उखड़ती सांसों के आस बने मुसलमान
रमजान और कोरोना का भले कोई रिश्ता न हो, मगर पिछले एक साल में दो बार ऐसा अवसर आया कि अपदा की इस घड़ी में देश के मुसलमानों ने बिना धार्मिक भेद-भाव के लोगों की दिल खोल कर मदद करी. कोरोना की दूसरी लहर अधिक खतरनाक है. सरकारी सुविधाएं कम पड़ने लगी हैं. यहां तक कि अस्पतालों में ऑक्सीजन सिलेंडर थोड़े रह गए हैं.ऐसे में देश के कई हिस्सों में अपने स्तर से मुसलमानों ने लोगों को मुफ्त ऑक्सीजन उपलब्ध कराने की व्यवस्था की है.
टाइम्स आफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, मुंबई की मीरा रोड, कल्याण, भिवंडी आदि की मस्जिदें एक गैर सरकारी संगठन रेड क्रिसेंट सोसायटी को ऑक्सीजन सिलेंडर उपलब्ध करा रही हैं ताकि कोरोना से पीड़ित उन लोगों को फ्री में मुहैया कराया जा सके जिन्हें इसे हासिल करने में दिक्कतें आ रही हैं. सोसायटी के चेयरमैन अरशद सिद्दी की कहते हैं,‘‘ जरूरतमंदों के बारे में सूचना मिलते ही उन्हें ऑक्सीजन सिलेंडर उपलब्ध करा दिया जाता है.’’
ऐसे ही लोगों में से एक हैं संतरा बेचने से लेकर आज तरक्की की बुलंदियों पर खड़े प्यारे खान. जानकर आश्चर्य होगा कि जैसे ही उन्हें पता चला कि नागपुर के जीएमसी यानी सरकारी अस्पताल में ऑक्सीजन की किल्लत हो गई है, उन्होंने एक ही झटके में 16 टन ऑक्सीजन पहुंचा दिया. जामयत-ए-इस्लामी ने नागपुर के पंचपोली में 100 बेड का कोविड अस्पताल स्थापित किया है. इसका संचालन करने वाले डाक्टर अनवार के आग्रह पर अब इस अस्पताल के लिए भी एक टैंकर ऑक्सीजन उपलब्ध कराने की तैयारी में लग गए हैं. यही नहीं प्यारे खान ने 50 लाख रूपये केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को भी कोरोना मरीजों के सहायतार्थ उपलब्ध कराए हैं. बता दें कि गडकरी भी नागपुर से ही हैं.
और भी हैं प्यारे खान
उखड़ती सांस वाले कोरोना मरीजों तक मुफ्त ऑक्सीजन पहुंचाने वाले इस देश में और भी कई हैं प्यारे खान. मुंबई का ओलिव ट्रस्ट भी जरूरतमंद कोरोना रोगियों को मुफ्त आॅक्सीजन उपलब्ध कराने में जुटा है. रोजना करीब 50 लोगों को ऑक्सीजन सिलेंडर मुहैया कराया जा रहा है. ट्रस्ट से जुड़े शुजा अहमद कहते हैं कि मानवीय सेवा भी इबादत है. इसलिए रमजान के इस महीने में जहां हम रोजा, नमाज और इबादत में लगे हैं वहीं दिन-रात जरूरतमंदों तक ऑक्सीजन पहुंचाने का भी काम कर रहे हैं. इसके लिए ट्रस्ट ने चार मोबाइल नंबर जारी किए हैं. मांग आने पर मोटरसाइकिलों से ऑक्सीजन सिलेंडर पहुंचाया जाता है. शुजा का कहना है कि कोविड की पिछली लहर के दौरान भी उन्होंने ऑक्सीजन वितरण करने का काम किया था. इस बार लोग ऑक्सीजन के लिए ज्यादा परेशान हैं. अस्पतालों में भी कमी हो गई है.
मुंबई के ओलिव ट्रस्ट की तरह ही दिल्ली में जमीयत उलेमा-ए-हिंद और पुरानी दिल्ली के गलीराजन के सवाब समाज फाउंडेशन भी जरूरतमंदों तक मुफ्त ऑक्सीजन सिलेंडर पहुंचाने का काम कर रहे हैं. सभी ने अपने-अपने नंबर जारी कर रखे हैं. अलग बात है कि इस समय स्थिति ऐसी है कि नंबर लगाने पर जल्द किसी से बात ही नहीं हो पाती.
कभी सोचा न था
कभी किसने सोचना था कि देश के लाखों लोग अस्पतालों में एक साथ भर्ती होगे और उनकी उखड़ती सांसों को थामने केलिए रोजाना 2000 से अधिक मीट्रिक टन अक्सीजन की जरूरत पड़ेगी ? इसकी उपलब्धता की कमी ने हर तरफ हाहाकार मचाया हुआ है. कोरोना के रोगी इसकी कमी के कारण रोजना सैकड़ों की संख्या में मौत के मुंह में समा रहे हैं. हालांकि, इस कमी को पूरा करने के लिए राज्य सरकारें महंगी आक्सीजन खरीदने और केंद्र 50 हजार मीट्रिक टन यह जीवन रक्षक गैस विदेशों से आयात करने में जुटी हैं.