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‘जो काम गांधी खानदान ने नहीं किया उसे मोहसिना किदवई ने कर दिखाया’

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली

भारतीय राजनीति में बहुत कम मुस्लिम महिलाएं हैं जो घरों से निकल कर समाज सुधार के लिए संघर्ष करती हैं. विधानसभा, लोकसभा में आवाज बुलंद करती हैं. भारतीय सांसद में उनके प्रतिनिधित्व को देखने से पता चलता हैं कि आजादी के बाद से अब तक सिर्फ 20 मुस्लिम महिलाएं ही संसद सदस्य बनी हैं. उनमें से एक नाम मोहसिना किदवई का हैं. जो लगातार तीन बार निर्वाचित हुई हैं. पुर्व केंद्रीय मंत्री मोहसिना किदवई ने भारतीय राजनीति को सिर्फ नजदीक से देखा ही नहीं बल्कि साल 1960 से 2016 तक कांग्रेस पार्टी के उतार व चढाव की गवाह बनी हैं. उनकी आत्मकथा बीते दिनों किताब की शक्ल में सामने आई हैं. इस किताब में मोहसिना किदवई के आत्म कथा को मशहूर पत्रकार रशीद किदवई लेखक के तौर पर लिखा हैं, जिसमें मोहसिना किदवई की संघर्ष की जिंदगी और कांग्रेस पार्टी के उतार चढ़ाव और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से जुड़ी दिलचस्प वाकये को पेश किया गया हैं.

‘हिन्दुस्तानी सियासत और मेरी जिंदगी रशीद किदवई की जुबानी’

इस किताब का नाम ‘हिन्दुस्तानी सियासत और मेरी जिंदगी रशीद किदवई की जुबानी’ है जिसका उर्दू अनुवाद अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के प्रो. शफीक किदवई की निगरानी में हुई हैं. किताब के उर्दू संस्करण का विमोचन दिल्ली के इंडिया इस्लामिक कल्चरल सेंटर में शनिवार को आयोजित प्रोग्राम में हुआ. इस अवसर पर किताब के पहले पाठक जामिया मिल्लिया इस्लामिया के इस्लामिक स्टडीज के प्रो. अख्तरुल वासे ने कहा कि वह (मोहसिना किदवई) एक मुसलमान महिला हैं जिन्होंने समाज पर छाप छोड़ी हैं. गांधी खानदान ने जो नहीं किया उसे मोहसिना किदवई ने की हैं, हमें उसे नहीं भुलना चाहिए कि जब कांग्रेस पार्टी को लोगों ने नकार दिया था तो उस वक्त मोहिना किदवई ने आजमगढ़ से चुनाव जीत कर दुनिया को दिखा दिया कि कैसे एक मुस्लिम महिला समाज की कयादत कर सकती हैं. वह आगे कहते हैं कि इस किताब में दिल्ली से लेकर आजमगढ़ और आजमगढ़ से लेकर डुमरियागंज तक की राजनीति पेश किया गया हैं. मौजूदा समय में मोहसिना किदवई की समाज में जरूरत है.

राजनीति में कदम क्यों रखी?
90 वर्ष की पूर्व केंद्रीय मंत्री मोहसिना किदवई अपनी किताब के बारे में बताती हैं कि जब में ससुराल गई तो वहां सियासत ओढ़ना बिछौना था. एक सियासी शख्स और सामाजिक कार्यकर्ता का आपस में बहुत मेल होता है. मैं भी लोगों के दर्द को देखकर घर से बाहर निकलीं और इस तरह राजनीति में कदम रखी. जब कांग्रेस का बुरा समय था तो मेरे लिए अच्छा वक्त था.

नरम दिल थीं इंदिरा गांधी

वह पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से अपने संबंध का चर्चा करते हुए आगे कहती हैं कि इस समय इंडिया गांधी को लेकर समाज में तस्वीर बना दी गई हैं वास्तव में वह सच्चाई नहीं हैं बल्कि इंदिरा गांधी एक नरम दिल महिला थी, उनके अंदर इंसानियत कोट कोट कर भरी हुई थी. मोहसिना किदवई ने एक वाकये का जिक्र करते हुए कहा कि एक बार आजमगढ जब इंदिरा गांधी पहुंची तो वह खाना खाने से पहले खाना अपने हाथ में ले ली और गाड़ी के ड्राइवर के पास जाकर बोली कि आप लोग खाना खा लीजिए.

बचपन में गीत गाती थी किदवई

प्रोग्राम की अध्यक्षता कर रहे प्रो. सिद्दीकुर रहमान किदवई ने मोहसिना किदवई को आपा बोलते हुए कहा कि ये आम जिंदगी में घरेलू महिला हैं. वह आगे कहते हैं कि मोहसिना आपा जब छोटी थी तो बहुत अच्छी गीत गाती थी.
अलीगढ़ से आए प्रो. शाफे किदवई ने कहा कि इस किताब को पढ़ कर ऐसा लगता हैं कि सियासत भी जिंदगी का हिस्सा हैं, इसमें लोगों को आना चाहिए. ये ख्याल किया जाता हैं कि सियासत अच्छे लोगों के लिए नहीं हैं तो गलत हैं उसकी जिंदा मिसाल मोहसिना किदवई है.
प्रोग्राम का संचालन मासूम मुरादाबादी ने की.