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लोकसभा चुनाव: मोदी का बड़ा आरोप, दिल्ली की 123 संपत्तियां वक्फ बोर्ड को सौंपने की साजिश

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली

केंद्र की सत्ता से बेदखल होने के भय के कारण एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी के नेता और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मुसलमान याद आए. लोकसभा चुनाव 2024 के हर चरण के मतदान से पहले बीजेपी की कोशिश रहती है कि हिंदू-मुसलमान का माहौल बनाकर वोट का ध्रुवीकरण किया जाए.

हालांकि बार बार ऐसे प्रयासों के बावजूद बीजेपी को लाभ कम हानि अधिक होता दिख रहा है. भाजपाइयों के तमाम प्रयासों के बावजूद लोग घरों से वोट देने उस तरह नहीं निकल रहे, जैसे पिछले दो चुनावों में मोदी के नाम पर  बूथों पर उमड़ पड़ते थे. चार चरणों में मतदान बड़ी मुश्किल से 60 प्रतिशत के पार हो पाया.

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लोगों में वोट के प्रति उत्साह नहीं है. बेकारी, बेरोजगारी, महंगाई और भ्रष्टाचार से परेशान लोग हिंदू-मुसलमान की राजनीति से उब चुके हैं. उन्हें ठोस समाधान चाहिए. सरकारी टुकड़ों पर पलने वाले 80 करोड़ लोग अपने पैरों पर खड़ा होना चाहते हैं.

मगर इसमें बीजेपी बुरी तरह विफल रही है. इसे भांपते हुए भाजपा पहले चरण के मतदान से ही चुनाव प्रचार में हिंदू-मुसलमान कर रही है. राजस्थान के चुनावी सभा में नरेंद्र मोदी ने हिंदू-मुसलमान का जो कार्ड खेला, वह अब तक खेला जा रहा है. बीजेपी ‘मोदी की गारंटी’ वाला अपना घोषणा पत्र भूल चुकी है. भाजपा के चुनावी सभा में पिछले 10 साल की उपलिब्धयां सुनने को नहीं मिल रही हैं. सुनने को मिलती भी हैं तो बेहद सरसरी तौर पर.

20 मई को जब लोकसभा चुनाव 2024 के पांचवें चरण का मतदान होना है तो मोदी ने दिल्ली की जनता के सामने फिर हिंदू-मुस्लिम कार्ड खेला.उन्होंने एक चुनावी सभा में वक्फ संपत्तियों को लेकर ऐसी बातें कहीं मानों कांग्रेस की तत्कालीन मनमोहन सिंह सरकार ने आम आदमी की संपत्ति ‘लूट’ कर वक्फ बोर्ड को दे दी. वह भी इसलिए कि ‘वोट जिहाद’ करने वाली कांग्रेस को वोट मुसलमान वोट दे सकें.

अव्वल तो यदि कोई संपत्ति वक्फ बोर्ड को सौंपी जाए तो वह गैर-कानूनी नहीं है, क्यों कि वक्फ बोर्ड केंद्र सरकार के अधीन है. दूसरे यदि नियम विरूद्ध संपत्तियां ट्रांसफर की गईं तो एक दशक से केंद्र में रहने वाली बीजेपी सरकार ने उसे वापस लाने के किस तरह के प्रयास किए ? क्या इसे अब तक केवल इसलिए छोड़ दिया गया कि चुनावी भाषण में इसका इस्तेमाल किया जा सके ?

हालांकि, पीएम मोदी कहते हैं कि ‘‘ मैं सत्ता पाने के लिए हिंदू-मुसलमान नहीं करता, ऐसी नौबत आई तो सत्ता त्याग दूंगा.‘‘ मगर इनके चुनावी भाषण सुन लें पता चल जाएगा कि वह किस हद तक ‘हिंदू-मुसलमान मुददे’ से दूर हैं ? दरअसल, जब किसी के पास कुछ खास कहने को नहीं होता है तो इधर-उधर की छोड़ता रहता है.

बीजेपी यदि खुद को दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी होने का तमगा उठाए घूम रही है तो उसे चुनाव में भी ऐसा दिखना चाहिए कि यही देश को दोबारा ‘सोने की चिड़िया’ बनाना है तो उसे जनता को वापस लाना चाहिए. मगर ऐसा हो नहीं रहा है.

बहरहाल, बीजेपी समर्थक मिस्टर सिन्हा ने मोदी के भाषण का एक वीडियो सोशल मीडिया पर साझा किया है, जिसमें मोदी कहते सुनाई दे रहे हैं कि 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले रिमोट से चलने वाली डॉक्टर मनमोहन सिंह की सरकार ने दिल्ली की 123 संपत्तियां वक्फ बोर्ड को सौंप दीं. ऐसा इसलिए कि ‘वोट जिहाद’ करने वाले कांग्रेस को वोट दे सकें. हालांकि, मोदी को यह भी बताना चाहिए कि सेंट्रल वक्फ बोर्ड बीजेपी की 10 साल की सरकार में कितनी वक्फ संपत्तियों पर से अवैध कब्जे हटाने में सफल रहा है.

प्रेस सूचना ब्यूरो भारत सरकार की एक पुरानी रिपोर्ट में वक्फ संपत्ति पर अवैध कब्जे की पूरी डिटेल है.