जेएमआई में राष्ट्रीय सम्मेलन: ‘विकसित भारत का विजन’ पर गहन मंथन
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मुस्लिम नाउ ब्यूरो,नई दिल्ली
जामिया मिलिया इस्लामिया (जेएमआई) के डॉ. के.आर. नारायणन सेंटर फॉर दलित एंड माइनॉरिटीज स्टडीज ने 24-25 फरवरी, 2025 को पीएचडी स्कॉलर्स के लिए दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया। इस सम्मेलन का विषय था “एक विकसित भारत का विजन: चुनौतियां, पहल, रणनीतियां”। इस महत्वपूर्ण सम्मेलन को आईसीएसएसआर (उत्तरी क्षेत्रीय केंद्र), नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित किया गया था।

सम्मेलन के मुख्य विषय
इस सम्मेलन में भारत के विकसित राष्ट्र के रूप में उभरने की संभावनाओं, विकास की राह में आने वाली चुनौतियों और उनसे निपटने की रणनीतियों पर गहन चर्चा हुई। साथ ही, इस उद्देश्य को साकार करने के लिए सरकार और अन्य संस्थानों द्वारा उठाए गए कदमों की समीक्षा भी की गई।
उद्घाटन सत्र
उद्घाटन सत्र 24 फरवरी, 2025 को जेएमआई के मीर अनीस हॉल में आयोजित हुआ। इसकी शुरुआत डॉ. के.आर. नारायणन सेंटर की पीएचडी स्कॉलर सुश्री दृष्टि माथुर के स्वागत भाषण से हुई। सम्मेलन के मुख्य अतिथि जेएमआई के रजिस्ट्रार प्रो. मोहम्मद महताब आलम रिजवी थे, जिन्होंने समापन भाषण दिया। कार्यक्रम के संयोजक प्रो. पद्मनाभ समरेंद्र थे। उद्घाटन भाषण दिल्ली विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान विभाग के प्रो. एन. सुकुमार ने दिया, जिस पर एजेके मास कम्युनिकेशन सेंटर की प्रो. शोहिनी घोष ने टिप्पणी प्रस्तुत की। इस सत्र की अध्यक्षता प्रो. हलीमा सादिया रिजवी ने की।
प्रस्तुत किए गए शोध-पत्रों के मुख्य विषय
सम्मेलन के पहले दिन विभिन्न शोधकर्ताओं ने निम्नलिखित विषयों पर अपने शोध-पत्र प्रस्तुत किए:
- भारत के अंतर्राष्ट्रीय संबंध और विकास
- सतत विकास लक्ष्यों की दिशा में भारत की प्रगति
- कानूनी प्रावधान और उनके प्रभाव
- जातिगत समस्याएँ और उनके समाधान
- आरक्षण नीतियों का मूल्यांकन
विशेष सत्र और कुलपति का संबोधन
सम्मेलन के दूसरे दिन 25 फरवरी, 2025 को जेएमआई के कुलपति प्रो. मजहर आसिफ ने विशेष सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में भाग लिया और ‘विकास के अर्थ’ पर अपने व्यापक विचार प्रस्तुत किए। इस सत्र के मुख्य अतिथि सामाजिक विज्ञान संकाय के डीन प्रो. मोहम्मद मुस्लिम खान थे। इस सत्र की अध्यक्षता भी प्रो. हलीमा सादिया रिजवी ने की।
इस सत्र का केंद्र प्रो. अजरा रज्जाक और एम. अत्याब सिद्दीकी द्वारा लिखित पुस्तक “द स्कूल एट अजमेरी गेट: दिल्लीज़ एजुकेशनल लिगेसी” रही। इस विषय पर डॉ. हेम बोरकर (जेएमआई, समाज कार्य विभाग) और डॉ. मनीष जैन (बी.आर. अंबेडकर विश्वविद्यालय, दिल्ली) ने अपने विचार प्रस्तुत किए। इन प्रस्तुतियों की अध्यक्षता प्रो. फराह फारूकी (शिक्षा संकाय, जेएमआई) ने की।

सम्मेलन के मुख्य सत्रों में उठाए गए मुद्दे
दूसरे दिन विभिन्न सत्रों में निम्नलिखित विषयों पर गहन चर्चा की गई:
- राजनीति में धर्म की भूमिका
- भारतीय मुसलमानों का हाशिए पर जाना
- दलित आंदोलनों और विरोध के नए आयाम
- भारतीय सामाजिक ढांचे में बदलाव और समावेशी विकास
प्रमुख प्रतिभागी और शोधकर्ता
सम्मेलन में विभिन्न प्रतिष्ठित संस्थानों के शोधार्थियों ने भाग लिया, जिनमें प्रमुख नाम थे:
- छवि चौधरी, चित्ततोष खांडेकर, दीपिका धेमला, निकहत नसरीन खानम, अनिंदिता भट्टाचार्जी, दिशा आराधना यादव, साक्षी मिश्रा, अखिलेश कुमार, श्याम कुमार, नवीन कुमार पासवान, साहिल शौकीन, अमृता खेतान, लुबैब मोहम्मद बशीर, आरफा खान, मोहम्मद मशकूर आलम, एम. एंजेलिन प्रियलता, राजेश चंद्र कुमार, शेख हसीब उल हक, और अमरजीत गुरत्रो।
इसके अतिरिक्त, डॉ. के.आर. नारायणन सेंटर के निम्नलिखित पीएचडी शोधार्थियों ने भी सम्मेलन में सक्रिय भागीदारी निभाई:
- स्निग्धा शुचि, नीलिमा, कुमारी आंचल, मिर्जा अयाज बेग, चौधरी शाहरुख, अमीषा एल. फुकन।
सम्मेलन में जेएमआई संकाय की भागीदारी

जेएमआई के संकाय सदस्य, जिन्होंने विभिन्न सत्रों की अध्यक्षता की, वे थे:
- प्रो. सुजाता ऐश्वर्या
- डॉ. सुचरिता सेनगुप्ता
- डॉ. कृष्ण स्वामी दारा
- डॉ. मनीषा सेठी
- डॉ. मुजीबुर रहमान
- डॉ. सुम्बुल फराह
सम्मेलन का समापन
सम्मेलन के समापन सत्र में केंद्र के पीएचडी शोधार्थी नफीस अहमद ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया। सम्मेलन के दौरान प्रस्तुत किए गए शोध-पत्रों और चर्चाओं के निष्कर्षों को आगामी शोध कार्यों और नीतिगत सिफारिशों के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
काबिल ए गौर
यह सम्मेलन भारत के विकसित राष्ट्र बनने की यात्रा में उठाए जाने वाले कदमों और इससे जुड़ी चुनौतियों को समझने का एक महत्वपूर्ण मंच बना। इस आयोजन ने शोधकर्ताओं, शिक्षाविदों और नीति-निर्माताओं को एक साथ लाकर विभिन्न मुद्दों पर गहन चर्चा करने और समाधान खोजने का अवसर प्रदान किया।