Politics

National Security Act : डॉक्टर कफील की रिहाई को लेकर गोलबंदी


धर्मनिरपेक्ष पार्टियों की खामोशी पर बिफरे लोग…कांग्रेस को बताया मुसलमानों का दुश्मन नंबर वन

ब्यूरो रिपोर्ट।
राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत पिछले चार महीने से जेल में बंद डॉक्टर कफील खान की रिहाई को लेकर गोल बंदी शुरू हो गई है। इसके लिए सोशल मीडिया पर #Dr_Kafeel_परअत्याचारबंद_करो अभियान चलाने के साथ देशभर में वेबीमान आयोजित किए जा रहे हैं तो कहीं पोस्टर-बैनर लगाकर मांग को हवा देने की कोशिश चल रही है। ऐसे अभियानों में शामिल लोग डॉक्टर कफील के मुददे पर कांग्रेस, समाजवादी पार्टी व राष्ट्रीय जनता दल जैसी धर्मनिरपेक्ष पार्टियों की खामोशी से बेहद नाराज हैं।
  मोहम्मद शादाब ने ट्वीट कर डॉक्टर कफील के मामले में कांग्रेस को मुसलमनों का दुश्मन नंबर एक एवं बीजेपी को दुश्मन नंबर दो करार दिया है। सोशल मीडिया पर ऐसी कई तस्वीरें साझा की गई हैं, जिसमें डॉक्टर कफील सपा मुखिया अखिलेश यादव, आरजेडी और कांग्रेस नेताओं के साथ नजर आ रहे हैं। मगर उनकी रिहाई पर उनका कोई बयान अब तक नहीं आया है।


  उल्लेखनीय है कि डॉक्टर कफील पर संशोधित नागरिकता कानून यानी सीएए के विरोध में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में आयोजित एक सभा में भड़काउ भाषण देने का आरोप है। इसके अलावा उनके खिलाफ 2017 में उत्तर प्रदेश के गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीन की कमी से 60 बच्चों की मौत में लापरवाही के आरोप में भी विभिन्न धाराओं में छह मुकदमे दर्ज हैं। हालांकि, यह मामला बेहद विवाद है। आम समझ है कि डॉक्टर कफील ने अपने प्रयासों से बच्चों को बचाने की बहुत कोशिश की, पर प्रशासनिक व्यवस्थाओं की कमी ये वह इसमें सफल नहीं हो सके। 60 बच्चों को ऑक्सीजन की कमी के कारण जान गंवानी पड़ी। इस मामले में यूपी की योगी सरकार की खूब किरकिरी हुई थी। आरोप है कि तब से योगी उनके पीछे पड़े हैं। वैसे, डॉक्टर कफील को भारतीय जनता पार्टी का मुखकर विरोधी माना जाता है। वह हमेशा उसकी नीतियों की आलोचना करते रहे हैं। मतभेद को लोकतंत्र की खूबसूरती माना जाता है। इसके तहत हर किसी को अपनी राय रखने का अधिकार है, जो शायद यूपी सरकार को पसंद नहीं।
  अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में सीएए के विरोध में जब डॉक्टर कफील पर भड़काउ भाषण का आरोप लगा तब यूपी पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार करने के लिए सारे घोड़े खोल दिए। इतनी मुस्तैदी उसने विकास दूबे द्वारा आठ पुलिस कर्मियों की हत्या करने पर नहीं दिखाई थी। इस वर्ष जनवरी के अंत में यूपी एसटीएफ ने डॉक्टर कफील को मुंबई से गिरफ्तार किया। इस मामले में जब उन्हें जमानत पर मथुरा जेल से रिहाई करने का समय आया तो उसी समय यूपी सरकार ने उनपर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत मुकदमा दर्ज कर उन्हें दोबारा जेल में डाल दिया। डॉक्टर कफील की पत्नी शबिस्ता खान का आरोप है कि सुप्रीम कोर्ट ने 28 मार्च को उनके पति की रिहाई का आदेश दिया था। मगर यूपी के एक बड़े अधिकारी के इशारे पर उनकी जमानत टाल दी गई।



 देश के विभिन्न संगठन यूपी सरकार के इस ‘पक्षपातपूण’ रवैये से बेहद नाराज हैं। उन्होंने डॉक्टर कफील की रिहाई को लेकर अभियान छेड़ रखा है। एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी व्यंगात्मक लहजे में कहते हैं,‘‘ राष्ट्र की सुरक्षा को खतरा डॉक्टर से नहीं ‘ठोक दो’ जैसी मानसिकता रखने वालों से है। रामेश्वर खेमपुरी कहते हैं कि अधिकारों की खातिर आवाज उठाना मुसलमानों के लिए अपराध बन गया है। अहमद ओवैस ने हैशटैग अभियान#DrKafeelWantsJustice में भाग लेते हुए ट्वीट किया है कि वह भारत सरकार से डॉक्टर कफील जैसे निर्देश व्यक्ति की रिहाई की मांग करते हैं। नूरया सोशल मीडिया पर देश के चर्चित बच्चों के डॉक्टरों की तस्वीरें साझा करते हुए लिखती हैं, ऐसे डॉक्टरों में शुमार कफील खान को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बताना, गलत है।

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