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मौलाना हसन अली रजनी ने ईरान पर लगाए गंभीर आरोप

मुस्लिम नाउ ब्यूरो,नई दिल्ली

गुजरात के शिया धार्मिक विद्वान मौलाना हसन अली रजनी ने हाल ही में ईरान को लेकर एक बयान दिया है, जिसमें उन्होंने इस्लामी गणराज्य पर पिछले चार दशकों में लाखों सुन्नी और शिया मुसलमानों की हत्याओं का आरोप लगाया है. उनके इस बयान ने विभिन्न धार्मिक और राजनीतिक हलकों में चर्चा को जन्म दिया है.

मौलाना रजनी के अनुसार, 1980 से 1988 के बीच चले ईरान-इराक युद्ध के बाद से ईरान ने विभिन्न क्षेत्रों में सैन्य अभियानों और संघर्षों के माध्यम से बड़ी संख्या में लोगों की जान ली है. उनका दावा है कि इन वर्षों में लगभग 10 मिलियन सुन्नी मुसलमान और 5 मिलियन शिया अनुयायी मारे गए हैं। हालांकि, इस आंकड़े को लेकर स्वतंत्र रूप से कोई पुष्ट प्रमाण उपलब्ध नहीं हैं.

ईरान-इराक युद्ध और उसके प्रभाव

ईरान-इराक युद्ध 1980 में शुरू हुआ था और आठ वर्षों तक चला. यह संघर्ष मुख्य रूप से क्षेत्रीय प्रभुत्व और धार्मिक विचारधाराओं के टकराव से प्रेरित था। इराक ने फारस की खाड़ी में अपने प्रभाव को बढ़ाने की कोशिश की, जबकि ईरान ने अपनी इस्लामी क्रांति को अन्य देशों तक फैलाने का प्रयास किया. मौलाना रजनी का कहना है कि इस युद्ध के दौरान और उसके बाद भी ईरान ने कई सुन्नी और शिया मुसलमानों पर कठोर कार्रवाई की.

मध्य पूर्व और अन्य क्षेत्रों में ईरान की भूमिका

मौलाना रजनी के अनुसार, ईरान ने सिर्फ इराक ही नहीं, बल्कि सीरिया, यमन और अफ्रीकी देशों में भी सैन्य हस्तक्षेप किया, जिससे लाखों लोगों की जान गई। उनके अनुसार, सीरिया में ईरान समर्थित सैन्य हस्तक्षेप के कारण बड़ी संख्या में सुन्नी मुसलमान प्रभावित हुए.

यमन में हौती विद्रोहियों को ईरान का समर्थन मिलने के आरोप पहले भी लगते रहे हैं। इस संघर्ष में हज़ारों लोग हताहत हुए हैं, और यह यमन की मानवीय स्थिति को और खराब करने का कारण बना है. मौलाना रजनी का मानना है कि ईरान के इन कदमों ने इस्लामी दुनिया में अस्थिरता बढ़ाई है.

ईरान पर लगाए गए अन्य आरोप

मौलाना हसन अली रजनी ने आरोप लगाया कि ईरान वैश्विक स्तर पर अपनी छवि सुधारने के लिए विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन करता है. उन्होंने दावा किया कि ईरान कल्चर हाउस, दिल्ली, विभिन्न धर्मगुरुओं को आमंत्रित कर अपनी नीतियों का प्रचार करता है. उनका कहना है कि ईरान इन आयोजनों के माध्यम से अपनी वैश्विक रणनीति को आगे बढ़ाने की कोशिश करता है.

ईरान पर अंतरराष्ट्रीय दृष्टिकोण

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ईरान को लेकर कई मतभेद रहे हैं। अमेरिका और कुछ पश्चिमी देश इसे क्षेत्रीय अस्थिरता बढ़ाने वाला देश मानते हैं, जबकि कुछ अन्य देश इसे एक स्वतंत्र शक्ति के रूप में देखते हैं. मौलाना रजनी ने यह भी कहा कि ईरान अपनी नीतियों के लिए अमेरिका और इज़राइल को दोषी ठहराता है, जबकि इस्लामी दुनिया को इससे सतर्क रहने की जरूरत है.

ईरान और भारतीय मुसलमानों का संबंध

भारत में शिया और सुन्नी समुदायों के बीच पारंपरिक धार्मिक और सांस्कृतिक संबंध रहे हैं। ईरान का भारत में धार्मिक और सांस्कृतिक प्रभाव भी स्पष्ट रूप से देखा जाता है. हालांकि, मौलाना रजनी ने भारतीय मुसलमानों को आगाह किया कि वे ईरान की नीतियों के प्रति सतर्क रहें. उन्होंने कहा कि भारत सहित कई देशों के धार्मिक नेता ईरान समर्थित कार्यक्रमों में भाग लेते हैं, जिससे ईरान अपनी विचारधारा को बढ़ावा देता है.

निष्कर्ष

मौलाना हसन अली रजनी के इस बयान के बाद, विभिन्न धार्मिक और राजनीतिक हलकों में इस पर चर्चाएं हो रही हैं. उनके आरोपों की पुष्टि करने के लिए कोई स्वतंत्र स्रोत उपलब्ध नहीं है, लेकिन उनके बयान ने ईरान की क्षेत्रीय भूमिका और उसकी नीतियों को लेकर एक नई बहस छेड़ दी है.

ईरान की नीतियों और उसके प्रभाव को लेकर दुनिया भर में अलग-अलग दृष्टिकोण हैं. जहां कुछ लोग इसे एक स्वतंत्र और आत्मनिर्भर इस्लामी राष्ट्र के रूप में देखते हैं, वहीं कुछ इसे क्षेत्रीय अस्थिरता बढ़ाने वाला मानते हैं. ऐसे में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि इस विषय पर भविष्य में क्या नए तथ्य सामने आते हैं और ईरान या अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों की क्या प्रतिक्रिया होती है.