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भारत से बेहतर रिश्ते के वादे पर चुनाव जीतना चाहती है मियां नवाज की पीएमएल-एन

बशीर चैधरी और मुस्लिम नाउ ब्यूरो, इस्लामाबाद, नई दिल्ली

हिंदुस्तान हो या पाकिस्तान, चुनाव में बिना एक-दूसरे देश का नाम लिए कोई भी पार्टी जीत का दावा नहीं कर सकती. पाकिस्तान के आम चुनाव के प्रचार के दौरान एक बार फिर यह देखने को मिल रहा है. पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज ने 8 फरवरी को होने वाले आम चुनाव के लिए अपना घोषणापत्र जारी कर दिया है, जिसमें महंगाई में कमी, एनएबी को खत्म करने और पड़ोसी देशों के साथ समानता के आधार पर संबंध बनाने पर जोर दिया गया है.

घोषणा पत्र में कृषि नवाचार के माध्यम से किसान को प्रमुखता, घोषणापत्र के प्रमुख बिंदुओं में से एक है. इसमंे कहा गया कि देश को जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से सुरक्षित बनाया जाएगा. सभी सरकारी कार्यालयों को पर्यावरण-अनुकूल किया जाएगा. साथ ही संवैधानिक, कानूनी, न्यायिक और प्रशासनिक सुधारों की योजना बनाई जाएगी.

संवैधानिक सुधारों में यह भी शामिल है कि अनुच्छेद 62-63 को उसकी मूल स्थिति में बहाल किया जाएगा. संसद की सर्वोच्चता सुनिश्चित की जाएगी.समयबद्ध एवं प्रभावी न्याय व्यवस्था लागू की जाएगी. प्रभावी, निष्पक्ष एवं समयबद्ध अभियोजन होगा. यह सुनिश्चित किया जाएगा कि बड़े और कठिन मामलों का फैसला एक साल के भीतर किया जाए, जबकि छोटे मामलों का फैसला दो महीने के भीतर किया जाएगा.

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नून ने बिजली बिलों में 20 से 30 फीसदी की कमी करने के साथ ही 1 करोड़ नौकरियां देने का भी वादा किया है. पीएमएल-एन ने सीमाओं के पार शांति का संदेश फैलाने की कसम खाई.

दरअसल, घोषणा पत्र में भारत का नाम लिए बगैर दोस्ती का हाथ बढ़ाने का वाद इस लिए किया गया है कि इससे दुश्मनी करके के पाकिस्तान का अब तक नुकसान ही हुआ है. पाकिस्तानी अवाम अब यह समझने लगी है, इसलिए उनकी नब्ज पर हाथ रखने के लिए घोषणा पत्र में भारत से बेहतर रिश्ते की बात कही गई है.

घोषणा पत्र में यह भी वादा किया गया है कि इसके प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए एक विशेष कार्यान्वयन परिषद की भी स्थापना की जाएगी. जो सरकार के प्रदर्शन पर त्रैमासिक रिपोर्ट तैयार करेगी.अर्थशास्त्रियों का कहना है कि पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज को अपने घोषणापत्र को लागू करने के लिए व्यापक कदम उठाने होंगे. खासकर महंगाई कम करने के लिए.

अर्थशास्त्री डॉ. साजिद राणा ने कहा कि महंगाई कोई स्थानीय समस्या नहीं है. इसका संबंध वैश्विक स्तर पर पेट्रोलियम उत्पादों और अन्य चीजों से है. स्थानीय स्तर पर ऐसी नीतियां लानी होंगी जिससे सरकार न केवल आम आदमी के जीवन स्तर में सुधार ला सके,लोगों की आय में भी बढ़ोतरी हो.

उन्होंने कहा, अगर सरकार ऐसी नीतियां नहीं बना सकी जिससे लोगों की आय बढ़े तो महंगाई में कमी लाना एक बड़ी परीक्षा होगी.ऐसे समय में जब आप आईएमएफ के साथ काम कर रहे हैं, बिजली बिल कम करने जैसी घोषणाओं पर अमल करना मुश्किल लगता है.

एनएबी को खत्म करने और न्यायिक सुधारों के संबंध में कानूनी विशेषज्ञ आरिफ चैधरी ने बातचीत में कहा कि जिस उद्देश्य के लिए एनएबी बनाया गया था. उसके संदर्भ में पीडीएम सरकार ने पहले ही इसे एक हानिरहित संस्था बना दिया है.अब अगर वे इसे खत्म करना चाहते हैं, तो इसका मतलब है कि पीएमएल-एन चाहती है कि वे सरकार में आएं और मनमानी करें और उनकी कोई जवाबदेही न हो.

उन्होंने कहा कि पीएमएल-एन को हमेशा अदालतों से राहत मिली है. वे ऐसी अदालतें चाहते हैं जो मोम की नाक की तरह झुक सकें.उन्होंने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं कि अदालतों में सुधार की गुंजाइश है. पाकिस्तान बार काउंसिल समेत वकील संगठनों के पास भी कई सुझाव हैं.

अर्थशास्त्रियों का कहना है कि पीएमएल-एन को मुद्रास्फीति कम करने के लिए व्यापक उपाय करने होंगे.भारत के साथ पाकिस्तान के संबंधों को समानता के स्तर पर और आपसी सम्मान के सिद्धांत के अनुरूप रखने संबंधी पीएमएल-एन के घोषणापत्र के बारे में बात करते हुए भारत में पाकिस्तान के पूर्व उच्चायुक्त अब्दुल बासित ने कहा कि मैंने पीएमएल-एन का घोषणापत्र देखा है. विदेश मामलों पर अधिक केंद्रित नीति है.

उन्होंने कहा कि चीन को शीर्ष पर रखना और फिर मुस्लिम दुनिया के साथ अपने संबंधों को सुधारना सबसे अच्छी रणनीति है, जिसका मतलब है कि पाकिस्तान की आने वाली सरकार की प्राथमिकता क्षेत्रीय देश और मुस्लिम उम्माह हैं.

सबसे अच्छी बात यह है कि घोषणापत्र में रूस और अमेरिका का कोई जिक्र नहीं है. इससे यह अच्छा आभास होता है कि हम किसी समस्या में नहीं पड़ना चाहत.