16 वर्षीय कश्मीरी छात्र से मिलें जिसने दुनिया का सबसे सस्ता इनक्यूबेटर विकसित किया
मुस्लिम नाउ ब्यूरो, श्रीनगर
अनंतनाग के मरहामा के 16 वर्षीय गौहर अहमद तांत्रे जब आठवीं कक्षा में थे, तब उन्होंने पोल्ट्री सेक्टर के लिए पोर्टेबल एग इनक्यूबेटर यानी अंडे सेने की मशीन बनाने की कोशिश की थी.मगर बिजली नहीं होने के कारण वह अपने मिशन में सफल नहीं हो सका था. चार साल बाद, उन्होंने उन प्रयासों को फिर शुरू किया जहां उन्होंने 2019 में छोड़ा था. इसके बाद दुनिया का सबसे सस्ता अंडा इनक्यूबेटर विकसित कर लिया.
पिछले साल 10वीं की पढ़ाई पूरी करने के बाद तांत्रे ने इस प्रोजेक्ट को फिर से शुरू किया. इस बार उन्होंने सभी समस्याओं पर काबू पा लिया और डिवाइस बनाने में सफल रहे. वह बताते हैं,मुझे मेरे स्कूल का समर्थन प्राप्त है. उन्होंने निर्बाध बिजली आपूर्ति सुनिश्चित की ताकि मैं अंडे सेने के लिए तापमान बनाए रख सकूं. मैंने अपने पाठ्यक्रम के दौरान सीखे गए ज्ञान का उपयोग किया. लगभग सभी अंडे इनक्यूबेटर में रखे, जिसका अर्थ है कि मेरा प्रयोग सफल रहा है.
उनके के अनुसार, इनक्यूबेटर एक बार में लगभग 400 अंडे दे सकता है. ग्यारहवीं कक्षा के छात्र, तांत्रे ने कहा कि इनक्यूबेटर बनाने के लिए उन्होंने आसानी से उपलब्ध सामग्री और फिलामेंट बल्ब का इस्तेमाल किया.वह बताते हैं,हमारे पास बाजार में इनक्यूबेटर उपलब्ध हैं, लेकिन उनकी कीमत 50,000 रुपये से 80,000 रुपये और उससे अधिक है. मैंने सबसे सस्ता बनाया. मेरे इनक्यूबेटर की कीमत सिर्फ 3,000 रुपये होगी.
तांत्रे ने कहा कि इनक्यूबेटर जल्द ही देश भर के बाजार में उपलब्ध होंगे. मैं इसे बड़े पैमाने पर बनाने की प्रक्रिया में हूं ताकि पोल्ट्री उद्योग को लाभ हो. अभी मैं पर्याप्त इन्क्यूबेटर बनाने में व्यस्त हूं ताकि घाटी के सभी जिलों में इनकी मार्केटिंग कर ग्राहकों को बेचा जा सके.तांत्रे अब सोलर इन्क्यूबेटर बनाने की योजना बना रहे हैं ताकि सर्दियों के महीनों के दौरान बल्क एग हैचिंग संभव हो सके.
मशीन को निरंतर बिजली आपूर्ति की आवश्यकता होती है. इस इनोवेशन को और भी आसान बनाने के लिए मैं सोलर प्लेट वाली मशीन डिजाइन करने की योजना बना रहा हूं. इनक्यूबेटर अंडे सेने के लिए सौर ऊर्जा का उपयोग करेगा.