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मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का महिला विंग भंग, विवाद चालू

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने गठन के सात साल बाद अपनी महिला विंग भंग कर दिया है. बोर्ड की इस कार्रवाई को महिला विंग की कई सदस्यों ने सार्वजनिक रूप से अनुचित और अन्यायपूर्ण करार देते हुए इसकी कड़ी आलोचना की है.सदस्यों ने आरोप लगाया है कि हिजाब विवाद पर बोर्ड और महिला सदस्यों के बीच मतभेदों के कारण यह कदम उठाया गया है.

महिला विंग की संयोजक डॉ अस्मा जेहरा को 11 अक्टूबर को बोर्ड के महासचिव मौलाना खालिद सैफुल्ला रहमानी का एक पत्र मिला जिसमें उन्होंने बताया कि विंग को भंग कर दिया गया है. इसके बाद विंग के बैनर तले अब कोई भी कार्यक्रम आयोजित नहीं किया जा सकता. पत्र में यह भी कहा गया है कि विंग के सदस्यों द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे सोशल मीडिया एकाउंट को भी हटाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है.

टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट में कार्यकारी सदस्य कासिम रसूल इलियास ने हालांकि कहा कि बोर्ड को अपने जनादेश का अध्ययन करने के लिए अस्थायी रूप से निलंबित किया गया है. इसे फिर से बहाल किया जाएगा. विंग के भंग होने का कारण पूछे जाने पर कासिम रसूल इलियास ने कहा कि विंग की सदस्यों ने महिलाओं को सिलाई सिखाने जैसी गतिविधियों शुरू कर दी थीं तथा छात्रों को छात्रवृत्ति देना आरंभ कर दिया था, जो बोर्ड के दायरे का हिस्सा नहीं है.

एक खुले पत्र में, हैदराबाद से बोर्ड की एक सदस्य, तहनियात अथर ने कहा कि विंग को भंग कर दिया गया है, क्योंकि पुरुष नाखुश थे और बोर्ड को पुरुष और मौलवी वर्चस्व वाला माना जाता है. बोर्ड में 251 से अधिक सामान्य सदस्य हैं, जिनमें से लगभग 30 महिलाएं हैं. इसकी कार्यकारी समिति है, जो कि शासी निकाय है. इसमें 51 सदस्य और लगभग पांच महिला सदस्य हैं.

उन्हांेने कहा,हम नहीं जानते कि क्या हुआ और हमें निर्णय के बारे में सूचित नहीं किया गया. हम सक्रिय रूप से काम कर रहे थे. अब बोर्ड के निर्णय से हैरान हैं. मैं इस बिंदु पर अधिक नहीं कह पाऊंगी.बता दें कि बोर्ड ने मार्च 2022 में गठित चार सदस्यीय जांच समिति की सिफारिशों पर विंग को निलंबित किया है. समिति के वरिष्ठ सदस्यों सहित कई सदस्यों ने एआईएमपीएलबी के फैसले को मनमाना और एकतरफा बताया है.

डेक्कन हेराल्ड से बात करते हुए ऑल इंडिया मुस्लिम वूमेन पर्सनल लॉ बोर्ड की संस्थापक और अध्यक्ष शाइस्ता अंबर ने कहा कि विघटन शर्मनाक है. “यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है. हमारी बहनों की प्रतिभा और स्वतंत्रता को रोक दिया गया है. यह कदम लैंगिक समानता के खिलाफ और शर्मनाक है.

तीन तलाक मामले में एक याचिकाकर्ता भारतीय मुस्लिम आंदोलन की जकिया सोमन ने कहा कि यह कदम बोर्ड के असली चेहरे को उजागर करता है. उन्हांेने कहा, “महिलाओं द्वारा मामलों को अपने हाथों में लेने के बाद बोर्ड ने अपनी प्रासंगिकता खो दी है. उनका महिलाओं के अधिकारों और समानता से कोई संबंध नहीं है और वे महिलाओं के अधिकारों में बाधा उत्पन्न करने का काम करते हैं.

उन्होंने कहा, मैं महिला विंग का ज्यादा सम्मान करती हूं, क्योंकि वो महिलाओं के साथ समाज के दूसरे दर्जे के नागरिक के रूप में व्यवहार करने के लिए खड़ी हैं. हालांकि, यह भी कहा जा रहा है कि हाल के दिनों में शाइस्ता अंबर ने जिस तरह के विवादास्पद बयान और गवितिधियां शुरू कर दी थीं, उससे बोर्ड को कई बार विपरीत परिस्थितियों का सामना करना पड़ा था.