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लोकसभा चुनाव 2024: यूपी की 80 सीटों पर मुस्लिमों में ‘पसमांदा’ के नाम पर फूट डालने की योजना, मोदी मित्र के तहत 900 मदरसों में योग दिवस

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली

पहले हिमाचल और उसके बाद कर्नाटक में भारतीय जनता पार्टी को मिली करारी शिकस्त के बाद पार्टी का शीर्ष नेतृत्व किसी ऐसे फार्मूले की तलाश में है, जिससे तीसरी बार केंद्र में भाजपा आ सके.

कर्नाटक चुनाव में ‘हिंदू एजेंडा’ बुरी तरह पिट जाने और मुसलमानों की एकजुटता ने भारतीय जनता पार्टी को बौखला दिया है. ऐसे में उसे लगता है कि यदि बड़ी संख्या में मुस्लिम आबादी वाले उत्तर प्रदेश की 80 सीटों पर मुसलमानों में फूट डाल दिया जाए तो इसका तीसरी बार सत्ता में आना तय है.

इस योजना को सिरे चढ़ाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, पार्टी नेता और इसकी गोदी मीडिया ने पसमांदा के नाम पर मुसलमानों की एकजुटता में दरार डालने के लिए एक व्यापक अभियान में चला रखा है. इसके तहत मुसलमानांे मंे अगड़े-पिछड़े का भ्रम डालकर उनके वोट मंे सेंधमारी की कोशिशें चल रही हैं.

चूंकि उत्तर प्रदेश में बुनकर और दूसरे कारीगर मुसलमान अन्य प्रदेशों के मुकाबले अधिक हैं, इसलिए इस सूबे को प्रयोगशाला बनाने की तैयारी है.

हालांकि, कर्नाटक चुनाव के दौरान ‘पसमांदा’ कार्ड खेलकर मुसलमानों की एकजुटता तोड़ने की कोशिश की गई, पर यह कोशिशें बेकार गईं. पसमांदा के नाम पर मुसलमानों में फूट डालने की कितनी गंभीर कोशिश चल रही हैं, इसका अंदाजा लगाना हो तो संघ, पार्टी और सरकार समर्थित कुछ मीडिया आउलेट्स में उटपटांग तथ्यों के साथ छपने वाले लेखों को पढ़कर समझा जा सकता है.

भाजपा का व्यापक खेल

लोकसभा 2024 के चुनावों को लेकर भाजपा ने यूपी में मिशन-80 के लिए नई रणनीति बनाई है. प्रदश के सभी 80 लोकसभा सीटें जीतने के लिए भाजपा मुस्लिम वोटर को पटाने के प्रयास में है. मिशन मोदी मित्र अभियान तैयार कर लोकसभा सीट से 5-5 हजार मुस्लिमों को पार्टी मित्र बनाने की तैयारी है. 80 लोकसभा सीटों पर कुल 4 लाख मुस्लिमों को पार्टी से जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है.

भाजपा मुस्लिम मोर्चा जनसंपर्क महा अभियान चलाएगी. इसके लिए 400 कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे. इस दौरान यूपी के 900 मदरसों में 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर योग करवा जाएगा. यही नहीं अजमेर के नसीरूद्दीन टाइप सूफी विचारधारा के लोग मदरसों में जाकर मुस्लिमों के बीच भाजपा की पैरवी करेंगे. उन्हें सरकार की योजनाओं और इस सरकार में मुसलमानों की सुरक्षा और उनके हित में किए गए कामों को गिनवाएंगे. इस दौरान तीन तलाक, अनुच्छेद 370, राम मंदिर जैसे विवादास्पत मसले पर भी सरकार की पैरवी की जाएगी, क्योंकि भाजपा और संघ के मुस्लिम संगठनों को पता है कि इस मामले को मुसलमान अपने दिल से नहीं निकाल पाए हैं.

मिशन मोदी मित्र

इसकी शुरुआत शनिवार को वेस्ट यूपी के संभल से हो गई. ओडिशा ट्रेन हादसे को देखते हुए इस कार्यक्रम सांकेतिक ही रखा गया था. इस दौरान मौजूद उत्तर प्रदेश अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष अशफाक सैफी समेत अन्य ने हादसों पर शोक जताया.

25 सीटों पर खास नजर

यूपी की करीब 25 लोकसभा सीटें ऐसी हैं, जिन पर मुस्लिम मतदाताओं का खासा प्रभाव है. ये सीटें हैं मेरठ, अमरोहा, बिजनौर, मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, नगीना आदि. यहां मुस्लिम समाज चुनाव में निर्णायक भूमिका में रहता है. भाजपा का सर्वाधिक फोकस इन्ही सीटों पर है.
इस बारे में यूपी अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष अशफाक सैफी ने बताया, भाजपा की केंद्र और राज्य सरकार सबका साथ, सबका विकास और सबका प्रयास के साथ काम कर रही है. बिना भेदभाव सबके लिए काम किया. ऐसे में भाजपा ने मुस्लिम समाज के लिए दोस्ती का हाथ आगे बढ़ाया है. इसके तहत हर लोकसभा में 5 हजार मोदी मित्र बनाए जाएंगे. भाजपा ने नगर निकाय के चुनाव में बड़ी संख्या में मुस्लिम समाज के प्रत्याशियों को टिकट दिया. इसकी दूसरी कड़ी के तौर पर अब मुस्लिम डॉक्टर, इंजीनियर और अन्य प्रतिष्ठित लोगों को पार्टी से जोड़ा जाएगा. संभल में इसकी शुरूआत हो गई.

सूफी सम्मेलन भी

पिछले कुछ महीने से सूफीज्म के नाम पर देश में काफी गतिविधियां देखी जा रही हैं. दरअसल, इसके पीछे संघ और भाजपा ही है. इसके आयोजनों, इसमें शांमिल होने वाले लोगों के सोशल मीडिया प्रोफाइल खंगाले जाएं तो सारा भेज अपने आप खुल जाएगा. सफी फिरके के लोग लगातार दूसरे फिर के मुसलमानों को ‘गलत’ और ‘कट्टर’ साबित करने में लगे हैं, ताकि आम मुसलमान भ्रम का शिकार हो जाए.

इस बीच अशफाक सैफी ने बताया, मिशन मोदी मित्र के तहत मुस्लिम धर्म गुरुओं की भी मदद ली जाएगी. इसके लिए पसमांदा मुस्लिम समाज के धर्मगुरुओं की खास मदद ली जाएगी. जिलों के प्रमुख मदरसों के मौलवी और ऐसे धर्मगुरु, जिनकी समाज में पकड़ हो, उनके साथ मिलकर सूफी सम्मेलन कराए जाएंगे. अलग बात है कि पसमांदा को सूफियों के प्रति कुछ खास आस्था नहीं. पसमांदा के एक लेखक डाॅ फैयाज अहमद फैजी ने अपने लेख-क्या सैयदवाद का पोषक है सूफीवाद, शीर्षक से छपे अपने लेख में इसपर सवाल उठाए हैं.

अशफाक सैफी का कहना है कि देश बदल रहा है.मुस्लिम समाज के मन से डर खत्म हो रहा है. मुस्लिमों को केंद्र और प्रदेश की हर योजना का पूरा लाभ मिल रहा है.

900 मदरसों में योग दिवस

21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर यूपी के 900 मदरसों में योग होगा. यूपी के 900 मदरसों में जनसंपर्क अभियान के तहत कार्यक्रम कराया जाएगा. 400 कार्यक्रम प्रमुखों को इसकी जिम्मेदारी सौंपी गई है.80 लोकसभा सीटों पर एक महीने तक चलने वाले भाजपा के जनसंपर्क महा अभियान की शुरुआत 30 मई को हो चुकी है. 30 जून तक यह अभियान चलेगा. जनसंपर्क के इस महा अभियान में भाजपा सांसद, विधायक, प्रदेश मंत्री, केंद्रीय मंत्री भी शामिल होंगे.

फूट डालने को बंटेगी किताब

भाजपा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मन की बात पर एक लाख किताबें उर्दू में छपवाएगी, जिन्हें मुस्लिम बाहुल्य सीटों पर बांटा जाएगा. पार्टी कार्यकर्ता इन इलाकों में मुस्लिम स्कॉलर्स को ये किताबें देंगे, ताकि वह पीएम के मन की बात का प्रचार प्रसार अपने समुदाय के लोगों में कर सकें.दरअसल, यह सब मुसलमानों को भ्रमाणे के लिए किया जाएगा. इसके अलावा मुस्लिम समाज को बीजेपी से जोड़ने के लिए अल्पसंख्यक मोर्चा के कार्यकर्ता लोगों के साथ मिलकर चर्चा भी करेंगे.

चुनाव में भाजपा का प्रदर्शन

2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने यूपी की 80 में से 73 सीटें जीती थीं. भाजपा ने 71 और अनुप्रिया पटेल की अपना दल ने दो सीटों पर कब्जा जमाया था. 2019 के चुनाव में सपा-बसपा-रालोद गठबंधन के चलते भाजपा गठबंधन सिर्फ 64 सीटें ही जीत सका था. इस तरह से 2014 की जीती अपनी 9 सीटें 2019 में गंवा दी थी.

2019 में बीजेपी इन 16 लोकसभा सीटों पर हारी

पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा बिजनौर, अमरोहा, मुरादाबाद, संभल, राययबरेली, घोसी, लालगंज, जौनपुर, अंबेडकर नगर, गाजीपुर, श्रावस्ती, मैनपुरी, सहारनपुर, आजमगढ़, रामपुर और नगीना सीटें हार गई थी. इनमें से बसपा ने 10, सपा ने 5 और कांग्रेस ने 1 सीट जीती थीं. बाद में उपचुनाव में भाजपा ने आजमगढ़ और रामपुर की सीट पर कब्जा कर लिया.

मगर पिछले नौ साल के कार्यकाल में केंद्र और उत्तर प्रदेश की सरकार ने नौकरी, रोजगार, विकास, महंगाई आदि को लेकर ऐसा कुछ ठोस नहीं किया है, जिससे खुश होकर जनता भाजपा को फिर अधिक सीटें जिता सके. ऐसे में भाजपा के हाथों से 2024 में और अधिक सीटें फिसल सकती हैं, ऐसे नौबत न आए इसके लिए मुसलमानों के इर्दगिर्द जाल बुना जा रहा है. जबकि मुसलमानों को भी पता है कि पिछले एक दशक में उनके हित में कितने फैसले लिए गए. हद तो यह है कि भाजपा में शामिल मोख्तार अब्बास नकवी और शाहनवाज हुसैन जैसे सीनियर लीडर भी हाशिये पर धकेल दिए गए हैं.