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कर्नल सोफिया पर मंत्री का विवादित बयान, मचा राजनीतिक बवाल

मुस्लिम नाउ विशेष रिपोर्ट,नई दिल्ली/महू

– मध्य प्रदेश के आदिवासी मामलों के मंत्री और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता कुंवर विजय शाह एक बार फिर अपने विवादित बयान को लेकर घिर गए हैं। इस बार उनका निशाना बनी हैं भारतीय सेना की जांबाज़ अधिकारी कर्नल सोफिया कुरैशी, जिन्होंने हाल ही में “ऑपरेशन सिंदूर” का नेतृत्व किया था। शाह ने एक जनसभा में कहा कि, “जिन लोगों ने हमारी बेटियों को विधवा बनाया, हमने उन्हें सबक सिखाने के लिए उनकी अपनी बहन [कर्नल कुरैशी] को भेजा।”

इस टिप्पणी ने न सिर्फ राजनीतिक हलकों में हलचल मचाई है, बल्कि सोशल मीडिया पर भी तीखी प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं। आलोचकों का कहना है कि मंत्री का बयान सेना की गरिमा, महिलाओं की मर्यादा और एक उत्कृष्ट सैन्य अधिकारी के प्रति अवमानना से भरा हुआ है।

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🪖 कौन हैं कर्नल सोफिया कुरैशी?

कर्नल सोफिया कुरैशी भारतीय सेना की एक प्रतिष्ठित अधिकारी हैं, जिन्होंने न केवल सैन्य क्षेत्र में बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी देश का नाम रोशन किया है। वह 2016 में पहली ऐसी भारतीय महिला बनीं थीं, जिन्होंने सभी पुरुष सैनिकों की टुकड़ी का नेतृत्व एक बहुराष्ट्रीय अभ्यास में किया था।

हाल ही में, कर्नल कुरैशी ने भारतीय वायु सेना की विंग कमांडर व्योमिका सिंह के साथ मिलकर आतंकवादी हमले के जवाब में किए गए ऑपरेशन सिंदूर की कमान संभाली थी। यह ऑपरेशन कश्मीर के पहलगाम इलाके में हुए आतंकी हमले के जवाब में भारत द्वारा 7 अप्रैल 2025 को शुरू किया गया था।


🎙️ विवादित बयान: क्या कहा मंत्री ने?

मंत्री कुंवर विजय शाह ने महू के निकट एक सरकारी समारोह में बोलते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रणनीति की तारीफ करते हुए कहा:

“मोदी जी ने आतंकियों की तरह उनकी पहचान नहीं पूछी। उन्होंने उनके समाज से एक बहन भेजी। अगर तुम हमारी बहनों को विधवा करते हो, तो तुम्हारी एक बहन आकर तुम्हारे कपड़े उतार देगी। भारत उन्हें उनके घर में मारेगा।”

शाह के इस बयान का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है, जिसमें दर्शक तालियों से उनका समर्थन करते दिख रहे हैं। परंतु इंटरनेट पर अधिकतर प्रतिक्रियाएं नकारात्मक रहीं, जिसमें यूज़र्स ने इसे “गंभीर रूप से आपत्तिजनक” और “गैरजिम्मेदाराना” करार दिया।


⚠️ राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रिया

कांग्रेस प्रवक्ता अब्बास हाफिज ने कहा, “यह बयान केवल महिला विरोधी ही नहीं, बल्कि सांप्रदायिकता की सारी सीमाएं लांघता है। कर्नल कुरैशी जैसे अधिकारी हमारी सेना की शान हैं। भाजपा मंत्री को तुरंत बर्खास्त किया जाना चाहिए। वह लगातार महिलाओं के खिलाफ विष वमन करते रहे हैं।”

वहीं कई पूर्व सैन्य अधिकारियों और महिला संगठनों ने भी मंत्री के बयान की कड़ी आलोचना की है। सेना से जुड़े एक पूर्व अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “सैनिकों की जाति, धर्म या जेंडर की पहचान करना न केवल असंवैधानिक है, बल्कि खतरनाक भी है।”


🤐 बयान पर सफाई और विवादों की आग में घी

आलोचना के बाद, कुंवर विजय शाह ने सफाई देते हुए कहा, “कुछ लोग मेरे बयान को गलत संदर्भ में ले रहे हैं। मेरा ऐसा मतलब नहीं था। वह (कर्नल कुरैशी) मेरी बहन जैसी हैं और उन्होंने आतंकवादियों के कृत्यों का बदला लिया है।”

हालांकि यह सफाई विपक्ष और महिला संगठनों को संतुष्ट नहीं कर पाई। सोशल मीडिया पर सवाल उठ रहे हैं कि क्या देश की बहादुर महिला अधिकारी को “उनके समाज की बहन” कहकर संबोधित करना उचित था? क्या सेना की उपलब्धियों को इस तरह सांप्रदायिक चश्मे से देखना राष्ट्रविरोधी नहीं है?


🧠 विश्लेषण: क्या यह सैन्य गरिमा और लैंगिक समानता पर प्रहार है?

भारतीय सेना धर्मनिरपेक्ष मूल्यों पर आधारित एक संस्था है, जहां सैनिकों की पहचान उनकी वर्दी से होती है, न कि उनके धर्म या लिंग से। ऐसे में, एक मंत्री द्वारा सेना के भीतर किसी महिला अधिकारी की पहचान को उसके धर्म से जोड़ना गंभीर चिंता का विषय है।

इसके अलावा, “कपड़े उतार देने” जैसे शब्दों का प्रयोग महिला सशक्तिकरण की आड़ में स्त्री की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाला है। इससे न केवल कर्नल कुरैशी का अपमान हुआ है, बल्कि हजारों उन महिलाओं का भी, जो सशस्त्र बलों में सेवाएं दे रही हैं।


🔚 निष्कर्ष: कर्नल कुरैशी का योगदान और मंत्री की ज़िम्मेदारी

कर्नल सोफिया कुरैशी ने अपने कार्य से यह सिद्ध किया है कि भारतीय महिलाएं अब केवल सीमाओं की रक्षक नहीं हैं, बल्कि दुश्मन के घर तक पहुंचने की काबिलियत भी रखती हैं। ऐसे में, उनकी वीरता को किसी संप्रदाय या व्यक्तिगत पहचान से जोड़ना न केवल अनुचित है, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा की सोच के खिलाफ है।

भाजपा नेतृत्व को चाहिए कि वह मंत्री के बयान पर स्पष्ट रुख अपनाए और यह सुनिश्चित करे कि सैन्य मामलों पर सार्वजनिक रूप से की जाने वाली टिप्पणियाँ गरिमा और संवेदनशीलता से परिपूर्ण हों।

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