क्या मुफ्ती Ismail ibn Musa Menk गुजरात के हैं ?
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मुस्लिम नाउ ब्यूरो,अहमदाबाद
जिम्बाब्वे के मजलिसुल उलमा के सदर डॉ. इस्माइल मेंक ( Ismail ibn Musa Menk ) इस समय सुर्खियों में हैं. इसकी वजह है हिंदुओं को लेकर दिया गया बयान. पांच साल पहले डॉ. इस्माइल मेंक के एक बयान को लेकर सिंगापुर की सरकार ने अपने देश में उनके प्रवेश पर पाबंदी लगा दी थी. अब उससे मिलते-जुलते बयान की खूब तारीफ हो रही है.
डॉ. इस्माइल मेंक के बयान का एक वीडियो इंस्टाग्राम पर खूब वायरल हो रहा है, जिसमें वह कहते सुनाई दे रहे हैं कि हिंदुओं को गाय का गोश्त परोसना वैसा ही जैसे मुसलमानों को सुअर का मांस. उन्होंने इस कृत्य को ईशनिंदा करार दिया है और मुसलमानों को ऐसी हरकतों से बचने की नसीहत दी है. साथ ही उन्होंने हिंदू मुसलमानों को सामूहिक रूप से अपने देश को आगे बढ़ाने के लिए काम करने की भी सलाह दी है. डॉ. इस्माइल मेंक के इस बयान की सोशल मीडिया पर खूब तारीफ हो रही है.
मुफ्ती मेंक ने क्या कहा कि सिंगापुर ने देश में प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया
तकरीबन पांच वर्ष पहले सिंगापुर ने प्रसिद्ध इस्लामी उपदेशक मुफ्ती इस्माइल मेंक के देश में प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया था. सरकार का तर्क है कि उनके विचार धार्मिक कलह को बढ़ावा देते हैं.जिम्बाब्वे के उपदेशक मेनक और मलेशियाई विद्वान हसलिन बिन बहरीम को 2017 के नवंबर के अंत में निर्धारित धार्मिक-थीम वाले क्रूज पर व्याख्यान देने के लिए सिंगापुर में प्रवेश करने से रोक दिया गया था.
सिंगापुर के गृह मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि अल्पकालिक कार्य पास के लिए मेन्क के आवेदन को अस्वीकार करने का निर्णय उनकी अलगाववादी और विभाजनकारी शिक्षाओं से उपजा है, जबकि बहरीम ने मुसलमानों और गैर-मुसलमानों के बीच वैमनस्यता को बढ़ावा दिया.
मंत्रालय ने दावा किया कि मेन्क ने कहा कि मुसलमानों को उनके धार्मिक त्योहारों पर अन्य धर्मों के लोगों को बधाई देने की अनुमति नहीं है.इसने बहारिम पर मुसलमानों और गैर-मुसलमानों के बीच घर्षण को बढ़ावा देने वाले विचार रखने का भी आरोप लगाया. उन्होंने पथभ्रष्ट भी बताया.
मंत्रालय ने कहा, उनके विचार, सिंगापुर के बहु-नस्लीय और बहु-धार्मिक समाज के संदर्भ में अस्वीकार्य है. उन्हें सिंगापुर से आने-जाने वाले क्रूज जहाजों पर उपदेश देकर प्रतिबंध से बचने की अनुमति नहीं दी जाएगी.इसपर एक फेसबुक पोस्ट में, मेंक ने कहा कि उन्हें एक पर्यटक के रूप में सिंगापुर में आने में कोई समस्या नहीं हुई, लेकिन अब उन कारणों से क्रूज में शामिल नहीं होंगे जो मेरे नियंत्रण में नहीं हैं.
उन्होंने कहा, यह कहना कि मैं क्रूज का इस्तेमाल सिंगापुर से आने-जाने वाले क्रूज जहाजों पर उपदेश देकर प्रतिबंध से बचने के लिए कर रहा था, गलत है. “मैं पहले कभी जलयात्रा पर नहीं गया, विमान में व्याख्यान देना तो दूर की बात है. यह पूरी तरह से साजिश है.
यात्रा का आयोजन करने वाले इस्लामिक क्रूज के अनुसार, मेनक को पांच दिवसीय क्रूज पर वार्ता की एक श्रृंखला देनी थी, जिसमें नेविगेटिंग टुवर्ड्स पैराडाइज शीर्षक भी शामिल था, जिसमें कार्यक्रम से प्राप्त आय को बांदा आचे में वंचित लोगों को वितरित किया जाना था.
दुनिया के प्रभावशाली मुसलमानों में गिना जाता है मेंक को
मुफ्ती मेंक के काम को दुनिया भर में पहचान मिली है और उन्हें 2010 से दुनिया के शीर्ष 50 सबसे प्रभावशाली मुसलमानों में से एक नामित किया गया है. उनकी आकर्षक शैली और जमीन से जुड़े दृष्टिकोण ने उन्हें हमारे समय में सबसे अधिक मांग वाले विद्वानों में से एक बना दिया है. उन्होंने अपनी बहुचर्चित व्याख्यान श्रृंखला, मुफ्ती मेंक की पहचान, से लोगों का प्रिय बना लिया है.
मुफ्ती एक सरल लेकिन गहरा संदेश फैलाते हुए दुनिया भर में यात्रा करते है. वह अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र में सक्रिय हैं . शांति और न्याय के प्रबल समर्थक हैं. सभी प्रकार के आतंक के खिलाफ बोलते हैं.
डॉ. इस्माइल मेनक जिम्बाब्वे मजलिसुल उलमा के मुफ्ती है. यह एक इस्लामी शैक्षिक और कल्याण संगठन है जो देश के मुसलमानों की जरूरतों को पूरा करता है. मुफ्ती मेनक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध हैं. उन्हें अक्सर व्याख्यान देने के लिए आमंत्रित किया जाता है.धार्मिक सिद्धांतों को समसामयिक परिवेश से जोड़ने की उनकी क्षमता ने उन्हें मुस्लिम युवाओं के बीच विशेष रूप से प्रभावशाली बना दिया है. उनकी वाक्पटुता और हास्य ने उन्हें कई गैर-मुस्लिमों का भी प्रिय बना दिया है. उनके यूट्यूब वीडियो को लगभग आधे अरब बार देखा गया है.
क्या मुफ्ती डॉ. इस्माइल मेनक गुजराती हैं ?
मुफ्ती मेनक ने अपनी प्रारंभिक पढ़ाई जिम्बाब्वे के हरारे में की. उन्होंने अल-मदीना अल-मुनव्वरा विश्वविद्यालय से इस्लामी कानून में डिग्री प्राप्त की. वह भारत के गुजरात में पैदा नहीं हुए हैं, बल्कि उन्हें गुजरात से न्यायशास्त्र में विशेषज्ञता हासिल की.मुफ्ती डॉ. इस्माइल मेनक प्रमुख वैश्विक इस्लामी विद्वान हैं, जो मोजाम्बिक में पले-बढ़े और जिम्बाब्वे में ही पैदा हुए. उन्होंने मदीना में शरिया का अध्ययन किया और एल्डरगेट विश्वविद्यालय से सामाजिक मार्गदर्शन में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की.
सभी धर्मों में लोकप्रिय हैं मेनक
मुफ्ती मेंक एक व्यापक विचारधारा वाले, प्रेरक वक्ता हैं जिन्होंने खुद को मुसलमानों और गैर-मुसलमानों दोनों का प्रिय बना लिया है. वह जिम्बाब्वे के इस्लामिक विद्वानों की परिषद के फतवा विभाग के प्रमुख हैं जिन्हें मजलिसुल उलमा जिम्बाब्वे के नाम से जाना जाता है. वह हरारे में मस्जिद अल फलाह में मुअत्थिन और इमाम में से एक भी हैं. इंस्टाग्राम पर उनके 7.7 मिलियन फॉलोअर्स हैं.उनके सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को मिलाकर 100 से ज्यादा फॉलोअर्स हैं.