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Mob lynching : बिहार में राशिद को भीड़ ने मार डाला, नितीश और तेजस्वी की खामोशी पर उठ रहे सवाल

स्टाफ रिपोर्टर।
बिहार के मुज़फ़्फ़रपुर में मॉब लिंचिंग के दौरान मुस्लिम युवक राशिद आलम की हत्या से माहौल गरमा गया है। हत्या के आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग जोर पकड़ने लगी है। साथ ही इस मामले में नितीश सरकार और मुस्लिम हितैशी माने जाने वाले राष्ट्रीय जनता दल के वरिष्ठ नेता तेजस्वी यादव की निष्ठुरता पर भी सवाल उठने लगे हैं। सोशल मीडिया पर राशिद को इंसाफ दिलाने को लेकर जनमत संग्रह के लिए हैशटैग अभियान (#JusticeForRashid) चलाया जा रहा है।
  राशिद आलम की शुक्रवार को मुज़फ़्फ़रपुर के मीना थाना इलाके के तुर्की पुरानी घरारी गांव में भीड़ ने घेर कर हत्या कर दी थी। घटना से संबंधित वायरल वीडियो देखकर दिल दहल जाएगा। उक्त युवक पर चोरी का आरोप है। उसने चोरी की थी अथवा नहीं या कुछ और बात थी ? यह मामला पूरी तरह पुलिस और न्यायालय की जांच का है । मगर समाज में नफरत घोलने वालों को मौका चाहिए। उन्हें जैसे ही पता चला कि युवक मुसलमान है, उसकी इतनी बुरी तरह से पिटाई की गई कि उसने मौके पर ही दम तोड़ दिया। इस मामले में पुलिस का रवैया अब तक टालू रहा है। ठीक से जांच आगे नहीं बढ़ रही है।

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‘दैनिक जागरण’ में घटना को लेकर छपी खबर के मुताबिक, गांव के लाल बाबू चौधरी ने बताया कि राशिद आलम अपने पांच साथियों के साथ उनके घर चोरी की नियत से घुसा था। आहट सुनकर बेटे की नींद खुल गई। उसने शोर मचा दिया। इसपर ग्रामीण इकट्ठा हो गए। राशिद को पीट-पीटकर मौत के घाट उतार दिया। उसके बाकी साथी भागने में सफल रहे। अखबार आगे लिखता है, गांव वालों ने बताया कि कुछ लोग बकरी व्यवसायी बनकर गांव में आते है। महिलाओं का नंबर मांगते हैं। सवाल है कि यदि राशिद उनमें था तो कोई चोर महिलाओं के नंबर क्यों माँगेगा ? इसका अर्थ है कि मामला चोरी का नहीं कुछ और है ? चोरी के आरोप में मुस्लिम युवक की हत्या कर असली मामले को दबाने की कोशिश हो रही है। इसमें पूरा गांव शामिल है। राशिद के भाई शादाब की शिकायत पर 10 लोगों के खिलाफ हत्या का केस दर्ज किया गया है।


 मॉब लिंचिंग के इस मामले में सोशल मीडिया पर हैशटैग अभियान (#JusticeForRashid) चलाकर राशिद आलम को इंसाफ दिलाने के लिए जनमत संग्रह करने वालों का कहना है कि पिछले छह वर्षों में इस तरह की घटनाओं में देश में दो सौ से अधिक मुसलमान मारे गए। फिर भी अधिकांश आरोपी छुट्टा घूम रहे हैं। हारून खान ट्वीटकर कहते हैं अमेरिका में एक निग्रो की मौत पर हाय तौबा मचाने वालों को यह सब नहीं दिखता। यूनाइट मुस्लिम ने ट्वीट किया है कि सरकारों को इसपर ध्यान देना चाहिए कि लोग कानून हाथ में लेकर सड़कों पर फैसला न करने लगें।
 राशिद के मामले में राजद नेता तेजस्वी यादव और मुख्यमंत्री नितीश कुमार की खामोशी पर भी सवाल उठ रहे हैं। बादशाह चौधरी ने ट्वीट कर तेजस्वी यादव से पूछा है कि वह मुसलमानों की लगातार हो रही हत्याओं पर खामोश क्यों हैं ? अजहर ने नितीश कुमार से पूछा है कि आपके शासनकाल में बिहार दंगा मुक्त हो गया। मगर गंगा-जमुनी तहजीब को बांटने वाली एक नई प्रवृति शुरू हो गई है।

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