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सोहराबुद्दीन एनकाउंटर, विमल पाटनी और राजनीतिक पार्टियों को चंदा देने से क्या है रिश्ता

मुस्लिम नाउ ब्यूरो,नई दिल्ली

चुनावी बांड के मामले में रोज नए-नए खुलासे हो रहे हैं. अब ऐसा खुलासा हुआ है जिससे लोग चैंक गए.चुनावी बांड दाताओं की सूची में शामिल एक नाम ने सोहराबुद्दीन शेख मुठभेड़ मामले के भूत को जिंदा कर दिया है.द रिपोर्टर्स कलेक्टिव डाॅट इन की एक रिपोर्ट के अनुसार, दानदाताओं में से एक वंडर सीमेंट का मालिक विमल पाटनी है, जो सनसनीखेज सोहराबुद्दीन मुठभेड़ मामले का आरोपी है.

इस मामले में गुजरात के तत्तकालीन और वर्तमान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह सहित गुजरात और राजस्थान के शीर्ष भाजपा राजनेता एवं पुलिस अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगे थे. ये आरोप हत्या और आपराधिक साजिश के लगा गए थे. बाद में मुकदमे के विभिन्न चरणों में सभी आरोपियों को बरी कर दिया गया.

एनकाउंटर मामले की जांच करने वाली सीबीआई ने अपनी चार्जशीट में कहा कि सोहराबुद्दीन शेख ने राजस्थान के मार्बल व्यापारी विमल पाटनी से पैसे वसूलने की कोशिश की थी. सोहराबुद्दीन गांधीनगर के पास पुलिस मुठभेड़ में मारा गया. बाद में उसकी पत्नी लापता हो गई. यही नहीं उनके एक सहयोगी तुलसीराम प्रजापति की कथित तौर पर पुलिस ने हत्या कर दी थी.

जबकि उदयपुर स्थित वंडर सीमेंट, जिसने वित्त वर्ष 2013 में कर अदा करने के बाद लगभग 250 करोड़ रुपये का मुनाफा कमाया था, ने चुनावी बांड के माध्यम से 20 करोड़ रुपये का दान दिया था. पाटनी परिवार के चार सदस्यों ने मिलकर पार्टियों को 8 करोड़ रुपये दिए थे.

ये चार हैं, अध्यक्ष अशोक पाटनी, सुरेश पाटनी, प्रबंध निदेशक विवेक पाटनी, निदेशक और विनीत पाटनी, अध्यक्ष. कंपनी की वेबसाइट के अनुसार, विवेक पाटनी को अपने प्रसिद्ध परिवार से एक शानदार व्यावसायिक विरासत में मिली है, जिसके सदस्य पटनीस के प्रतिष्ठित घराने का गठन करते हैं. वह श्री विमल पाटनी के सबसे बड़े बेटे हैं और उनकी महत्वाकांक्षाएं, उनके लक्ष्य और कंपनी के लिए उनका दृष्टिकोण है. वे अपने पिता से कम प्रतिष्ठित नहीं हैं.

तीन अन्य दानकर्ता हैं जो पाटनी परिवार का नाम साझा करते हैं लेकिन द कलेक्टिव स्वतंत्र रूप से सत्यापित नहीं कर सका कि क्या वे वास्तव में उसी पाटनी से संबंधित हैं.कंपनियों के साथ मोदी सरकार द्वारा लाई गई और अब निष्क्रिय चुनावी फंड जुटाने की योजना के तहत व्यक्तियों, व्यक्तियों के समूहों, गैर सरकारी संगठनों, धार्मिक और अन्य ट्रस्टों, हिंदू अविभाजित परिवार इकाइयों और कानून द्वारा मान्यता प्राप्त अन्य सभी संस्थाओं को दान करने की अनुमति देती थी.

इस खबर के बाद से सोशल मीडिया पर कई तरह के सवाल पूछे जा रहे हैं. ऐसे लोग कुछ खास पार्टी के कुछ खास लोगों की ओर इशरा कर रहे हैं. हालांकि इसमें कितनी सच्चाई है या तो जांच के बाद ही पता चलेगा.
बहरहाल, इस मामले में पत्रकार अवेश तिवारी ने एक्स पर लिखा है-‘‘इलेक्टोरल बांड के पाप भरे बक्से से गुजरात के भी पुराने जिन्न निकल कर आ रहे हैं जिन पर रक्त के बदनाम धब्बे हैं।”द रिपोर्टर कलेक्टिव” @reporters_co इस पर शानदार काम कर रहा है।

आपको गुजरात का बहुचर्चित सोहराबुद्दीन एनकाउंटर केस याद होगा जिसमें भाजपा के तमाम नेताओं जिसमें वर्तमान गृह मंत्री अमित शाह के अलावा गुजरात पुलिस और सीबीआई पर भी गंभीर आरोप लगाए गए थे. सोहराबुद्दीन का साथी तुलसीराम प्रजापति भी मारा गया था और सोहराबुद्दीन की पत्नी भी गायब कर दी गई. बाद में ट्रायल के विभिन्न चरणों में एक के बाद एक करके 22 आरोपी रिहा भी हो गए। अब कहानी आगे की-

सोहराबुद्दीन के एनकाउंटर के पक्ष में सीबीआई का कहना था कि उसने राजस्थान के रहने वाले विमल पाटनी नाम के एक उद्योगपति से फिरौती की रकम मांगी है. अब जानकारी यह मिल।रही है कि विमल पाटनी ने 2023 में 20 करोड़ रुपए दान कर दिए। दो सवाल हैं.

1- क्या विमल पाटनी ने किसी एहसान के बदले में चंदा दिया या फिर बात कुछ और थी.

2-इस चंदे का सोहराबुद्दीन शेख इनकाउंटर से क्या मतलब है?

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.नोट: अंग्रेजी से अनुवाद में कुछ त्रटि हो सकती है.