Muslim World

#Mandsaur दंगे से दहशतजदा मुसलमान, डोराना गांव के लोग घर नहीं लौटे

  • पहले राम मंदिर के लिए ईंट जमा करना।
  • फिर आडवाणी की रथ यात्रा।
  • कार सेवा और मस्जिद विध्वंश।
  • अब मंदिर के लिए चंदा जमा करना।
  • ये मंदिर का विषय कब खत्म होगा ?
  • देश इससे बाहर कब निकलेगा ?’

यह कहना है महाराष्ट्र के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी अब्दुर रहमान का। दरअसल, उनकी चिंता और परेशानी का कारण है, सप्ताह भर पहले मध्य प्रदेश(MP) में पेश आई कुछ घटनाएं। पूरी दुनिया इस समय कोरोना (CORONA) महामारी के दूसरे दौर और इसकी रोक-थाम को आम आदमी तक वैक्सीन पहुंचाने के लिए परेशान है। इसके उलट देश का एक वर्ग अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के चंदे की उगाही के बहाने जगह-जगह उत्पात मचाते फिर रहा है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ कहते हैं कि अयोध्या में प्रस्तावित राम मंदिर विश्व का सबसे खूबसूरत स्थल होगा। क्या ऐसे ही ? शायद यह उन्हें भी  मंजूदर न हो !

  बहरहाल, राम मंदिर निर्माण के लिए चंदे के नाम पर मध्यप्रदेश के एक गांव में विश्व हिंदू परिषद (VHP) के लोगों ने रैली निकाल कर उत्पात मचाया। तोड़-फोड़ की। गोलियां चलाई गईं। हिंसक हमले हुए और एक मस्जिद की मीनार पर चढ़कर भगवा फहराया गया। इस दौरान वहां मौजूद पुलिस कर्मी तमाशाई बने रहे। घटना के बाद से वहां के मुसलमानों में इतना खौफ है कि दंगे के समय घर छोड़ने पर अब तक नहीं लौटे हैं।

दंगाइयों ने मस्जिद और मकानों को बनाया निशाना

अंग्रेजी दैनिक इंडियन एक्सप्रेस के संवादाता इरम सिद्दीक की एक रिपोर्ट में कहा गया कि मंगलवार को अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए दान के प्रति जागरूक करने को दक्षिणपंथी समूहों ने रैलियाँ निकालीं। इस दौरान झड़पें हुईं। लोग निशाना बने। मकानों की खिड़कियों के शीशे क्षतिग्रस्त कर दिए गए। दरवाजे तोड़ डाले। इस दौरान पूरा इलाका ‘जय श्री राम‘ के नारों से गूंज रहा। यहां तक कि मस्जिद की मीनार पर जबरन भगवा झंडा फहराया गया। इस घटना के बाद से मुसलमान अपने घरों को लौटने से डर रहे हैं।

दंगे से पहले सोशल मीडिया का इस्तेमाल

एक दिन पहले, मुसलमानों ने पुलिस अधीक्षक को लिखित शिकायत देकर अगाह किया था कि सोशल मीडिया (social media) पर कुछ विवादास्पद संदेश चल रहे हैं, जिसमें कहा गया कि ‘‘हिंदू भाइयों‘‘ को भगवा झंडे के साथ बड़ी संख्या में अमलावाड़ से डोराना गांव में रैली में शामिल होने आना है। एक अन्य संदेश में कथित तौर पर लोगों से आग्रह किया गया  कि ‘‘औरंगजेब के वंशज‘‘ को हिंदू रैली को डोराना से गुजरने से रोकने पर सबक सिखाना है। 25 दिसंबर को स्थानीय लोगों ने गांव की मस्जिद में नमाज होने की वजह से बाहर तेज संगीत बजाने वालों को रोक दिया था। मगर मंगलवार को मंदिर के चंदा के नाम पर वहां करीब 5000 लोग एकत्रित हुए। उनमें से कुछ मस्जिद पर चढ़ गए । सोशल मीडिया पर घटना की तस्वीर वायरल होने के बाद से मध्य प्रदेश का यह गांव सुर्खियों में है।

मंदसौर का डोराना गांव मध्य प्रदेश के मालवा-नीमच क्षेत्र के उन तीन संवेदनशील गांवों में एक है, जहां राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS)) का प्रभाव माना जाता है। डोराना गांव के 500 घरों में करीब 82 मुस्लिम परिवारों के हैं।

चंदे के नाम पर जगह-जगह उपद्रव

पिछले सप्ताह उज्जैन और इंदौर में भी दक्षिणपंथी समूहों ने रैलियाँ निकाली थीं और झड़पें हुई थीं। एक षडयंत्र के तहत रैलियाँ मुस्लिम बहुल इलाकों से होकर निकाली गईं, ताकि उन्हें रोका जाए और झड़प हो। बताते हैं कि मंदसौर की घटना वाले दिन उज्जैन के बेगम बाग इलाके में भी रैली निकाली गई जिससे लोग भड़क उठे। इस दौरान मुसलमानों के खिलाफ आपत्तिजनक भाषा का उपयोग किया गया। जवाब में स्थानीय लोगों ने पथराव किया। 29 दिसंबर को, इंदौर के चंदनखेड़ी गांव में भी दो पक्षों के बीच पथराव और अगाजनी हुई। इंदौर में एक कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पथराव करने वालों को चेतावनी देते हुए कहा कि “कानून उपद्रवियों को नहीं बख्शेगा। गड़बड़ी करने वाले लोगों से सख्ती से निपटा जाएगा। यह सुनिश्चित करना होगा कि मध्य प्रदेश में शांति बनी रहे। उनके इस बयान के बाद  पुलिस ने डोराना मामले में पांच लोगों को गिरफ्तार किया। ग्रामीणों की शिकायतों के आधार पर 58 अन्य लोगों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज किए गए हैं। उज्जैन के बेगम बाग इलाके के 18 लोगों के खिलाफ  राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज हुआ, जिनमें से 10 पकड़ लिए गए। आरोप लग रहा है कि ज्यादातर गिरफ्तारियां मुसलमानों की हो रही हैं।

पुलिस के दावे में दम नहीं

मंदसौर पुलिस अधीक्षक (SP) सिद्धार्थ चैधरी का कहना है कि रैली के पूर्व यह समझ में आने पर कि यह सांप्रदायिक मोड़ ले सकता है। 100 पुलिस कर्मियों, छह निरीक्षकों, एक पुलिस उप अधीक्षक (डीएसपी) को गांव में तैनात कर दिया गया था। एडिशनल एसपी भी लगाए गए थे। सुरक्षा बलों को स्पष्ट निर्देश थे कि गांव की मस्जिद में कुछ भी न हो। अलग बात है कि पुलिस कर्मियों की मौजूदगी में लोग मस्जिद की छत्त पर चढ़ गए। मीनार पर भगवा झंडा लगा दिया। इस पर पुलिस कप्तान ने सफाई में कहा कि झंडे को वहां मौजूद पुलिस कर्मियों ने तुरंत हटा दिया था। उन्होंने इस बात से इनकार किया कि रैली के दौरान गोलीबारी आदि हुई। उन्होंने कहा कि रैली में कुछ लोग तलवार लेकर अवश्य शामिल हुए थे। पुलिस बल ने रैली को मुख्य सड़क पर ही रोक दिया था। उन्हें जल्द डोराना गांव से बाहर निकाल दिया था। स्थिति  नियंत्रित करने के लिए बल का उपयोग करना उचित नहीं समझा गया। इसकी जगह यह सुनिश्चित किया गया कि वहां मौजूद लोग जल्द गांव के बाहर निकल दिए जाएं। रैली को गांव के स्कूल में इकट्ठा होने की भी इजाजत नहीं दी गई।

वीएचपी की सफाई, हम नहीं कोई और था

इस मामले में विश्व हिंदू परिषद के लिए मालवा क्षेत्र के क्षेत्रीय मंत्री (प्रान्त मंत्री) सोहन जी विश्वकर्मा का कहना है, “कुछ अज्ञात लोग भगवा झंडे लिए रैली में शामिल हुए। वीएचपी का उनसे कोई ताल्लुक नहीं। हम उनका पता लगाने का प्रयास कर रहे हैं। हमारी शांतिपूर्ण रैली थी जिसे केवल जागरूकता पैदा करने के लिए निकाली गई । ”सांप्रदायिक संदेशों के बारे में पूछे जाने पर कहा, ‘‘यह शायद कुछ व्यक्तिगत विवादों के कारण स्थानीय स्तर पर किया गया। वीएचपी का इससे कोई लेना-देना नहीं।

   मध्य प्रदेश के वीएचपी के प्रवक्ता जितेंद्र चौहान ने रैलियों के बारे में कहा, ‘‘राम मंदिर निर्माण के लिए लोगों को दान के महत्व के बारे में जागरूक करने को राज्य के विभिन्न इलाकों में 25-31 दिसंबर तक अभियान चलाया गया। पथराव करने वाले लोग वीएचपी की छवि खराब कर रहे हैं। हम अपने कार्यकर्ताओं से शांति सुनिश्चित करने का आग्रह करते हैं।‘‘

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संपादक