जानिए, औरंगजेब समझकर किस की तस्वीर पर हिंदुवादियों ने पोती कालिख, फिर क्या हुआ ?
मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली
उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद रेलवे स्टेशन पर शुक्रवार सुबह एक अप्रिय घटना ने माहौल को तनावपूर्ण बना दिया। प्लेटफॉर्म नंबर चार पर दीवार पर बनी बहादुर शाह ज़फ़र की एक कलाकृति पर कुछ लोगों ने कालिख पोत दी। बताया जा रहा है कि यह कदम कुछ हिंदू संगठनों के कार्यकर्ताओं ने उठाया, जिन्हें यह पेंटिंग मुगल शासक औरंगज़ेब की तस्वीर लगी।
रेलवे सुरक्षा बल (RPF) के मुताबिक, यह पेंटिंग ‘दिशा फाउंडेशन’ द्वारा बनाई गई थी। इस फाउंडेशन का उद्देश्य स्टेशन की गंदी दीवारों को साफ-सुथरी और कलात्मक छवियों से सजाना था। इस खास पेंटिंग में बहादुर शाह ज़फ़र को अंतिम मुगल सम्राट और 1857 की पहली आज़ादी की लड़ाई के प्रतीक के रूप में दर्शाया गया था।
हालांकि, प्रदर्शनकारियों ने इसे औरंगज़ेब का चित्र मानते हुए विरोध किया और उस पर कालिख पोत दी। इसके चलते स्टेशन परिसर में कुछ देर के लिए अफरा-तफरी मच गई।
RPF के सहायक सुरक्षा आयुक्त एस.एस. गर्ब्याल ने जानकारी दी कि इस मामले में अज्ञात लोगों के खिलाफ रेलवे अधिनियम की धारा 147 (अनधिकृत प्रवेश) और 166 (रेलवे संपत्ति को नुकसान पहुंचाना) के तहत एफआईआर दर्ज कर ली गई है। सीसीटीवी फुटेज की जांच की जा रही है और मामले की गंभीरता से जांच चल रही है।
यह समझना थोड़ा मुश्किल है कि अन्ध भक्तों ने बहादुर शाह ज़फ़र की पेंटिंग पर काला स्प्रे किया है या स्वम अपने मुँह पर कालिख पोत लिया है।
— Kunwar Danish Ali (@KDanishAli) April 18, 2025
वो बहादुर शाह ज़फ़र जो अंग्रेजों के आगे झुका नहीं और बोला;
“ग़ाज़ियों में बू रहेगी जब तक ईमान की,
तख़्त-ए-लंदन तक चलेगी तेग़ हिन्दोस्तान की”। pic.twitter.com/gRt6BO7ORy
इस विवाद पर दिशा फाउंडेशन की प्रमुख डॉ. उदिता त्यागी ने एक वीडियो बयान जारी करते हुए स्थिति स्पष्ट की। उन्होंने कहा कि पेंटिंग का उद्देश्य किसी शासक की महिमा मंडन नहीं, बल्कि ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से शहर को सजाना था। उन्होंने बताया कि पेंटिंग में बहादुर शाह ज़फ़र को स्वतंत्रता सेनानी के रूप में चित्रित किया गया था, न कि किसी वंश या बादशाहत के प्रतीक के तौर पर।
डॉ. त्यागी ने आगे कहा कि उनका संगठन किसी भी विवादास्पद इतिहास या सत्ता के प्रतीकों को महिमामंडित नहीं करता और यदि किसी की भावनाएं आहत हुई हैं, तो वे खेद व्यक्त करती हैं। साथ ही उन्होंने अपील की कि इस तरह की रचनात्मक पहलों को राजनीति और गलतफहमियों से दूर रखा जाए।
Hindu Raksha Dal goons blackened a painting Bahadur Shah Zafar assuming it is of Aurangzeb at the Ghaziabad Railway Station. pic.twitter.com/BDYsdeIdDt
— Mohammed Zubair (@zoo_bear) April 18, 2025
फिलहाल आरपीएफ मामले की जांच में जुटी है और दोषियों की पहचान की जा रही है। यह घटना एक बार फिर इस बात पर सवाल खड़ा करती है कि क्या सार्वजनिक स्थानों पर कला और इतिहास को समझने का हमारे समाज में पर्याप्त स्थान है, या फिर हर कलाकृति अब राजनीतिक नजरों से ही देखी जाएगी।