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35 लाख को मोदी ईद किट, लेकिन 14 करोड़ गरीब मुसलमान कहां?

मुस्लिम नाउ विशेष

भारतीय जनता पार्टी अपने बारह वर्षों के शासनकाल में पहली बार ईद के मौके पर ‘मोदी ईद किट’ का वितरण करने जा रही है. ईद का यह तोहफा देश के 35 लाख गरीब मुसलमानों के बीच वितरित किया जाएगा. इसमें ईद के मौके पर खाने और इस्तेमाल करने वाले कुछ सामान होंगे. मंगलवार को इसका भाजपा की ओर से ऐलान किया गया. फिर देखते ही देखते यह खबर भाजपा समर्थक मीडिया इसे ले उड़ा और चंद लम्हे में यह तमाम न्यूज चैनल और सोशल मीडिया छा गई.

सवाल दर सवाल

ऐसे में यह सवाल तो बनता ही है कि आखिर सरकार को बारह साल बाद मुसलमानों की याद क्यों आई ? आई भी तो केवल 35 लाख मुसलमानों की ? भाजपा समर्थक पसमांदा नेता दावा करते हैं कि भारत की 22 करोड़ मुस्लिम आबादी में से 80 प्रतिशत पसमांदा हैं, यानी सामाजिक, आर्थिक रूप से बेहद दबे-कुचले. ऐसे में मोदी की यह सौगात तो उंट के मुंह में जीरा और सिम्बॉलिक मात्र से ज्यादा कुछ नहीं !इसके अलावा बारह वर्षों तक बीजेपी शासन का मुसलमानों और उनके धर्म-संस्कृति, पर्सनल लाॅ को लेकर जैसा रवैया रहा है, वह अपने आप में बड़ा सवाल है.

इसके साथ ही एक और अहम सवाल मोदी ईद किट के वितरण के समय को लेकर भी बनता है. 26 मार्च को वक्फ संशोधन बिल के विरोध में पटना में आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लाॅ बोर्ड के बैनर तले मुसलमानों का एक बड़ा इजलास होने जा रहा है. ठीक एक दिन पहले मोदी किट बांटने का ऐलान किया गया, वह भी बिहार के भाजपा अल्पसंख्यक सेल के अध्यक्ष द्वारा. क्यों ? इस सवाल को लेकर आगे बढ़ने से पहले यहां याद दिलाना जरूरी है कि ऐलान के ठीक एक से दो दिन पहले केंद्र में भाजपा सरकार में शामिल नितीश कुमार और चिराग पासवान ने इफ्तार की दावत दी थी.

मगर इसमें कोई भी उल्लेखनीय मुस्लिम चेहरा शामिल नहीं हुआ, क्योंकि इसके बहिष्कार की घोषणा मुस्लिम रहनुमाओं की ओर से की गई थी. उनकी ओर से इन नेताओं को साफ संदेश दिया गया था कि वे केंद्र सरकार द्वारा मुसलमानों के वक्फ के अधिकारों को छीनने के प्रयास में साथ न दें. सदन में संशोधन बिल का विरोध करें. मगर उन्होंने ऐसा नहीं किया, इस लिए ऐसे दगाबाजों के साथ वे खड़े होना पसंद नहीं करेंगे.

बीजेपी की नहीं चल रही बिहार में

यहां यह याद दिलाना जरूरी है कि बिहार समाजवादियों, सेक्युलर और वाम विचारों की धरती है. इसलिए कुछ हिंदू कट्टरपंथियों के तमाम प्रयासों के बावजूद उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश या उत्तराखंड अथवा महारष्ट्र जैस भाजपा-संघ का प्रयोगशाला बिहार अब तक नहीं बन पाया है.यहां तक कि नितीश, चिराग जैसे तथाकथित सेक्यूलर नेताओं को तो छोड़िए बिहार में सुशील मोदी जैसे कई बीजेपी के बड़े चेहरे मुसलमानों के वोट से लोकसभा और विधानसभा पहुंचते हैं. कभी लालू यादव के संगी-साथ रहे मौजूदा बीजेपी नेता भी उनमें से ही हैं. यही वजह है कि जब मुस्लिम रहनुमाओं की ओर से उनके रोजा इफ्तार के बहिष्कार का फरमान जारी किया गया तो वे बिलबिला उठे.

मोदी किट और बिहार विधानसभा चुनाव

बिहार में आने वाले समय में विधानसभा चुनाव होने हैं, इसलिए मोदी के ईद किट को इससे भी जोड़कर देखा जा रहा है. बीजेपी का नया फामूर्ला है. जहां भी चुनाव लड़ने जाती है वहां की गरीब महिलाओं को रिझाने के लिए नकदी पेंशन, मफ्त गैस जैसा झुनझुना थमाने का ऐलान अवश्य करती है. दिल्ली के ताजा चुनाव में यह देख चुके हैं. महाराष्ट्र में देखा जा चुका है. मोदी किट कहीं मुस्लिम महिलाओं का फुसलाने के लिए तो नहीं है ? यह सवाल पूछा जा रहा है. हालांकि, मुसलमानों के बीच इस तरह के तोहफे बेमानी हैं. इसकी वजह है इस्लामिक नियम के अनुसार हर मुसलमानों को फितरा अदा करना.

इसके मूल में यह है कि गरीब से गरीब मुसलमानों की धोकड़ी में इतनी रकम आ जाए कि उससे वो भी अच्छी और हंसी खुशी से ईद मना सके.  बारह महीनों में केवल रजमान ही ऐसा महीना है जिसमें हर मुसलमान अपनी हैसितय से बेहतर न केवल खाता और पहनता है, बल्कि इमदाद कर गरीब मुसलमानों का भी रमजान बेहतर बनाने का प्रयास करता है.

तोहफा बेमानी

ऐसे में यह कहा जा सकता है कि बीजेपी नेतृत्व को मोदी किट के नाम पर गरीब मुसलमानों को गिफ्ट देने का जिसने भी फार्मूला दिया है, वह कतई कारगर साबित नहीं होने वाला. और न ही ऐसे तोहफों से वक्फ संशोधन बिल के विरोध में शाह बानो के बाद खड़े हुए मुसलमानों के दूसरे बड़े आंदोलन को कुंद किया जा सकता है.

बारह साल में पहली बार मुसलमानों को इस तरह का तोहफा देने का ऐलान और 14 करोड़ गरीब मुसलमनों की जगह केवल 35 लाख को तोफहना देने की घोषणा कहीं न कहीं नियत पर शक तो पैदा करता ही है. बीजेपी को ऐसी घोषणा करते समय शायद यह याद नहीं रहा कि वह तो केवल 35 लाख मुसलमानों को तोहफा देगी जब कि इस रमजान में हैसियत वाले अपने सारे गरीब बिरादरी का ख्याल रखते हैं. पैसे लेकर तोहफे तक उनके घरों तक पहुंचाते हैं.

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