मौलाना हसन अली रजनी ने इमाम खुमैनी (आरए) की 34 वीं पुण्यतिथि पर दी श्रद्धांजलि
मुस्लिम नाउ ब्यूरो, दार एस सलाम
पूर्वी अफ्रीकी देश तंजानिया की राजधानी दार एस सलाम में शिया उलमा-ए-हिंद के उपाध्यक्ष मौलाना हसन अली रजनी ने इमाम खुमैनी (आरए) की 34वीं वीं पुण्यतिथि पर उन्हंे श्रद्धांजलि अर्पित की. उन्होंने बताया फारसी की तारीख 14 खुर्दद और अंग्रेजी के 04 जून को हजरत इमाम खुमैनी (आरए) की वीं पुण्यतिथि है.
मौलाना हसन अली रजनी ने महान इस्लामी नेता इमाम खुमैनी (आरए) को याद करते हुए कहा कि 20वीं शताब्दी की सबसे बड़ी घटना को अल्लह की मदद से उन्होंने इस्लामी क्रांति के रूप में रचा. उन्होंने इस्लाम पर आधारित सरकार की स्थापना की और वंशानुगत राजशाही को उखाड़ फेंका.
इमाम खुमैनी (आरए) ने क्षेत्र और दुनिया को एहसास कराया कि नई सदी का निर्माण कृत्रिम और तानाशाही हाथों से नहीं होगा. यह शक्तियों के पतन और इस्लाम के पुनः उदय की सदी है. आज भी इमाम खुमैनी (आरए) का प्रभाव और छाप बना हुआ है. जिस तरह इमाम खुमैनी ने ईरान का निर्माण किया और जिस तरह से ईरान को छोड़ा, इसकी वजह से ईरान अब बर्बाद हो गया है. विद्वान अधार्मिक और अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी बन गए हैं. आज ईरानी शिया उलमा पूरी दुनिया में लाखों बेगुनाहों की जान लेकर ईरानी इस्लामी क्रांति को बदनाम कर रहे हैं जिससे दुनिया भर में शियाओं के साथ इस्लाम की भी बदनामी हो रही है.
मौलाना रजनी ने कहा कि यह तो अच्छा हुआ कि सऊदी अरब ने ईरानी कारी को 30 लाख रेयाल का इनाम देकर ईरानियों का ख्याल बदला. अन्यथा यह ईरानी न जाने और कितनों की जान लेते.
Bahut Theek Kaha