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लोकसभा चुनाव 2024: मुसलमानों के खिलाफ दुष्प्रचार से टूटा भाजपा का अहंकार

मुस्लिम नाउ विशेष

काठ की हंडिया बार बार नहीं चढ़ती. भारतीय जनता पार्टी को 18 वीं लोकसभा चुनाव के परिणाम से स्पष्ट हो गया होगा. धर्म की राजनीति कर एक दो बार तो तूफान खड़ा किया जा सकता है, पर हर बार जज्बाती मुददे काम नहीं आते. भाजपा ने यहां गलती की और 400 के पार तो छोड़िए ढाई सौ पार नहीं कर पाई.

उसे लोकसभा चुनाव 2024 में कुल 44 सीटें मिली हैं, जो पिछले चुनाव से 61 कम है. अब स्थिति यह है कि बीजेपी सरकार तो बनाने जा रही है, पर दो बड़ी बैसाखियों के सहारे. वह भी इस डर के साथ कि कब कौन सहारा खींच ले. चूंकि बीजेपी को पार्टियों को तोड़ने में महारत हासिल है. इसलिए सरकार बनाने के बाद उसकी ओर से इस चाल के चलने का खतरा है. बावजूद इसके उम्मीद की जा रही है कि समर्थन देने वाले इस बात को अच्छी तरह समझते हैं. जैसे ही ऐसी नौबत आएगी, अपनी बैसाखी खींच लेंगे. गर्ज कि मोदी द्वारा पांच साल सरकार चलाना कोेई आसान नहीं होगा.

बहरहाल, अब आते जज्बाती नारों और मुसलमानों के खिलाफ दुष्प्रचार की. पिछले पांच वर्षों से आरएसएस और बीजेपी की ओर से मुसलमानों को करीब लाने की कोशिशें चल रही थीं. इसके लिए उन्हांेने कुछ बड़े मुस्लिम चेहरों को भी आगे किया था. परिणाम स्वरूप मुसलमनांे एक वर्ग धीरे-धीरे उनके करीब भी आने लगा था. इसे आप इस तरह समझ सकते हैं कि बीजेपी के निकटता के करीब मदरसा, मस्जिद, तीन तलाक, राम मंदिर, अनुच्छे 370, सीएए जैसे गंभीर मुददों पर मुसलमानों और मुस्लिम रहनुमाओं की उतनी कड़ी प्रतिक्रिया सामने नहीं आई, जैसा की उनसे उम्मीद की जाती है. यदि वे चाहते तो एक दूसरा शाह बानो वाला आंदोलन खड़ा कर सकते थे. मगर ऐसा नहीं किया. बेहद संयम से काम लिया.

बल्कि यूं कहें तो देश का आम मुसलमान यह समझने लगा था कि आजादी के बाद सेक्युलर पार्टियों ने उनके साथ वह बर्ताव नहीं किया, जैसा कि वे उनसे उम्मीद रखते थे. ऐसे में बीजेपी से परहेज करना गैरवाजिब होगा. यहां तक कि पिछड़े मुसलमानों का एक वर्ग यह समझने लगा था कि बीजेपी ही उनकी आखरी उम्मीद है. मोदी या बीजेपी का कोई बड़ा नेता पसमांदा के प्रति हमदर्दी के बोल बोलता तो लगता कि उनका यही लोग कल्याण करने वाले हैं.

मगर चुनाव आते ही मोदी सहित तमाम नेता जैसे मुसलमानों पर बम बरसाने लगे. कांग्रेस की आड़ में मुस्लिम मुखालिफ बयान दिए. यहां तक कह दिया कि हिंदू औरतों के मंगलसूत्र मुसलमान उतार लेंगे. कांग्रेस उनकी संपत्ति मुसलमानों को दे देंगे. दलितों आरक्षण छीनकर मुसलमानों को दे दिया जाएगा.

इसके दुष्प्रचार के लिए दिलीप मंडल जैसे तथाकथित बुद्धिजीवी पत्रकार को शह दिया गया. मुस्लिम मुखाफि बातें मिस्टर सिन्हा जैसे एक्स हैंडल से फैलाई गईं. मगर यह भारत का हिंदू-मुसलमान है, यह गंगा जमुनी तहजीब का देखना है. ऐसी बातें न मुसलमान पसंद करते हैं और न हिंदू. यही ऐसा नहीं होता तो दुनिया की दूसरी बड़ी मुस्लिम आबादी वाले देश के अधिक लोग आतंकवादी गतिविधियांे में शामिल होते. हमारी संस्कृति, खान,पान एक है. दुष्प्रचार इसे तोड़ नहीं सकती. बीजेपी और संघ को यह समझ में आ गया होगा. यदि उन्हांेने आगे भी इसी तरह का रवैया रखा तो भारत की जनता उन्हें अलगी बार घर की बैठा सकती है.