वक्फ संपत्तियों पर कानून और झूठी अफवाहें: दक्षिण भारत के मंदिरों की हकीकत क्या?
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मुस्लिम नाउ ब्यूरो विशेष
भारत में सक्रिय मुस्लिम विरोधी शक्तियां वक्फ संपत्तियांे को लेकर निरंतर झूठ फैला रही हैं. इनमें से एक झूठ यह है कि सेना और रेल के बाद वक्फ बोर्ड ऐसी तीसरी संस्थान है जिसके पास सर्वाधिक जमीन है. ये संपत्तियां केवल मुसलमानों के कल्याणनार्थ हैं. इसके लिए विशेष कानून का प्रवधान है. अब यही मुस्लिम विरोधी शक्तियां वक्फ संशोधन बिल के समर्थन में उतर आई हैं. मुसलमान अपने विरोधी-प्रदर्शन और एकजुटता से कहीं बिल लागू होने से रोकने में सफल न हो जाएं, इसके लिए मुस्लिमों की तरह क्यूआर कोर्ड के जरिए आम लोगों में भ्रम डालकर बिल के समर्थन में फार्म भरवाए जा रहे हैं.
मगर क्या आपको पता है कि वक्फ संपत्तियों की तरह दक्षिण भारत में मंदिरों की जमीन सरकार के अधीन लेने के बाद उनका इस्तेमाल किस तरह किया जा रहा है ?
यहां बतौर उदाहरण तमिलनाडु के हिंदू धार्मिक एवं धर्मार्थ निधि विभाग की वेबसाइट पर दी गई कुछ जानकारियां साझा की जा रही हैं, जो यह बताती हैं कि बोर्ड बनाने के बाद कैसे इसका इस्तेमाल केवल हिंदुओं के लिए किया जा रहा है. यानी जो लोग यह भ्रम फैला रहे हैं कि वक्फ संपत्तियां केवल मुसलमानों के कल्याणनार्थ हैं तो तमिलनाडु के हिंदू धार्मिक एवं धर्मार्थ निधि विभाग भी तो यही कर रहा है. इसकी संपत्तियां मंदिर की मरम्मत और पुजारियां को पेंशन देने और धार्मिक पुस्तक छापकर आम हिंदुओं में बांटने पर खर्च किया जा रहा है. हद तो यह है कि एक जगह इस वेबसाइट में बताया गया कि इस विभाग का पैसा एक बार मुख्यमंत्री के स्वागत पर भी खर्च किया गया. यह विभाग कई अधिकारियां के निरंतरण में है, जैसा कि वक्फ बोर्ड के सारे एडमिनिस्टेटर सरकारी अधिकारी होते हैं.
हिंदू धार्मिक एवं धर्मार्थ निधि विभाग तमिलनाडु में एक मंत्रालय के अधीन है. इसी तरह वक्फ बोर्ड भी अल्पसंख्यक मंत्रालय के नियंत्रित में चलता है. यदि वक्फ संपत्तियां का लेकर कहीं कोई गड़बड़ी हुई तो अल्पसंख्यक मंत्रालय भी बराबर का दोषी रहा है.
बहरहाल, यहां तमिलनाडु के हिंदू धार्मिक एवं धर्मार्थ निधि विभाग के कुछ क्रिया क्लाप की झलकियां पेश की जा रही हैं, जो इसकी वेबसाइट से ली गई हैं, उसके बाद आसानी से समझा जा सकता है कि सरकार के अधीन आने के बाद ऐसी संपत्तियांे का कितना सद्पयोग हो रहा है और नए कानून लागू होने के बाद वक्फ संपत्तियों का क्या हश्र होने वाला है. एक बात और एमयूआरएसी नामक एक संस्थाना ने एक पोस्टर सोशल मीडिया पर साझा किया है, जिसमें बताया गया है कि अभी वक्फ बोर्ड के पास 6 लाख एकड़ जमीन है, जिसके बारे में कहा जा रहा है कि यह देश का तीसरा विभाग है जिसके पास सबसे ज्यादा संपत्तियां हैं. जबकि वक्फ बोर्ड से कई गुणा संपत्तिं आंध प्रदेश और तमिलनाडु के हिंदू धार्मिक एवं धर्मार्थ निधि विभाग के पास है. केवल इन दो प्रदेशों के हिंदू धार्मिक एवं धर्मार्थ निधि विभाग के पास 9.4 लाख एकड़ जमीन है. यानी वक्फ से 3.4 लाख एकड़ ज्यादा. वक्फ संशोधन बिल का विरोध करने वाले यह भी कह रहे हैं कि पहले हिंदू धार्मिक एवं धर्मार्थ निधि विभाग को सही राह पर लाया जाए और इसकी संपत्तियां आम आदमी के हित में इस्तेमाल करने के लिए कानून बनाएं, फिर वक्फ को लेकर इस तरह की कार्रवाई की जाए.
बहरहाल, हिंदू धार्मिक एवं धर्मार्थ निधि विभाग की वेबसाइट पर दी गई जानकारियां कुछ यूं हैं…..
हिंदू धार्मिक एवं धर्मार्थ निधि विभाग
प्राचीन तमिल ग्रंथ ‘थोलकप्पियम’ में कहा गया है कि प्राचीन तमिल भूमि, जो उत्तर में वेंकडम पहाड़ियों और दक्षिण में कुमारी (कन्याकुमारी) के बीच स्थित है, में मुल्लई भूमि (जंगल) के लिए मेयोन (विष्णु) देवता, कुरुंजी भूमि (पहाड़ी) के लिए सेयोन (मुरुगन उर्फ सुब्रमण्यर) देवता, मरुथम भूमि (मैदान) के लिए वेंडन (इंद्रन) देवता और मुल्लई भूमि (समुद्र) के लिए वरुणन (वरुण) देवता की पूजा की जाती है.
इसके आधार पर, मंदिरों के प्रशासन को सुव्यवस्थित करने के लिए विभाग बनाया गया था जो हमारी सांस्कृतिक विरासत और इतिहास के भंडार के प्रतीक के रूप में खड़े हैं.
ईस्ट इंडिया कंपनी के दिनों में भी मंदिर सरकार के अधीक्षण और नियंत्रण में रहे हैं.
हिंदू मंदिरों के पास प्राचीन काल से हजारों एकड़ भूमि का कब्जा रहा है. ईस्ट इंडिया कंपनी के समय में भी इन मंदिरों के कुप्रबंधन के बारे में शिकायतें मिलती थीं. आम जनता ने तत्कालीन राजाओं और ईस्ट इंडिया कंपनी के पास शिकायतें दर्ज कराईं. इस बीच, मद्रास विनियमन 1817 लागू किया गया. इस अधिनियम में यह निगरानी करने का प्रावधान था कि मंदिरों को दिए जाने वाले अनुदान और बंदोबस्ती का सही तरीके से उपयोग किया जा रहा है या नहीं या फिर उसे निजी व्यक्तियों के कल्याण के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है या नहीं. बोर्ड को यह काम करने का अधिकार दिया गया. इसके कारण हजारों मंदिर सरकार के नियंत्रण में आ गए. 1858 में भारत सरकार का प्रशासन ईस्ट इंडिया कंपनी के हाथों से सीधे ब्रिटिश ताज को सौंप दिया गया. ब्रिटिश सरकार के लिए लोगों का विश्वास जीतना और उनकी दुर्भावना को कम करना ज़रूरी था. इसलिए, ब्रिटिश सरकार ने आश्वासन दिया कि वह धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करेगी. इसलिए, जो लोग मंदिरों और उनकी संपत्तियों के मामलों का प्रबंधन कर रहे थे, वे बिना किसी बाधा के उनका आनंद लेते रहे. हालांकि, बड़ी संख्या में शिकायतें प्राप्त हुईं, लेकिन ब्रिटिश सरकार ने मंदिर प्रशासन से दूरी बनाए रखी क्योंकि वे भारतीय समाज और उससे जुड़ी मंदिर गतिविधियों की जटिलता को नहीं समझते थे. इसी समय, लोगों ने मूर्तियों, आभूषणों आदि जैसी मूल्यवान संपत्तियों के कुप्रबंधन और संपत्तियों के अतिक्रमण के बारे में शिकायतें दर्ज करना जारी रखा. जब पनागल के राजा, थिरु. रामराय निंगार ने मद्रास प्रेसीडेंसी के मुख्यमंत्री के रूप में कार्यभार संभाला; उन्होंने सभी मंदिरों को सरकार के नियंत्रण में लाने की कोशिश की. उन्होंने 1922 में “हिंदू परिपालनम” अधिनियम बनाने का प्रस्ताव रखा. उन्होंने तत्कालीन वायसराय लॉर्ड इरविन को प्रस्तावित विधेयक की पेचीदगियों के बारे में बताया और उनकी मंजूरी ली. अंत में, 1927 में हिंदू धार्मिक और धर्मार्थ बंदोबस्ती बोर्ड का गठन किया गया. बोर्ड को मंदिर के प्रशासन को नियंत्रित करने और उसकी देखरेख करने की शक्ति दी गई. इसी तरह, मंदिरों के उचित प्रशासन के लिए अधिकारियों को नियुक्त करने की शक्ति भी बोर्ड को दी गई. तत्पश्चात बोर्ड के प्रशासन को सुव्यवस्थित करने के लिए वर्ष 1940 में एक विशेष अधिकारी की नियुक्ति की गई. वर्ष 1942 में सेवानिवृत्त उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की अध्यक्षता में गठित गैर-सरकारी समिति द्वारा यह सुझाव दिया गया कि बोर्ड के स्थान पर सरकार द्वारा सीधे प्रशासन का कार्यभार संभालना उचित होगा. इसे स्वीकार कर लिया गया और हिंदू धार्मिक एवं धर्मार्थ बंदोबस्ती अधिनियम, 1951 लागू किया गया. कई संशोधन लाए गए और सरकार ने मंदिरों का प्रशासन अपने हाथ में ले लिया और कई विस्तृत संशोधन किए जाने के बाद 1 जनवरी 1960 से अधिनियम XXII, 1959 लागू हुआ. इस अधिनियम के आधार पर मंदिरों के प्रशासन के लिए एक अलग सरकारी विभाग बनाया गया.
लक्ष्यों के साथ वर्तमान परियोजनाएँ/विकास योजनाएँ
तमिलनाडु के माननीय मुख्यमंत्री की विधानसभा घोषणाओं के अनुसार, वल्लालर का मुप्पेरुम विझा तंजावुर जिले में 09.10.2022 और 16.07.2023 को आयोजित किया गया. तमिलनाडु के माननीय मुख्यमंत्री की विधानसभा घोषणाओं के अनुसार, सरकार की ओर से तंजावुर पेरुवुदयार मंदिर (प्रगदेश्वर मंदिर) में पहली बार 18.02.2023 को महा शिवरात्रि उत्सव आयोजित किया गया.
तमिलनाडु के माननीय मुख्यमंत्री की घोषणा के अनुसार तंजावुर पैलेस देवस्थानम को घाटे के कोष के रूप में 3,00,00,000/- रुपये दिए गए हैं.
तमिलनाडु के माननीय मुख्यमंत्री की विधानसभा घोषणा के अनुसार तंजावुर जिले में गरीब और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के परिवारों के 25 जोड़ों को 4 ग्राम सोने का मंगलम, 50,000 रुपये मूल्य के विवाह के सामान और घरेलू उपकरण (सीरवारिसाई) सामान सहित उपहार स्वरूप दिया जाएगा.
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री की विधानसभा घोषणा के अनुसार, थांगथेर (स्वर्ण रथ) का नव निर्माण किया गया और 14.02.2023 को पट्टीश्वरम अरुलमिगु थेनुपुरीश्वर मंदिर में माननीय हिंदू धार्मिक और धर्मार्थ बंदोबस्ती मंत्री द्वारा इसका उद्घाटन किया गया.
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री की विधानसभा घोषणा के अनुसार, कुंभकोणम अरुलमिगु आदिकुंभेश्वर स्वामी मंदिर में स्वामी थिरुथेर ने 49,00,000 लाख रुपये का दान दिया है. 22.02.2023 को पूर्वाभ्यास किया गया.
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री की विधानसभा घोषणा के अनुसार, कुंभकोणम अरुलमिगु अधिकुंभेश्वरस्वामी मंदिर और ओप्पिलियप्पन कोइल अरुलमिगु वेंकटजलपति मंदिर के हाथियों के लिए स्नान टब का निर्माण किया गया, जिसका उद्घाटन माननीय हिंदू धार्मिक और धर्मार्थ बंदोबस्ती मंत्री ने किया. मंदिर कर्मचारियों के लिए मासिक प्रोत्साहन योजना: क) विधानसभा की घोषणा के अनुसार 1265 मंदिरों में काम करने वाले 1265 अर्चागारों को 1000/- रुपये का मासिक प्रोत्साहन दिया जा रहा है. मंदिर कर्मचारियों के लिए पेंशन वृद्धि: तमिलनाडु के मुख्यमंत्री की विधानसभा घोषणा के अनुसार निम्नलिखित कार्यान्वयन किए गए: क) मंदिरों से सेवानिवृत्त हो चुके ओथुवर, अर्चागा, संगीतकार, वेदपारायण, आर्य और दिव्य प्रबंध गायकों को 3000/- रुपये देने की योजना। ख) हिंदू धार्मिक और धर्मार्थ बंदोबस्ती विभाग के नियंत्रण में न आने वाले गांव के मंदिरों में 20 साल तक काम करने वाले 31 अर्चागरों और पूजारियों को 4,000/- रुपये की पेंशन दी जा रही है.
आदि द्रविड़ तिरुपानी और ग्रामपुरा थिरुप्पनी मंदिर: 2021 – 2022 वर्ष
ग्राम मंदिर थिरुप्पनी – 48
आधिद्रविदर मंदिर थिरुप्पनी – 35
2022 – 2023 वर्ष
ग्राम मंदिर थिरुप्पनी – 41
आधिद्रविदर मंदिर थिरुप्पनी – 30
ओरुकला पूजा योजना
1295 मंदिरों के लिए 2.00 लाख रुपये प्रति मंदिर की दर से वित्तीय सहायता का निवेश किया गया है और ब्याज राशि मंदिर को दी गई है और दैनिक ओरु कला पूजा जारी रखी जा रही है. 545 मंदिरों के बिजली कनेक्शन को व्यक्तिगत नाम से मंदिर के नाम में बदल दिया गया है. 54 मंदिरों को नया बिजली कनेक्शन मिला है.
ओरुकला पूजा योजना के तहत अक्टूबर 2021 से 1295 मंदिर अर्चागरों/पट्टाचार्यों/पूजारियों को 1000 रुपये प्रति माह दिए जा रहे हैं.
स्कूलों/अस्पतालों/फील्ड स्टेशनों/छात्रावासों आदि की सूची
– कोई नहीं –
योजनाओं/विकास योजनाओं/स्कूलों/क्लीनिकों का विवरण
अन्नई तमीज़िल अर्चनाई
पुराने समय के तमिल संत तमिल में छंदों का जाप करके भगवान को प्रसन्न करते थे। संतों द्वारा प्रस्तुत थिरुमंदिरम, देवरम, थिरुवासगम, नलयिरा दिव्यप्रबंधम, थिरुपुगाज़ आदि ने न केवल तमिल भाषा को समृद्ध किया है बल्कि इसके विकास में भी योगदान दिया है.
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ने अन्नई तमीज़िल अर्चनाई
की उपलब्धता की घोषणा करते हुए एक बैनर जारी किया. पहले चरण में, यह व्यवस्था 47 वरिष्ठ श्रेणी के मंदिरों में लागू की गई है. बैनर मंदिर में तमिल अर्चना करने के लिए उपलब्ध पुजारियों (गुरुक्कल) के नाम और उनके संपर्क नंबर प्रदर्शित करता है.
सरकार ने तमिल अर्चनाई पुस्तकें उपलब्ध कराकर अन्नाई तमिज़िल अर्चनाई योजना का और समर्थन किया है. 12 अर्चना पुस्तकें अर्थात् अरुल्मिगु विनयगर पोट्री, अरुल्मिगु मुरुगवेल पोट्री, अरुल्मिगु उमैम्मई पोट्री, अरुल्मिगु नटराजर पोट्री, अरुल्मिगु थेनमुगाकदावुल पोट्री, अरुल्मिगु कोथंडारमार पोट्री, अरुल्मिगु थायर पोट्री, अरुल्मिगु दुर्गईम्मन पोट्री, अरुल्मिगु कलियाम्मन पोट्री, अरुल्मिगु मरियम्मन पोट्री, अरुल्मिगु हनुमान पोट्री और अरुलमिगु सिवन पोट्री का शुभारंभ 12.08.2021 को तमिलनाडु के माननीय मुख्यमंत्री द्वारा किया गया. इसके अलावा, दो और अर्चना पुस्तकें अरुलमिगु थिरुमल पोट्री और अरुलमिगु नवकोलगल पोट्री प्रकाशित की गई हैं.
सभी समुदायों से अर्चकों की नियुक्ति
सभी उपासकों को प्रार्थना करने, अनुष्ठान करने, ईश्वर की पूजा करने और सामाजिक न्याय को बढ़ावा देने में सक्षम बनाने के लिए, सरकार ने आदेश दिया है कि सभी समुदायों के हिंदू आवश्यक योग्यता और आवश्यक प्रशिक्षण के साथ हिंदू मंदिरों में अर्चक बन सकते हैं. छात्रों को प्रशिक्षित करने के लिए मदुरै, पलानी, तिरुचेंदूर और तिरुवन्नामलाई में चार ‘शैव अर्चक’ प्रशिक्षण संस्थान और चेन्नई और श्रीरंगम में दो ‘वैष्णव अर्चक’ प्रशिक्षण संस्थान शुरू किए गए.
मंदिरों में भक्तों की भीड़ से बचने के लिए, भक्तों को इलेक्ट्रॉनिक रसीद देने की व्यवस्था स्थापित की गई है.
ओरुकला पूजा योजना के तहत मंदिरों में पूजा के प्रदर्शन की निगरानी के लिए “एचआरसीई मोबाइल ऐप” लॉन्च किया गया है और चालू है.
सभी प्रकार की विकास परियोजनाओं के लिए आवश्यक प्रपत्रों/याचिकाओं का विवरण https://hrce.tn.gov.in/
सरकारी आदेश और घोषणाएँ
जिला न्यासी बोर्ड की नियुक्ति:
सरकारी आदेश संख्या 104 पर्यटन, संस्कृति और धर्मार्थ संस्थान (ए.एन.3-1) विभाग दिनांक: 29.05.2023 तंजावुर जिला समिति गैर-वंशानुगत न्यासी नियुक्ति संकल्प दिनांक 14.07.2023 तंजावुर जिले में 1304 सूचीबद्ध और गैर-सूचीबद्ध मंदिरों के लिए नियुक्ति के संबंध में.
विभाग की वेबसाइट पर एक घोषणा की गई है और संबंधित मंदिर कार्यालय, ग्राम प्रशासन कार्यालय, पंचायत परिषद अध्यक्ष के कार्यालय और अन्य कार्यालयों में विज्ञापन देने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं.
तमिलनाडु में नई सरकार की एक वर्ष की सालगिरह के अवसर पर, 18.03.2023 से 27.03.2023 तक तंजावुर पुराने बस स्टैंड के पास निगम मैदान में “ओया उझाइपिन ओरंडु कडाइकोडी थमिझारिन कनवुगलाई थंगी” शीर्षक से एक फोटो प्रदर्शनी और जागरूकता प्रदर्शन आयोजित किया गया.
सफलता की कहानियाँ
तंजावुर सहायक आयुक्त प्रभाग के अंतर्गत 28 सूचीबद्ध और गैर-सूचीबद्ध मंदिरों से संबंधित 235 प्लॉट नंबरों के साथ 298.05 एकड़ का क्षेत्र, जिसका प्रस्तावित मूल्य 128.88 करोड़ रुपये है, 328 अतिक्रमणकारियों से अधिग्रहित किया गया है और मंदिरों को सौंप दिया गया है.
तंजावुर सहायक आयुक्त प्रभाग के अंतर्गत सूचीबद्ध और गैर-सूचीबद्ध मंदिरों से संबंधित 5757.42 एकड़ भूमि की माप की गई है और 481 सीमा पत्थर लगाए गए हैं.
तंजावुर सहायक आयुक्त प्रभाग के अंतर्गत सूचीबद्ध और गैर-सूचीबद्ध मंदिरों से संबंधित 940.1 एकड़ भूमि की पहचान की गई है और पहली बार इसकी नीलामी की गई है.
तमिलनाडु के माननीय मुख्यमंत्री के आदेश के अनुसार, तंजावुर जिले में 45 मंदिरों के 12 वर्ष पूरे होने पर कुदामुझुकु का आयोजन किया गया.
लाभार्थियों का विवरण
1295 मंदिरों के लिए दैनिक ओरु कला पूजा योजना के तहत प्रति मंदिर एक अर्चागर की दर से 1295 अर्चागर लाभान्वित हो रहे हैं.
31 गांव के मंदिर के पुजारियों को 4000 रुपये प्रति माह की दर से पेंशन दी जाती है.
संस्था
हिंदू धार्मिक एवं धर्मार्थ बंदोबस्ती विभाग
सहायक आयुक्त का कार्यालय
सच्चिदानन्दा मूपनार सलाई
तंजावुर – 613007.
संस्था/विभागाध्यक्ष, अधिकारी विवरण:
आयुक्त
हिंदू धार्मिक एवं धर्मार्थ बंदोबस्ती विभाग:
119, उथमार गांधी सलाई,
नुंगमबक्कम, चेन्नई- 34
फोन नंबर : 044 – 28339999
टोलफ्री नंबर : 1800-425-1757 (24 घंटे सेवा)
ईमेल : [email protected]
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