से मौत होने पर शव छोड़कर भागने वालों के लिए भी गुजरात सहित देश के कई हिस्से के मुसलमान नसीहत बनकर उभरे हैं. रोजा रखकर हिंदुओं के शवों का अंतिम संस्कार करा रहे हैं.
गुजरात के अलावा महाराष्ट्र के औरंगाबाद, पुणे और यूपी के रहीमबाग में अब तक कई शवों का मुसलमानों ने हिंदू रीति-रिवाज से अंतिम संस्कार कराया है. रायसेन से ईदगाह को कोविड केयर सेंटर के रूप में बदले जाने की खबर आई है.
अभी ऑक्सीजन प्राण वायु बनी हुई है. सरकार के तमाम प्रयासों के बावजूद मरीजों की बढ़ती संख्या के चलते देशभर के अस्पतालों को पर्याप्त मात्रा में आॅक्सीजन की सप्लाई नहीं हो पा रही है. अगर कहीं मिल भी रही है तो ब्लैक में. कीमत इतनी कि गरीब व्यक्ति खरीद नहीं सकता. एक सिलेंडर 20 से 25 हजार में बिक रहा है. मगर ऐसे लोगों का सहारा बने हुए हैं मुसलमान.
बिहार के गया शहर के वार्ड 21 के पार्षद नैयर अहमद अपने इलाके के ऑक्सीजन मैन बने हुए हैं. लोगों को मुफ्त में ऑक्सीजन मुहैया करा रहे हैं. दिल्ली के जामिया नगर, ओखला के शारिक ने तो लोगों तक आॅक्सीजन पहुंचानेे के लिए आॅक्सीजन जेहाद ही छेड़ रखा है. मुंबई के आलिव ट्रस्ट भी लोगों को घर-घर ऑक्सीजन पहुंचाने में जुटा है. इसी मुंबई नगरी के मलाड. के शाहनवाज शेख ने अनोखी मिसाल पेश की है. उन्होंने अपनी एसयूवी गाड़ी 22 लाख रूपये में बेचकर अक्सीजन के लिए परेशान 160 लोगों तक सिलेंडर पहुंचाए हैं.
कोरोनावायरस के बढ़ते खतरे की वजह से आम लोगों की चिकित्सा सेवा बुरी तरह प्रभावित है.सरकारी और गैर सरकारी अस्पतालों और डॉक्टरों का सारा ध्यान कोविड-19 पर केन्द्रित है.ऐसे में अन्य रोगों से ग्रस्त लोगों का न तो सही से इलाज हो पा रहा और न ही उनकी काउंसिलिंग हो पा रही है. इसके मद्देनजर जमाअते इस्लामी हिन्द बिहार, एसोसिएशन ऑफ मुस्लिम डॉक्टर्स तथ्य अन्य कल्याणकारी संस्थाओं ने शुक्रवार 23 अप्रैल से ऑनलाइन मुफ्त मेडिकल काउंसिलिंग सेवा शुरू की है.
इसे इत्तेफाक कहें या कुदरत और ऊपर वाले का इम्तिहान. पिछले साल और इस साल कोरोना का जोर रमजान के वक्त बढ़ा है. अब तो रोजाना तीन लाख से ऊपर मामले आ रहे हैं. यह सिलसिला कब थमेगा पता नहीं. ऐसे में सरकारों द्वारा इतनी बंदिशें लगा दी गईं है. इस सूरत में इस वर्ष भी मुसलमानों ने ईद पर नए कपड़े, जूते, खाने-पीने के सामान पर अधिक पैसे खर्च करने की जगह गरीबों और मुसीबतजदा लोगों पर खर्च करने का इरादा किया है.
मुसलमान यह सब कुरान और पैगंबर हजरत मोहम्मद के बताए मार्गों का पालन करते हुए कर रहे हैं. इसलिए निश्चित है कि कथित संत और वसीम रिजवी जैसे बुद्धि भ्रष्ट लोगों की अक्ल इतनी कहानी सुनने के बाद ठिकाने आ जाए.