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धर्म संसद में मुसलमान फिर निशाने पर, भारत को हिंदू राष्ट्र भी घोषित किया

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, प्रयागराज ( उत्तर प्रदेश )

‘‘इस्लामिक जिहाद मानवता और दुनिया के लिए बड़ा खतरा हैं. इसे कुचलने के लिए चीन की नीति अपनानी होगी. चीन की तरह प्रतिबंध लगाकर इसे रोका जा सकता है. ‘देशभक्त‘ मुसलमान परिवार का हिस्सा हैं. उनके ‘घर वापसी‘ अभियान को तेज करना जरूरी है.’’ यह बातें प्रयागराज में चल रहे माघ मेले में धर्म संसद के दौरान मंच से कही गईं.इस दौरान मांग की गई कि भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित किया जाए और सुभाष चंद्र बोस देश के पहले प्रधानमंत्री घोषित किए जाएं. धर्म संसद में धर्म परिवर्तन के लिए मौत की सजा देने और इसे देशद्रोह के रूप में माने जाने की मांग उठाई गई.

सुप्रीम कोर्ट ने कुछ दिनों पहले धर्म संसद में आपत्तिजनक बातें कहने पर ऐतराज जताया था. इसके बावजूद इसमें शामिल होने वाले लोगों पर असर होता दिखाई नहीं दे रहा है.आज भी धर्म संसद पहले की तरह आयोजित किए जा रहे है और इसमें एक कौम को प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से निशाना बनाने का क्रम जारी है. उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने के नाते कानून-व्यवस्था का जिम्मा फिलहाल चुनाव आयोग के पास है. बावजूद इसके प्रयागराज में धर्म संसद आयोजित कर इसमें न केवल संविधान में मुसलमानों को दिए गए अधिकारियों वंचित किए जाने जैसी बातें कही गईं, बलिदान दिवस पर सुभाष चंद्र बोस के कंधे पर बंदूक रखकर महात्मा गांधी को अप्रत्यक्ष रूप से तुच्छ दर्शाने का प्रयास किया गया.

सम्मेलन के मुख्य अतिथि, सुमेरु पीठाधीश्वर, जगद्गुरु स्वामी नरेंद्र नंद सरस्वती, ने कहा, ‘‘सरकार भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित नहीं कर सकती, लेकिन सभी हिंदुओं को लिखना शुरू करना चाहिए और देश को हिंदू राष्ट्र करार देना चाहिए. ऐसा करने से, सरकार देश को हिंदू राष्ट्र घोषित करने के लिए मजबूर होगी.‘‘

धर्म संसद में कहा गया,‘सनातनी‘ हर किसी का निशाना है. इसके लिए जरूरी है कि देश में समान शिक्षा और समान न्याय की व्यवस्था लागू हो.‘‘संतों ने मांग की कि हिंदू मठों और मंदिरों के सरकारी अधिग्रहण को समाप्त करने की आवश्यकता है.उन्होंने कहा, ‘‘अगर सरकार द्वारा मठों और मंदिरों का अधिग्रहण किया जा रहा है, तो मस्जिदों और चर्चों का भी अधिग्रहण किया जाना चाहिए.‘‘

जगद्गुरु ने कहा कि ‘‘मुसलमान अल्पसंख्यक नहीं हैं. उनके अल्पसंख्यक दर्जे को वापस लेने के लिए कार्रवाई की जानी चाहिए.‘‘उन्होंने कहा, ‘‘भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव जैसे क्रांतिकारियों के जीवन को स्कूलों के पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए. धर्मांतरण को देशद्रोह की श्रेणी में रखकर मृत्युदंड का प्रावधान किया जाए.‘‘

निरंजनी अखाड़े के महामंडलेश्वर अन्नपूर्णा भारती ने कहा , ‘‘हरिद्वार की धर्म संसद में जब धर्मगुरुओं ने अपनी सुरक्षा के लिए कुछ शब्द बोले तो उन्हें जेल में डाल दिया गया. कहा गया कि इससे एक खास धर्म के लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंची है, लेकिन जब तौकीर रजा बरेली में 20,000 की भीड़ इकट्ठी की और सनातन धर्म के खिलाफ जहर उगला, कोई कार्रवाई नहीं हुई. क्या इससे हमारी भावनाओं को ठेस नहीं पहुंची? ओवैसी का धमकी भरा वीडियो जारी किया गया लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई.‘‘

उन्होंने महामंडलेश्वर नरसिम्हनंद यति और जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी (पूर्व नाम वसीम रिजवी) की रिहाई के लिए मेले में मौजूद संतों और भक्तों से सरकार को पत्र लिखने की अपील की.

जगद्गुरु स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वती ने कहा, ‘‘राष्ट्र का कोई पिता नहीं हो सकता है. राष्ट्र का पुत्र हो सकता है, लेकिन राष्ट्रपिता नहीं. देश के पहले प्रधानमंत्री सुभाष चंद्र बोस थे. उनके नेतृत्व को स्वीकार किया गया था. ऐसे में उन्हें देश का पहला प्रधानमंत्री घोषित किया जाना चाहिए. इतिहासकारों ने देशवासियों के सामने गलत तथ्य पेश किए हैं, जिससे आज की पीढ़ी भ्रमित है.‘‘

यह कोई नई बात नहीं है. धर्म संसद में ऐसी बातें पहले भी कही जाती रही हैं. हरिद्वार के धर्म संसद में तो मुसलमानों का नरसंहार करने तक का ऐलान किया गया था. गाजियाबाद के धर्म संसद में भी मुसलमानों के खिलाफ आपत्तिजनक बातें कही गई थीं. हालांकि इस तरह की बातें करने वाले कई लोग फिलहाल जेल की हवा खा रहे हैं.