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मल्लिका के जनून ने सीए की नौकरी छोड़ ‘महिला पुलिस‘ बनने को किया मजबूर

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, हैदराबाद

अच्छी नौकरी पाने के लिए हम क्या-क्या नहीं करते. रात भर जागकर तैयारियां करते हैं कि किसी तरह एक प्रतिष्ठित नौकरी मिल जाए. सीएएम मल्लिाका नाम की एक युवती ने इससे अलग की मिसाल कायम की है. आम जन की सेवा करने के लिए सफेद काॅलर जाॅब छोड़कर पुलिस महकमा में एक मामूली पुलिसकर्मी बन गईं.

मल्लिका एक महिला मैकेनिक की बेटी हैं. उन्होंने चार्टर्ड अकाउंटेंसी का कोर्स पूरा किया और हैदराबाद में एक अच्छी नौकरी भी हासिल कर ली. लेकिन जो व्यक्ति किसी और चीज के प्रति आसक्त है, वह अस्थायी सफलता से कैसे संतुष्ट हो सकता है? सीएएम मल्लिका को पुलिस की वर्दी पहनने का शौक था. उन्होंने ऐसा करने की ठानी और वर्दी पहन भी ली.

पुलिस की वर्दी पहनने की उनकी इच्छा और उनके जुनून ने उन्हें सीए के रूप में अपनी असामान्य नौकरी छोड़ने के लिए प्रेरित किया. अब वह अपने गृहनगर राजा नगर लौट आई हैं. एक महिला पुलिस अधिकारी की भूमिका निभा रही हैं. वह कहती हैं, ‘‘पैसा महत्वपूर्ण है, लेकिन यह सब कुछ भी नहीं है.‘‘

लोगों की सेवा करने से मिलती है खुशी

मल्लिका के मुताबिक उन्हें अपने गांव के लोगों की सेवा करना अच्छा लगता है. मलिका को अपनी पढ़ाई पूरी करने में तमाम मुश्किलों का सामना करना पड़ा. स्नातक स्तर की पढ़ाई के बाद, उन्हें चार्टर्ड अकाउंटेंसी (सीए) में दिलचस्पी हो गई, और उनके व्याख्याताओं के प्रोत्साहन ने उन्हें इस जुनून को व्यवहार में लाने के लिए प्रेरित किया.

सीए के बाद, मलाइका ने हैदराबाद के माधापुर में एक कॉर्पोरेट कंपनी ज्वाइन की. सर्टिफाइड फाइनेंशियल प्लानर (सीएफपी) कोर्स भी किया. यह कोर्स इतना महत्वपूर्ण है कि इसे दुनिया के 26 देशों में मान्यता प्राप्त है. यह नौकरी उनकी क्षमता के अनुसार थी. नौकरी ने उनके परिवार को एक मजबूत वित्तीय सहायता प्रदान की, लेकिन वह संतुष्ट नहीं थी. इस बीच, आंध्र प्रदेश सरकार ने ग्राम स्तर पर एक सचिवालय प्रणाली शुरू की , जिसमें महिला पुलिस को एक अभिन्न अंग बनाया गया. अब उनकी पुलिस की वर्दी पहनने की दिलचस्पी बढ़ती गई.

शौक हकीकत में बदला

पुलिस की नौकरी के लिए इस जुनून ने उन्हें कॉर्पोरेट कंपनी में एक शीर्ष नौकरी को अलविदा कहने के लिए राजी कर लिया. अपने गृहनगर लौटने पर, उन्होंने केवल 13,000 रुपये के मासिक वेतन के साथ ग्राम सचिवालय में एक महिला पुलिस अधिकारी के रूप में नौकरी के लिए आवेदन किया. इस बीच, एम मल्लिका को महिला पुलिस अधिकारी के रूप में चुना गया. पूर्वी गोदावरी जिले के चक्रद्वारा बांधम गांव के सचिवालय में तैनात किया गया. इस तरह मल्लिाका का जुनून हकीकत में बदल गया और उन्हें संतुष्टि मिली.
कुछ ही महीनों में, 29 वर्षीय पुलिस अधिकारी एम मल्लिका ने अपने अनूठे प्रदर्शन से अपनी काबिलियत साबित कर दी. महिलाओं के उत्पीड़न सहित 60 अपराधों की रिपोर्टिंग में मल्लिका के उत्कृष्ट प्रदर्शन को वरिष्ठ अधिकारियों ने खूब सराहा.

जीवन फूलों की सेज नहीं


मल्लिका अब ग्रुप-2 पदों के लिए तैयारी कर रही है. वह कहती है, ‘‘कभी-कभी हमें अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए एक अच्छा जीवन और एक अच्छी नौकरी छोड़नी पड़ती है.‘‘ मेरे जीवन का उद्देश्य वही काम करना है. पुलिस की ड्यूटी करने में आकर्षण होता है. इसलिए मुझे बहुत कम वेतन मिल रहा है, फिर भी मैं महिला पुलिस में शामिल हुई हूं.‘‘

वह आगे कहती हैं कि जीवन फूलों की सेज नहीं है. माधापुर का जीवन छोड़कर चक्रद्वारबंधम गांव में आकर गांव वालों से मिलना मुश्किल है. मैंने शुरुआती दिनों में समस्याओं की परवाह नहीं की. मुझे राजा नगर पुलिस का समर्थन प्राप्त है.
उसे गांव में अवैध गतिविधियों को उजागर करने की धमकी भी दी गई थी, लेकिन वह कभी नहीं डरी. उसने गांव में पांच कम उम्र की शादियां रोक दीं. इसके अलावा, वह अब कोड -19 से सुरक्षित रहने के लिए ग्रामीणों के बीच जागरूकता बढ़ाने में शामिल है.