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इनसे मिलिए : मेवात की शान, मुमताज खान I Pride of Mewat, Mumtaz Kha

नाजिम आजाद

इनसे मिलिए. हरियाणा के मेवाती मुस्लिम बहुल जिला नूंह की एक ऐसी लड़की, जिसने अपनी आवाज और गुफ्तगू के अंदाज और अल्फाज के चुनाव से न केवल स्पेशल बनाया है, उनकी बात में वो तासीर है कि सामने वाला उन पर तवज्जो रखने पर मजबूत हो जाता है. जी हां, उनका नाम है मोमताज खान. ( Mumtaz Khan, Deputy Editor, Khabrain abhi Tak,chandigarh).
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अख़्तर हुसैन चंदेनी के घर में जन्मी मुमताज, पढ़ाई में होशियार

जब वो तीसरी क्लास में थी तो लिट्रेसी कमीशन ऑफ़ इंडिया ने अपने केरल एजुकेशनल टूर के लिए मुमताज को सिलेक्ट किया. देश भर के चुनिंदा बच्चों के इसके लिए चुना गया था, ताकि तालीम को लेकर जागरुकता पैदा की जा सके.यासीन मेव डिग्री कॉलेज से ग्रेजुएशन करने के बाद उन्होंने English में Masters in Mass Communication किया।.

पहली बार मुमताज को YMD कॉलेज में देखा

मैं उस समय BA फर्स्ट ईयर में था, तब मुमताज फाइनल ईयर में थी. पहली बार उनको बोलते हुए कॉलेज में देखा. ये उनकी हाजिर जवाबी और गजब का कॉन्फिनेंस ही था कि जहां उस समय में लडकियां अमूमन लड़को के सामने नपे तुले अंदाज में बात करती थी.मुमताज के सामने लड़के बहुत सोच समझ कर बोलते थे.

उनकी शख्सियत का जादू था या उनकी हाजिर जवाबी का कमाल, जो भी था , उस जमाने में लडकियां उनके जैसी बनने की कामना जरूर करती थी.पढ़ाई के बाद मुमताज ने सरफराज खान से शादी की. सरफराज के बारे में मुमताज बताती हैं, उनकी तरक्की में जहां उनके पिता का हाथ है,सरफराज की बेशुमार कुर्बानियां भी मौजूद हैं.

मुमताज बताती हैं “Journalism में मेरे वालिद ने मेरा मुस्तक़बिल देखा. आप सब की दुआओं से मैं बचपन से स्पीच और स्पीकर के तौर पर स्टेज परफॉरमेंस में अल्लाह ने खूब नवाज़ा था. खुशनसीबी रही कि मेरे वालिद के मुझे लेकर देखे गए ख़्वाबों (बतौर जर्नलिस्ट) को परवाज़ देने में मेरे शौहर सरफ़राज़ साहब ने दिन रात एक किया. बहुत मेहनत की..मेरी सलाहियतों को मुक़ाम दिलवाया.

बेइंतिहा सब्र और तहाम्मुल के साथ मेरी कामयाबी का इंतिज़ार किया.हर क़दम पर मुझपर भरोसा किया.. मेरे पापा की तरह मेरी ताकत बने हुए हैं. सरफ़राज़ की मेरे लिए मेहनत और जद्दोजहद पर बात करने के लिए तो मुझे अल्फाज़ की कमी महसूस होती है.”

मुमताज जॉब करने के बावजूद सास- ससुर को रखती है साथ

मुमताज ने मीडिया में कैरियर की शुरुआत करने के बाद कई मीडिया हाऊसेज़ (TV News Chennels) में अच्छे ओहदों पर काम किया.Tv Media में Executive Editor,Input Editor,Deputy Output Hea. 5 साल तक ज़ी मीडिया के उर्दू न्यूज़ चैनल में बतौर सीनियर एंकर काम किया. अब बतौर Deputy Editor ख़बरें अभी तक (चंडीगढ़) में ज़िम्मेदारी संभाल रही हैं..

एंकरिंग में उन्हें अच्छी महारत हासिल है.। चाहे न्यूज़ एंकरिंग में या फिर स्टेज एंकरिंग में. बोलती हैं तो लोग सांस लेना छोड़ देते हैं.

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मुमताज रोल मॉडल पिता अख्तर चंदेनी के अलावा अपने शौहर और Yogendra Yadav को मानती हैं.योगेंद्र यादव का सादा मिज़ाज और शानदार शख़्यियत उन्हें हमेशा मुतास्सिर करती है. मुमताज कहती हैं, आईन के दायरे में अपने हकूक को कैसे पहचाना और हासिल किया जाता है ये कोई योगेंद्र यादव जी से सीखे.

मेवात के लिए संघर्ष

मेवात को ज़िला बनाने के लिए सियासी स्टेज पर उस वक्त के हरियाणा के मुख्यमंत्री चौ. ओम प्रकाश चौटाला के सामने YMD College Nuh में मेवात जिले की मांग रखी.उस मंच पर जम्मू कश्मीर के साबिक़ मुख्यमंत्री फारुख अब्दुल्ला भी मैजूद थे..मुमताज ने बेहद प्रभावशाली अंदाज में अपनी स्पीच दी. स्पीच के बाद इस वक्त के मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला ने कहा “इस बच्ची ने मेरे सर पर कच्चे धागे से बांधकर तलवार लटका दी है.”

मेवात के लिए होने वाले संघर्षों में मुमताज ने हमेशा बढ़ चढ़ कर हिस्सा. मेवात जिले की मांग की बात हो, या फिर मेवात मेडिकल कॉलेज नलहड़ को इंद्री में बनने से रोकने की मुहिम, रेवासन किसान मुआवजा का मसला हो या फिर गोपालगढ़ कांड .इंसाफ के लिए बींवा पंचायत में मंच से पूरे देश तक आवाज़ पहुंचाई और इंसाफ की उस लड़ाई को मेवात विकास सभा के साथ दिल्ली के जंतर मंतर तक पहुंचाया.

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दिल्ली में अन्ना हज़ारे के आंदोलन में पहुंचकर रामलीला मैदान से भी अपनी आवाज बुलंद की. रामलीला मैदान की स्पीच के बाद कई इंगलिश अख़बारों और मैगज़ीन्स ने उनके इंटर्व्यूज़ शाया किए. इंगलिश मैगज़ीन आऊटलुक ने तो दो पेजेज़ का इंटर्व्यू छापा.

मुमताज की स्पीच का ज़िक्र संजय सिंह ने मेवात का नाम लेते हुए राज्यसभा में भी किया था.मेवात के हुकूक के लिए जब भी मुमताज बोलती है तो बड़े नेता भी बगलें झांकने लगता है.

मुमताज का कहना है की वो मेवात में एक Old age Home खोलना चाहती हैं. इसके अलावा उनकी ख्वाहिश एक बेहतरीन आलमी (इंटरनेशनल) जर्नलिस्ट के तौर पर अपनी शिनाख़्त क़ायम करने की है.
फ्यूचर में इलाका-ए-मेवात और मुल्क के हर पिछड़े तबके को तालीम की अहमियत मिसालों के साथ आम करना चाहती हैं.
आपको मुमताज के बारे में जानकर कैसा लगा ? कॉमेंट में जरूर बताएं.

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