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हज 2023 के लिए पैदल 8640 किलोमीटर की यात्रा पर निकले केरल के शिहाब

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली

केरल के 29 वर्षीय शिहाब छोटूर अगले साल हज करने के लिए 8,640 किलोमीटर की पैदल यात्रा पर मक्का के लिए निकल पड़े हैं.शिहाब छोटूर एक सुपरमार्केट चलाते हैं. केरल के मलप्पुरम जिले में कोट्टक्कल के पास अठवनाड से अपनी पैदल हज यात्रा शुरू की है. वह हर दिन कम से कम 25 किमी पैदल चलते हैं.

मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि वह भारत, पाकिस्तान, ईरान, इराक और कुवैत को पार करने के बाद 2023 में हज के लिए मक्का पहुंचेंगे. अंत में फरवरी 2023 की शुरुआत में सऊदी अरब पहुंचेंगे.सऊदी अरब पहुंचने के बाद वह हज यात्रा के लिए आवेदन करेंगे. यात्रा 280 दिनों में दूरी पूरी करने की योजना बनाई है.

मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि शिहाब प्राचीन काल में केरल से मक्का की पवित्र भूमि तक पैदल यात्रा करने वाले लोगों की कहानियों से प्रेरित होकर यह निर्णय लिया है. उनका कहना है कि पैदल मक्का जाने का उनके जीवन का सपना है.

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, शिहाब की मां के समर्थन और प्रोत्साहन ने उन्हें यात्रा पर जाने के लिए प्रेरित किया. उनकी पत्नी और परिवार के अन्य सदस्यों ने भी बहुत सहयोग किया.केरल से मक्का की इस यात्रा में शिहाब फिलहाल अपने तीन दोस्तों के साथ हैं. कर्नाटक की छह सदस्यीय टीम उनकी यात्रा को सुविधाजनक बनाने के लिए वर्तमान विस्तार में उनका अनुसरण कर रही है.

बताया गया है कि यात्रा के लिए शोध और तैयारियों में लगभग नौ महीने लगे. सबसे कठिन काम था, पैदल यात्रा के लिए वीजा के कागजात तैयार करना.उन्होंने बताया,मैं हज के हिस्से के रूप में संस्कारों की श्रृंखला करने के लिए उत्सुक हूं. केवल अल्लाह के लिए ईमानदारी से हज करना, एक व्यक्ति को उतना ही पवित्र बना देगा जितना वह उस दिन था जिस दिन उसकी मां ने उसे जन्म दिया था. मैं एक शुद्ध आत्मा के रूप में मक्का से वापस आने की उम्मीद करता हूं.

यात्रा के दौरान शिहाब का हर जगह जोरदार स्वागत हो रहा है. वह राज्यों से गुजरते हैं और बड़ी संख्या में लोग उनका अभिवादन करने और उनकी एक झलक पाने के लिए सड़कों पर उमड़ पड़ते हैं. सोशल मीडिया पर ऐसी कई वीडियो आ चुके हैं जिसमें पुलिसकर्मी उनका स्वगत करते और उन्हें सहयोग करते नजर आ रहे हैं. अभी शिहाब सोशल मीडिया के सनसनी बने हुए हैं. उनके पैदल हज जाने को लेकर कई उलेमा ने आलोचना की है, जबकि इसका समर्थन करने वालों की संख्या इससे कई गुणा अधिक है.