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पिथौरागढ़़ की तरह अब उत्तराखंड के पुरोला के 86 मुस्लिम दुकानदारों पर शहर छोड़ने का दबाव

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली देहरादून

लगता है कि उत्तराखंड से मुसलमानों को भगाने की सोची समझी साजिश चल रही है. मामूली सी घटना को आधार बनाकर मुसलमानों पर इलाका छोड़ने का दबाव बनाया जा रहा है. पिथौरागढ़़ के बाद अब एक ऐसा ही मामला उत्तराखंड के पुरोला से सामाने आया है.पुरोला में रहने वाले मुसलमान बेहद डरे-सहमे हुए हैं. टाइम्स आॅफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, पुरोला के मुसलमानों को इलाका छोड़ने के लिए वही फार्मूला आजमाया जा रहा है, जो पिथौरागढ़़ में आजमाया गया था.

याद रहे कि तकरीबन एक साल पहले उत्तराखंड के उत्तरकाशी के पिथौरागढ़़ में एक मुस्लिम युवक और एक हिंदू लड़की के प्रेस प्रसंग को कुछ कट्टरवादी संगठनों ने सांप्रदायिक रंग देकर शहर से मुसमलमानांे को भगाने के लिए मुहिम छेड़ दी थी. बाद में स्थिति इतनी बिगड़ी के कई दिनांे तक मुसलमानों को अपने व्यापारिक प्रतिष्ठान बंद रखने पड़े. उसके बाद पिथौरागढ़़ से कई मुस्लिम व्यापारियों के पलायन कर देहरादून में शरण लेने का मामला सामने आया था.

टीओआई की रिपोर्ट के अनुसार, पुरोला में भी कुछ हद तक पिथौरागढ़़ जैसा मामला है. एक मुस्लिम युवक और एक नाबालिग हिंदू लड़की का प्रेम प्रसंग सामने आने के बाद पुरोला में दक्षिणपंथी बवाल काट रहे हैं. प्रदर्शन कर रहे हैं. इसके साथ ही शहर के 86 मुस्लिम व्यापारियांे पर कारोबार समेट कर शहर छोड़ने के लिए दबाव बनाया जा रहा है. बताते हैं कि इलाके की स्थिति बेहद तनावपूर्ण हो गई है.

एचटी की एक रिपोर्ट के अनुसार, पिछले साल भी उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के पुरोला इलाके में स्थिति तनावपूर्ण हो गई थी और वहां के मुस्लिम व्यापारियों को शहर छोड़कर जाने के लिए मजबूर किया गया था. रिपोर्ट में बताया गया कि बाद में स्थिति थोड़ी काबू में आई और कुछ मुस्लिम दुकानदारों ने अपनी दुकानें फिर से खोलनी शुरू कर दीं थी.

26 मई को 14 साल के एक व्यक्ति के कथित अपहरण के प्रयास के बाद इलाके में सांप्रदायिक तनाव भड़कने के बाद दक्षिणपंथी संगठनों ने कथित तौर पर उनकी दुकानें बंद करा दी थीं. आरोप है कि एक बूढ़ी महिला का दो लोगों ने अपहरण कर बलात्कार किया था, जिनमें एक अल्पसंख्यक समुदाय से था.

इसके बाद के दिनों में, ऐसे समूहों के विरोध प्रदर्शनों ने तनाव बढ़ा दिया और कथित तौर पर धमकियों के बाद 45 में से 40 मुस्लिम व्यापारियों और निवासियों को शहर छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा. एचटी की रिपोर्ट कहती है, मुसलमानों की स्वामित्व वाली या किराए पर ली गई कम से कम 55 दुकानों में तोड़फोड़ की गई और उन पर हमला किया गया.

उत्तरकाशी शहर में मुस्लिम व्यापारियों को 15 जून तक दुकानें बंद करने की धमकी देने वाले पोस्टर सामने आए थे.दक्षिणपंथी संगठनों द्वारा दिए गए आह्वान के बीच कानून और व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 144 लागू करने के खिलाफ व्यापार संघों ने अधिक दुकानें बंद कर दीं थीं. इस बीच, पुरोला प्रशासन ने कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी. उसने हिंदू संगठनों द्वारा बुलाई गई महापंचायत की अनुमति नहीं दी.

बाद में इलाके के कुछ मुसलमानों ने पुलिस की निगरानी में अपनी दुकानें खोलीं. पुरोला में कपड़े की दुकान के मालिक, मोहम्मद अशरफ, बिजनौर ने कहा कि उन्होंने अपनी दुकान खोली है जो 27 मई के बाद इलाके में सांप्रदायिक तनाव पैदा होने के बाद बंद हो गई थी.

उन्हांेने बताया कि उनकी दुकान 2002 से चल रही है. उनका जन्म भी यहीं हुआ. उनके पिता 1978 में उत्तर प्रदेश के बिजनौर क्षेत्र से यहां आए थे. अशरफ ने कहा कि लगभग सात से आठ दुकानदारों ने अपनी दुकानें खोली है. “लगभग 13 से 14 दुकानदार जो चले गए थे वे अभी तक वापस नहीं आए हैं. हो सकता है कि आने वाले दिनों में वे भी वापस आएं और अपनी दुकानें खोलें.

सैलून की दुकान के मालिक सैफ अली ने कहा कि वह इतने दिनों के बाद दुकान खोलकर खुश हैं. “पिछली बार उनकी दुकान 27 मई को खुली थी. उसके बाद, दुकान नहीं खोल सका.स्थिति में सुधार और प्रशासन के आश्वासन के बाद, फिर से दुकान खोली है.अब नए पंगे के बाद एक बार फिर उनपर पलायन के बादल मंडराने लगे हैं.