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Loksabha Election 2024 : ओवैसी हलवा नहीं कि हैदराबाद से बीजेपी उम्मीदवार माधवी लता उन्हें ‘गटक’ लें

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, हैदराबाद

गहराई नापना हो तो अच्छी बात है. मगर हैदराबाद के सिटिंग लोकसभा सदस्य और एआईएमआईएम मुखिया ओवैसी को हराने का सोच रहे हैं तो आपको एक बार फिर अपने निर्णय की समीक्षा करनी चाहिए. विशेषकर भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष और हैदराबाद से बीजेपी उम्मीदवार माधवी लता को. ओवैसी ने इतनी कच्ची गोलियां नहीं खेली हैं कि उन्हें आसानी से टे्रप किया जा सके.

हैदराबाद में ओवैसी परिवार की तूती बोलती है. या यूं कहें कि इस शहर में इनका परिवार ’ठाकरे’ और ‘सिंधिया परिवार’ जैसी हैसियत रखता है. ओवैसी ने न केवल अनेेक चुनाव लड़े और जीते हैं, अपनी पार्टी के बैनर तले एआईएमआईएम के कई उम्मीदवारों को लोकसभा और विधानसभा में भी जिताकर भेजा है.

ओवैसी परिवार हैदराबाद के मुअज्जिज परिवारों में शुमार  है. ओवैसी और इस परिवार पर मुस्लिम नाउ ने विस्तृत रिपोर्ट की है, पढ़ने के लिए यहां क्लिकर कर सकते हैं.

जहां तक रही बात  हैदराबाद लोकसभा सीट पर वोटों के समीकरण की तो क्षेत्र में हिंदू मतावलंबियों की बहुलता है. इलाके में केवल 40 प्रतिशत ही मुसलमान हैं. इसके बावजूद इलाके के हिंदू कभी अपने धर्म के लोगों को जीत नहीं दिला पाए. इस सीट से अधिकतर मुस्लिम उम्मीदवार ही विजय पताका फहराया रहा है.

2007 में शहर की सीमा के विस्तार और ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम के गठन के बाद, 2011 की जनगणना के हैदराबाद शहर के धार्मिक आंकड़े कुछ यूं हैं. हिंदू (64.93ः), मुस्लिम (30.13ः), ईसाई (2.75ः), जैन (0.29ः), सिख (0.25ः), बौद्ध (0.04ः) और शेष अन्य. मजे की बात है कि माधवी लता की इलाके में अच्छी छवि होने के बावजूद उनमें इतनी राजनीतिक परिपक्वता नहीं है कि ओवैसी को हराना कैसे है ?


असदुद्दीन औवेसी

बैरिस्टर असदुद्दीन ओवैसी भारत के एक प्रतिष्ठित सांसद और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के अध्यक्ष हैं.13 मई 1969 को जन्मे असदुद्दीन ओवैसी एक वकील और लिंकन इन, लंदन से बार-एट-लॉ हैं. वह 1994 में हैदराबाद के चारमीनार निर्वाचन क्षेत्र से आंध्र प्रदेश विधान सभा के लिए चुने गए .1999 में फिर से चुने गए.

वह 2004 में भारतीय संसद (लोकसभा) के लिए चुने गए और 2009 और 2014 में फिर से चुने गए. उनके पिता और प्रख्यात मुस्लिम नेता सुल्तान सलाहुद्दीन ओवैसी, छह साल के निधन के बाद उन्हें एआईएमआईएम के अध्यक्ष के रूप में चुना. असदुद्दीन ओवैसी दो बार सांसद और पांच बार विधायक.

असदुद्दीन ओवैसी के नेतृत्व में, पार्टी ने 2009 और 2014 में प्रत्येक में 7 विधान सभा सीटें और 2011 में आंध्र प्रदेश (अब तेलंगाना राज्य) में दो विधान परिषद सीटें जीतीं. एआईएमआईएम का ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम में तीन साल (2012-2014) तक मेयर भी रहा. AIMIM ने 2014 में महाराष्ट्र में दो विधान सभा सीटें जीतीं.

असदुद्दीन औवेसी एआईएमआईएम के तत्वावधान में दिवंगत सुल्तान सलाहुद्दीन ओवेसी द्वारा स्थापित दार-उस-सलाम एजुकेशनल ट्रस्ट (डीईटी) के अध्यक्ष हैं. डीईटी मुस्लिम लड़कों और लड़कियों के लिए इंजीनियरिंग, वास्तुकला, प्रबंधन, कंप्यूटर अनुप्रयोग, चिकित्सा, फार्मेसी आदि में (अल्पसंख्यक) पेशेवर कॉलेजों की एक श्रृंखला चलाता है.

डेक्कन समूह के संस्थानों से हर साल लगभग 525 इंजीनियरिंग स्नातक और 150 मेडिकल स्नातक पास होते हैं. डीईटी द्वारा संचालित ओवेसी अस्पताल और प्रिंसेस एसरा अस्पताल में 2,500 आंतरिक मरीजों के अलावा हजारों बाहरी मरीजों का इलाज किया जाता है. डीईटी सालाना 50 लाख रुपये खर्च करके हजारों उर्दू माध्यम के छात्रों को नकद पुरस्कार और किताबें/स्कूलबैग भी प्रदान करता है.

डीईटी के अलावा, एआईएमआईएम ने अल्पसंख्यकों के लिए एक सहकारी बैंक की स्थापना की है. असदुद्दीन औवेसी दारुस्सलाम सहकारी शहरी बैंक (डीसीयूबी) के कामकाज की देखरेख करते हैं, जिसकी स्थापना सितंबर 1987 में दिवंगत सुल्तान सलाहुद्दीन ओवेसी ने की थी, ताकि सामान्य रूप से वंचित वर्गों और विशेष रूप से मुस्लिम समुदाय की आर्थिक स्थिति में सुधार किया जा सके। डीसीयूबी की कुल जमा राशि 350 करोड़ रुपये तक पहुंच गई है. कुल ऋण और अग्रिम 250 करोड़ रुपये से अधिक हो गए। कुल ग्राहकों की संख्या 1.3 लाख है.

एक मुखर सांसद, असदुद्दीन ओवैसी ने भारत में मुसलमानों सहित धार्मिक अल्पसंख्यकों के कल्याण की देखभाल के लिए एक विशेष अल्पसंख्यक मामलों का मंत्रालय स्थापित करने के लिए भारत सरकार को राजी करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.

भारत सरकार को अल्पसंख्यक कल्याण के लिए बजटीय आवंटन को 2003-04 में मात्र 17 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 2014-15 में 3,711 करोड़ रुपये करने के लिए राजी किया गया था. असदुद्दीन ओवैसी को 15वीं लोकसभा में उनके विशिष्ट प्रदर्शन के लिए 2014 का संसद रत्न पुरस्कार दिया गया.

असदुद्दीन ओवैसी ने 2004 में आंध्र प्रदेश में सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े मुसलमानों के लिए चार प्रतिशत आरक्षण हासिल करने के लिए काम किया. सार्वजनिक रोजगार और शैक्षणिक संस्थानों में इन आरक्षणों से पिछले एक दशक में हजारों मुस्लिम लड़कों और लड़कियों को फायदा हुआ है। एआईएमआईएम की लगातार मांग पर, अल्पसंख्यक कल्याण के लिए राज्य का बजट 2003-04 में 45 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 2014-15 में 1,033 करोड़ रुपये कर दिया गया है.

असदुद्दीन ओवैसी के नेतृत्व में एआईएमआईएम ने असम में सांप्रदायिक दंगों से प्रभावित 400,000 मुसलमानों और उत्तराखंड में भूस्खलन से प्रभावित लोगों के लिए क्रमशः 50 लाख रुपये और 75 लाख रुपये खर्च करके राहत की व्यवस्था की.

कौन हैं माधवी लता?

एक पेशेवर भरतनाट्यम नृत्यांगना माधवी लता इससे पहले राजनीति में सक्रिय नहीं रही हैं. हालांकि कई कारकों के कारण बीजेपी ने उन्हें ओवैसी से मुकाबला करने के लिए उनके गढ़ में अपना उम्मीदवार बनाया है. बीजेपी ने हैदराबाद में कभी भी किसी महिला को मैदान में नहीं उतारा है.

माधवी लता के बारे में कहा जाता है कि वह पुराने शहर के कुछ हिस्सों में परोपकारी गतिविधियों में सक्रिय हैं. पार्टी उनके कार्यों के जरिए मुस्लिम वोटों का फायदा उठाना चाह रही है. अपने हिंदुत्व समर्थक भाषणों के लिए मशहूर माधवी लता ने तीन तलाक के खिलाफ भी अभियान चलाया था.

कहा जाता है कि वह विभिन्न मुस्लिम महिला समूहों के संपर्क में हैं. लता लातम्मा फाउंडेशन और लोपामुद्रा चैरिटेबल ट्रस्ट की ट्रस्टी हैं और निराश्रित मुस्लिम महिलाओं की आर्थिक मदद भी करती रहती हैं. वह एक गौशाला भी चलाती हैं.

बीजेपी से टिकट की आकांक्षी रहीं लता ने पहले ही पुराने शहर के कुछ हिस्सों में महिलाओं से मिलना शुरू कर दिया था. पिछले महीने उन्होंने बुर्का पहनी महिलाओं के बीच राशन बांटते हुए अपनी तस्वीरें सोशल मीडिया पर पोस्ट की थीं. कार्यक्रम का आयोजन लैथमा फाउंडेशन के तत्वावधान में किया गया था.

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