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मुल्ला अब्दुल ग़नी बरादर को संयुक्त राष्ट्र से 23 दिन की यात्रा छूट, दोहा में चिकित्सा उपचार के लिए अनुमति

मुस्लिम नाउ ब्यूरो,नई दिल्ली

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) प्रतिबंध समिति ने तालिबान सरकार के वरिष्ठ नेता और आर्थिक मामलों के उप प्रधान मंत्री मुल्ला अब्दुल ग़नी बरादर को 23 दिन की यात्रा छूट प्रदान की है. यह छूट 9 फरवरी 2025 से 3 मार्च 2025 तक प्रभावी रहेगी और इसका उद्देश्य कतर की राजधानी दोहा में उनके चिकित्सा उपचार को सुनिश्चित करना बताया गया है.

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के बयान के अनुसार, यह निर्णय सुरक्षा परिषद संकल्प 1988 (2011) के तहत लिया गया है, जो तालिबान नेताओं पर लगाए गए प्रतिबंधों से संबंधित है.

UNSC का बयान और यात्रा का उद्देश्य

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने 7 फरवरी 2025 को जारी अपने बयान में कहा:
“संकल्प 1988 (2011) के अनुसार स्थापित सुरक्षा परिषद समिति ने चिकित्सा उपचार के लिए 9 फरवरी 2025 से 3 मार्च 2025 तक कतर राज्य के दोहा की यात्रा के संबंध में अब्दुल गनी बरादर अब्दुल अहमद तुर्क (TAi.024) के लिए यात्रा प्रतिबंध छूट को मंजूरी दी.”

इस यात्रा के दौरान मुल्ला बरादर को किस प्रकार की चिकित्सा जरूरतें हैं, इस पर आधिकारिक रूप से कोई खुलासा नहीं किया गया है, लेकिन राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि यह यात्रा केवल चिकित्सा उपचार तक सीमित नहीं होगी, बल्कि राजनीतिक और कूटनीतिक चर्चाओं के लिए भी अवसर प्रदान कर सकती है.

राजनीतिक विश्लेषकों की प्रतिक्रिया

इस यात्रा को लेकर कई राजनीतिक विशेषज्ञों ने अपने विचार रखे हैं.

राजनीतिक विश्लेषक ज़लमई अफ़ग़ानयार ने कहा:
“अगर मुल्ला अब्दुल गनी बरादर की यात्रा चिकित्सा उद्देश्यों के लिए है, तो मुझे उम्मीद है कि इसका एक राजनीतिक पहलू भी होगा, जो अफ़गानिस्तान को आर्थिक और राजनीतिक अलगाव से उभरने में मदद करेगा.”

दूसरे राजनीतिक विश्लेषक समीम शम्सी ने कहा:
“अफगानिस्तान के आर्थिक विकास और देश को अलगाव से बाहर निकालने के लिए, श्री बरादर और उनके सहयोगियों को इस यात्रा के दौरान महत्वपूर्ण कूटनीतिक कदम उठाने चाहिए।”

अफगानिस्तान के केंद्रीय बैंक प्रमुख को भी यात्रा छूट

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद समिति ने अफगानिस्तान के केंद्रीय बैंक के प्रमुख को भी रूस यात्रा की विशेष अनुमति प्रदान की है. यह छूट 19 से 21 फरवरी 2025 तक रूस के येकातेरिनबर्ग में आयोजित यूराल साइबर सिक्योरिटी इन फाइनेंस फोरम में भाग लेने के लिए दी गई है.

इस यात्रा के दौरान अफगानिस्तान के आर्थिक मुद्दों, वित्तीय सुरक्षा और बैंकिंग प्रणाली से जुड़े विभिन्न विषयों पर चर्चा होने की संभावना जताई जा रही है.

तालिबान अधिकारियों को पूर्व में भी मिली थी यात्रा छूट

यह पहली बार नहीं है जब तालिबान अधिकारियों को यात्रा की अनुमति दी गई हो। इससे पहले भी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद प्रतिबंध समिति ने तालिबान सरकार के तीन वरिष्ठ अधिकारियों को यात्रा छूट प्रदान की थी. इनमें –

  • आंतरिक मामलों के कार्यवाहक मंत्री
  • विदेश मामलों के कार्यवाहक मंत्री
  • हज और धार्मिक मामलों के कार्यवाहक मंत्री

इन अधिकारियों को विभिन्न अंतरराष्ट्रीय बैठकों और सम्मेलनों में भाग लेने की अनुमति दी गई थी.

तालिबान सरकार के लिए इस यात्रा का महत्व

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तालिबान सरकार को अभी तक औपचारिक मान्यता नहीं मिली है और अफ़ग़ानिस्तान को कई आर्थिक और राजनीतिक प्रतिबंधों का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में, मुल्ला अब्दुल गनी बरादर की दोहा यात्रा तालिबान सरकार के लिए एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक अवसर बन सकती है.

कई विशेषज्ञों का मानना है कि इस यात्रा के दौरान तालिबान के वरिष्ठ नेता अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधियों और कतर सरकार से मुलाकात कर सकते हैं. यह बैठकें अफगानिस्तान की मौजूदा आर्थिक स्थिति, बैंकिंग समस्याओं, व्यापारिक रिश्तों और मानवीय सहायता को लेकर अहम हो सकती हैं.

संयुक्त राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय समुदाय का रुख

संयुक्त राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय समुदाय तालिबान सरकार को मान्यता देने से पहले कुछ बुनियादी शर्तों को पूरा करने पर जोर दे रहा है। इनमें –

  1. महिला अधिकारों और मानवाधिकारों की सुरक्षा
  2. सभी जातीय और धार्मिक समूहों को सरकार में समान भागीदारी
  3. अफगानिस्तान की धरती से किसी भी आतंकवादी गतिविधि को बढ़ावा न देना

हालांकि, तालिबान सरकार इन शर्तों पर अभी तक अंतरराष्ट्रीय समुदाय को पूरी तरह संतुष्ट नहीं कर पाई है.

काबिल ए गौर

मुल्ला अब्दुल गनी बरादर की यह यात्रा तालिबान सरकार के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर हो सकती है. यदि यह यात्रा सिर्फ चिकित्सा उपचार तक सीमित नहीं रहती और इसके दौरान कूटनीतिक चर्चाएँ भी होती हैं, तो यह अफगानिस्तान के आर्थिक और राजनीतिक अलगाव को कम करने में मददगार हो सकती है.

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद और अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस यात्रा पर बारीकी से नजर रखे हुए हैं। अब देखना होगा कि क्या इस यात्रा से अफगानिस्तान के लिए कोई सकारात्मक कूटनीतिक पहल निकलती है या नहीं.