शेखावाटी मुस्लिम छात्र 12वीं में लाए शानदार अंक, करियर मार्गदर्शन के अभाव में चूक रहे हैं बड़े मौके
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अशफाक कायमखानी, जयपुर

राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड द्वारा हाल ही में जारी किए गए 12वीं कक्षा के परीक्षा परिणामों ने एक बार फिर यह उजागर किया है कि शेखावाटी जनपद में मुस्लिम समुदाय के छात्र शैक्षणिक क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। खासकर आर्ट्स और साइंस जैसे विषयों में मुस्लिम शैक्षणिक संस्थानों में अध्ययनरत छात्रों के परिणाम अपेक्षाकृत अच्छे रहे हैं। हालांकि, वाणिज्य विषय में छात्रों की संख्या अब भी काफी कम है।
मुस्लिम शैक्षणिक संस्थानों में शिक्षा ग्रहण करने वाले अधिकतर छात्र आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों से आते हैं। इनमें से कई संस्थान नाममात्र की फीस पर या शुल्क माफ कर छात्रों को पढ़ाई का अवसर देते हैं। इसके बावजूद ये छात्र अच्छे अंकों से उत्तीर्ण हो रहे हैं। लेकिन इन संस्थानों के छात्रों को समय पर उचित मार्गदर्शन न मिलने के कारण वे उच्च शिक्षा या करियर की दौड़ में वह स्थान नहीं बना पा रहे, जिसके वे हकदार हैं।
मार्गदर्शन की कमी एक बड़ी बाधा
सामाजिक दृष्टि से देखें तो मुस्लिम समुदाय के अधिकांश परिवारों में शैक्षणिक जागरूकता और करियर मार्गदर्शन की गंभीर कमी है। कुछ अपवादों को छोड़ दें तो अधिकांश परिवार बच्चों की शिक्षा को केवल बोर्ड परीक्षा पास कराने तक सीमित रखते हैं। जबकि सच्चाई यह है कि 12वीं के बाद ही करियर के वास्तविक रास्ते खुलते हैं और अधिकांश प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी की नींव तो कक्षा 5वीं से 8वीं के बीच ही पड़नी चाहिए।

अभी की स्थिति यह है कि शेखावाटी क्षेत्र के कई मुस्लिम छात्र 90 से 98 प्रतिशत तक अंक प्राप्त कर रहे हैं, लेकिन फिर भी वे JEE, NEET, CLAT, CUET, NIFT जैसे दर्जनों राष्ट्रीय स्तरीय एंट्रेंस टेस्ट की दौड़ में शामिल नहीं हो पा रहे हैं। ऐसा नहीं है कि उनमें योग्यता की कमी है — बल्कि उन्हें इन परीक्षाओं की जानकारी, तैयारी का तरीका और समय पर फार्म भरने जैसी बुनियादी मदद नहीं मिल पा रही।
इंटीग्रेटेड कोर्स और समय की बचत के अवसर
आज के दौर में अनेक इंटीग्रेटेड कोर्सेज उपलब्ध हैं जो छात्रों को स्नातक और स्नातकोत्तर दोनों स्तर की शिक्षा एक साथ प्राप्त करने का अवसर देते हैं। जैसे कि इंटीग्रेटेड लॉ कोर्स (B.A. LL.B.), इंटीग्रेटेड मैनेजमेंट कोर्सेज, ड्यूल डिग्री प्रोग्राम्स आदि। इन कोर्सेज से समय और संसाधनों की बचत होती है और छात्र जल्दी करियर की मुख्यधारा में आ जाते हैं।
राजस्थान विश्वविद्यालय और जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय जैसे संस्थान अभी भी इंटीग्रेटेड लॉ कोर्सेज के लिए आवेदन ले रहे हैं, लेकिन मुस्लिम शैक्षणिक संस्थानों से जुड़े अधिकांश छात्र इस मौके से अनजान हैं।

क्या करना होगा?
- मुस्लिम शैक्षणिक संस्थानों को चाहिए कि वे कक्षा 10वीं के बाद से ही छात्रों को विभिन्न कोर्सेज और करियर विकल्पों के बारे में जानकारी देना शुरू करें।
- हर संस्था में करियर काउंसलिंग यूनिट बनाकर नियमित रूप से छात्रों के लिए कार्यशालाएं और मार्गदर्शन सत्र आयोजित किए जाएं।
- समाज के जिम्मेदार बुद्धिजीवी, पूर्व छात्र और प्रोफेशनल्स को आगे आकर मार्गदर्शन के लिए प्लेटफॉर्म बनाना होगा।
- हर वर्ष होने वाले प्रमुख राष्ट्रीय प्रतियोगी परीक्षाओं के बारे में एकेडमिक कैलेंडर तैयार कर छात्रों को समय रहते फार्म भरवाने और तैयारी करवाने की व्यवस्था करनी होगी।
- छात्रों की रुचि और क्षमता के अनुसार उन्हें सही समय पर सही दिशा में प्रेरित करना होगा — केवल अच्छे अंक लाना पर्याप्त नहीं है।
निष्कर्ष
शेखावाटी के मुस्लिम छात्र शिक्षा के क्षेत्र में उम्मीद की एक नई किरण बनकर उभरे हैं। उनकी मेहनत और संस्थानों की सीमित सुविधाओं में किए गए प्रयास सराहनीय हैं। लेकिन अगर उन्हें समय रहते करियर का उचित मार्गदर्शन मिले, तो ये छात्र न केवल शेखावाटी बल्कि पूरे राजस्थान और देश का नाम रोशन कर सकते हैं।
समाज, परिवार और शैक्षणिक संस्थानों को अब यह समझना होगा कि शिक्षा सिर्फ परीक्षा पास करने तक सीमित नहीं है — यह तो एक लंबी यात्रा की शुरुआत है, जिसमें सही दिशा और समय पर निर्णय सबसे बड़ी कुंजी हैं। यदि यह कुंजी मुस्लिम छात्रों को सौंप दी जाए, तो वे निश्चित ही हर क्षेत्र में ऊँचाइयों को छू सकते हैं।