मुस्लिम वोट में बिखराव की कोशिश पर मुस्लिम पर्सनल लाॅ बोर्ड का वार
मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली
उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव के मद्देनजर मुस्लिम वोट में बिखराव की साजिश चल रही है. एक तबका विशेष तौर से इसलिए बेचैन है कि यदि पश्चिम बंगाल की तरह मुसलमानों का एकमुश्त वोट किसी खास दल के खाते में पड़ गया तो उसका खेल बिगड़ सकता है. एक दल विशेष तो मुस्लिम विरोध के लिए खास पहचान रखता है, पर उसे भी सत्ता के लिए मुस्लिम वोट चाहिए. उत्तर प्रदेश की तकरीबन 100 सीटों पर मुस्लिम वोट निर्णायक स्थिति मंे हैं. यदि पश्चिम बंगाल की तरह किसी एक दल को एकमुश्त मुस्लिम वोट पड़ गया तो उसका सत्ता के करीब पहुंचना तय है. इसी वोट के भरोसे मुसलमानों की नुमाइंदगी का दावा करने वाली एक पार्टी भी यूपी की 100 सीटों पर चुनाव लड़ने का मंसूबा बना रही है. हालांकि उसके बारे में कहा जाता है कि वह एक राष्ट्रीय दल की बी टीम है. हर चुनाव में अपनी ए टीम को जीत दिलाने के लिए वोट का बटवारा करने वहां पहुंच जाती है.
बहरहाल, कोई मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड की आड़ में मुसलमानों को वर्गलाने की कोशिश न करे, इसके लिए बोर्ड की ओर से पैगाम आया है.ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने परंपरा से हटकर एक बयान जारी कर कहा है कि मुसलमान चुनाव में किसी भी व्यक्ति या पार्टी को वोट देने के लिए स्वतंत्र हैं.
यह पहली बार है जब बोर्ड ने वोटिंग वरीयताओं पर एक बयान जारी किया है.एआईएमपीएलबी के अध्यक्ष मौलाना राबे हसनी नदवी ने कहा कि लोगों को आत्मनिरीक्षण के बाद मतदान करना चाहिए लेकिन किसी व्यक्ति विशेष पार्टी या व्यक्ति को वोट देने के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए.
एमएस शिक्षा अकादमी“एआईएमपीएलबी ने कभी किसी पार्टी के पक्ष में कोई अपील जारी नहीं की है और न ही भविष्य में ऐसा करेगी. लोगों को अपना वोट डालने के लिए अपने विवेक का इस्तेमाल करना चाहिए, ”बयान में कहा गया है.मौलाना ने आगे कहा कि बोर्ड ने परंपरा के तौर पर कभी भी किसी राजनीतिक दल के पक्ष या विरोध में कोई अपील जारी नहीं की है. उन्होंने कहा कि बोर्ड का राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है.
बयान में कुछ लोगों द्वारा राजनीतिक लाभ के लिए जारी किए जा रहे भ्रामक बयानों के खिलाफ भी समुदाय को चेतावनी दी गई है.बोर्ड के सूत्रों ने कहा कि बयान यह स्पष्ट करने के लिए जारी किया गया था कि असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी के राज्य चुनाव लड़ने में बोर्ड की कोई भूमिका नहीं थी.
ओवैसी एआईएमपीएलबी के सदस्य हैं. उनकी पार्टी के लोग सोशल मीडिया का इस्तेमाल यह बताने के लिए कर रहे हैं कि उन्हें बोर्ड के सदस्यों का समर्थन प्राप्त है.