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मिलिए, पुंछ के बुद्ध अमरनाथ मंदिर में पिछले 30 सालों से ढोल बजाने वाले कलाकार अब्दुल गनी से

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, पुंछ

जम्मू-कश्मीर के सीमावर्ती जिले पुंछ के मंडी क्षेत्र में स्थित बूढ़ा अमरनाथ मंदिर हिंदू समुदाय का एक पवित्र स्थान है. हर साल पूरे भारत से लाखों तीर्थयात्री अपनी अमरनाथ यात्रा के हिस्से के रूप में इस मंदिर में आते है. हिंदू मान्यता के अनुसार, कश्मीर की अमरनाथ यात्रा तब तक अधूरी रहेगी, जब तक पुंछ में बुद्ध अमरनाथ के दर्शन नहीं हो जाते. बुद्ध अमरनाथ जाने वाले तीर्थयात्रियों का यहां धर्म और जाति की परवाह किए बिना गर्मजोशी से स्वागत किया जाता है.

मंडी तहसील के पलीरा गांव के रहने वाले अब्दुल गनी पिछले 30 साल से बुद्ध अमरनाथ मंदिर परिसर में ढोल बजा रहे हैं. मंदिर में आने वाले तीर्थयात्रियों का उनके द्वारा मनोरंजन किया जाता है. वे उनकी आर्थिक मदद करते हैं, जिससे गनी अपना खर्च चलाते हैं.

गनी मंदिर परिसर में सुबह से शाम तक और कई बार रात तक ढोल बजाते हैं.अब्दुल गनी ने बताया कि करीब 25 साल पहले मंदिर से कुछ किलोमीटर दूर दो भालुओं ने उन पर हमला कर दिया था, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गए थे.

मंदिर प्रबंधन समिति के सदस्य, पुजारी और बीएसएफ बटालियन यहां थे. अधिकारियों ने मेरी मदद की. मेरा इलाज हुआ और तत्कालीन उपायुक्त ने भी मेरी बहुत मदद की. मेरे हाथ, सिर और मुंह में गंभीर चोटें आई थीं.कई महीनों के बाद मैं ठीक हो गया, लेकिन कोई और काम करने में असमर्थ था. तब मैंने इस मंदिर में बैठना पसंद किया.

उन्होंने आगे कहा, अल्लाह एक है, लेकिन उनके नाम अलग-अलग हैं. मुझे विश्वास है कि बाबा बुड्ढा अमरनाथ ने मुझे बचाया, मैं यही हूं, मंदिर के लोग मुझ पर बहुत भरोसा करते हैं. मैं भी अपनी बातों और कार्यों से उन पर भरोसा करता हूं. वे मुझे मंदिर परिसर में रहने देते हैं, और वे मुझे भोजन भी देते हैं.

गनी ने कहा कि जब आतंकवाद चरम पर था तब भी वह मंडी के मंदिर में ढोल बजाकर पैसे कमाते थे और घर का खर्च चलाते थे. उन्होंने कहा कि उनके ऊपर उनके गांव के लोगों या समुदाय के लोगों का कोई दबाव नहीं है. वह अपनी मर्जी से ढोल बजाते हैं जिससे उन्हें कमाने और घर का खर्च चलाने में मदद मिलती है.

उन्होंने आगे कहा कि वह आला पीर में दरगाह पर भी सेवा करते है.उन्हें उम्मीद है कि आगामी अमरनाथ यात्रा एक बार फिर उनके लिए आय का जरिया बनेगी. देश भर से लोग यहां आते हैं और उनके ढोल का आनंद लेते हैं. उन्हें आर्थिक सहायता भी प्रदान करते हैं.

जम्मू और कश्मीर धार्मिक सहिष्णुता, आपसी भाईचारे और सांप्रदायिक सद्भाव के इतिहास को कायम रखता है. भारत का ताज कहे जाने वाले पुंछ के इस क्षेत्र में सभी धर्मों, जातियों और रंगों के लोग शांति से रहते हैं. गनी इस क्षेत्र में देखे गए कई अन्य लोगों के बीच एक ऐसा ही उदाहरण है.

ऐसे कई उदाहरण भी हैं जहां मंदिर, मस्जिद और चर्च अगल-बगल मौजूद हैं. एक तरफ अजान की आवाज सुनाई दे रही है तो दूसरी तरफ भजन और शब्दकीर्तन माहौल को खुशनुमा बना रहे हैं.