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मुसलमान अरब देशों से क्यों है खफा, मस्जिद अल-हरम और मस्जिद नबवी सऊदी अरब के कब्जे से लेने की क्यों उठ रही मांग

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली

हमास-इजरायल युद्ध में अरब देशों की नीतियों से दुनियाभर के मुसलमान बेहद खफा हैं. दो दिन पहले अरब लीग और अफ्रीकी देशों के शिखर सम्मेलन में अरब देशों ने गाजा में फिलिस्तीनियों के नरसंहार के विरोध में इजरायल की नाकेबंदी को लेकर लाए गए प्रस्ताव को ठुकरा दिया था, उसके बाद से मुसलमानों का गुस्सा उनके प्रति सातवें आसमान पर है.

ऐसे अरब विरोधी माहौल में  उमराह के दौरान फिलिस्तीन और गाजा के बारे में बोलने पर तुर्की के इमाम को सऊदी पुलिस द्वारा हिरासत में लेकर बेड़ियों में जकड़ने से लोग आपे से बाहर हो गए हैं. सोशल मीडिया में इस घटना के बाद से अरब देशों खासकर संयुक्त अरब अमीरात और सऊदी अरब को लेकर खूब ले दे हो रही है.

यहां तक कहा जा रहा है कि वार्षिक हज और 11 महीने तक चलने वाला हज उमरा से मिलने वाले विदेशी धन से अरब देश चलते हैं. जो देश दुनिया की मुसलमानों की हिफाजत न कर पाए, उसके कब्जे से हज का प्रबंधन ले लिया जाना चाहिए. हज का संचालन दुनियाभर के बुद्धिजीवियों की एक आला कमेटी करे.

बताया गया कि  तुर्की के इमाम मुस्तफा एफे  फिलिस्तीन और गाजा के बारे में बोलने के लिए सऊदी पुलिस ने उन्हें तब हिरासत में ले लिया, जब वह मस्जिद अल-हरम, मक्का में उमरा कर रहे थे.उन्हें 12 घंटे तक हिरासत में रखा गया. इस दौरान उनके पैरों में बेड़ियां डाल दी गईं.

इसके बाद से सोशल मीडिया पर सउदी अरब के खिलाफ नफरतों की बाढ़ आई हुई है. इस घटना पर एक ने ट्वीट किया है-इंशाअल्लाह ध्यान दें कि अल-कस्सा मस्जिद मुक्त होगी,लेकिन मस्जिद अल-हरम और मस्जिद इन-नबावी-विल भी इन पाखंडी से मुक्त होगी.’’

एक अन्य ट्वीट में बताया गया-इस्तांबुल में अजीज महमूद हुदैई मस्जिद के इमाम हाफिज मुस्तफा एफे को फिलिस्तीन के लिए दुआ करने के लिए तवाफ के दौरान मक्का में हिरासत में ले लिया गया.जबकि हम यरूशलेम को इजरायली कब्जे से मुक्त कराने के लिए प्रार्थना कर रहे हैं. यह महत्वपूर्ण है कि हम मक्का को वहाबी कब्जे से मुक्त कराने के लिए प्रार्थना करें.’’ इस तरह के ट्वीट से पूरा सोशल मीडिया भरा पड़ा है. इसके अलावा जब सउदी अरब के हज प्रबंधन को लेकर भी सवाल उठाए जाने लगे हैं.